
New Delhi: पीएम मोदी ने मंगलवार शाम राष्ट्र के नाम संबोधन के दौरान 20 लाख करोड़ के आर्थिक पैकेज का ऐलान किया. इसके साथ ही उन्होंने लॉकडाउन 4.0 का भी ऐलान कर दिया.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन 4.0 पूरी तरह नये रंग रूप वाला होगा. नये नियमोंवाला होगा. राज्यों से जो सुझाव मिल रहे हैं. उनके आधार पर लॉकडाउन 4 से जुड़ी जानकारी भी 18 मई से पहले दे दी जायेगी.
उन्होंने जनता से उम्मीद जतायी कि सभी लोग नियमों का पूरा पालन करेंगे.

पीएम कें संबोधन की प्रमुख बातें


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- कोरोना संक्रमण से मुकाबला करते हुए दुनिया को चार महीने से ज्यादा समय बीत गये हैं. इस दौरान तमाम देशों के 42 लाख से ज्यादा लोग कोरोना से संक्रमित हुए हैं.
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- पौने 3 लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मृत्यु हुई है. भारत में भी अनेक परिवारों ने अपने स्वजन खोये हैं. मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं.
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- एक वायरस ने दुनिया को तहस नहस कर दिया है. विश्व भर में करोड़ों जिंदगियां संकट का सामना कर रही हैं. सारी दुनिया जिंदगी बचाने में एक प्रकार से जंग में जुटी हुई है.
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- हमने ऐसा न संकट न देखा है न ही सुना है. निश्चित तौर पर मानव जाति के लिए ये सब कुछ अकल्पनीय है. ये क्राइसिस अभूतपूर्व है, लेकिन थकना, हारना टूटना, बिखरना मानव को मंजूर नहीं है.
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- सतर्क रहते हुए ऐसी जंग के सभी नियमों का पालन करते हुए अब हमें बचना भी है और आगे बढ़ना भी है.
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- आज जब दुनिया संकट में है तब हमें अपना संकल्प और मजबूत करना है. हमारा संकल्प इस संकट से भी विराट होगा.
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- साथियों, हम पिछली शताब्दी से भी लगातार सुनते आये हैं कि 21वीं सदी हिन्दुस्तान की है. हमें कोरोना से पहले भी दुनिया के वैश्विक व्यवस्थाओं को विस्तार से देखने-समझने का मौका मिला.
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- कोरोना संकट के बाद भी दुनिया में जो स्थितियां बन रही हैं, उसे भी हम निरंतर देख रहे हैं. जब हम दोनों कालखंडों को भारत के नजरिये से देखते हैं तो लगता है कि 21वीं सदी भारत की ही होगी.
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- ये हमारा सपना ही नहीं, ये हम सभी की जिम्मेदारी भी होगी, लेकिन इसका मार्ग क्या हो. विश्व की आज की स्थिति हमें सिखाती है कि इसका मार्ग एक ही है. आत्मनिर्भर भारत. हमारे यहां शास्त्रों में कहा गया है एक पंथ, यानी यही रास्ता है, यानी आत्मनिर्भरता.
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- साथियों, एक राष्ट्र के रूप में आज हम बहुत अहम मोड़ पर खड़े हैं. इतनी बड़ी आपदा भारत के लिए एक संकेत लेकर आयी है. एक संदेश लेकर आयी है. एक अवसर लेकर आयी है.
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- मैं एक उदाहरण के साथ अपनी बात रखने का प्रयास करता हूं. जब कोरोना संकट शुरू हुआ तक भारत में एक भी पीपीई किट नहीं बनते थे. एन-95 मास्का का नाम मात्र उत्पादन था.
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- आज स्थिति ये है कि भारत में ही हर रोज दो लाख पीपीई किट और दो लाख एन95 मास्क बनाये जा रहे हैं. ये हम इसलिए कर पाये क्योंकि भारत ने आपदा को अवसर में बदल दिया.
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- आपदा को अवसर में बदलने की भारत की ये दृष्टि आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प के लिए उतनी ही प्रभावी सिद्ध होनेवाली है.
- साथियों आज विश्व में आत्म निर्भर शब्द के मायने पूरी तरह बदल गये हैं. ग्लोबल वर्ल्ड में आत्मनिर्भर के डेफिनेशन बदल रहे हैं.