
Girish Malviya
ये ANI का ट्वीट है. तारीख है 17 मार्च 2020. लिखा है कि ‘एक नया मामला मंगलवार को सामने आया. एक इंडोनेशिया का नागरिक जो कि दिल्ली से तेलंगाना में आया था. उसमें कोरोना वायरस का संक्रमण पाया गया है.
तेलंगाना सरकार ने केंद्र सरकार को इस मामले की पूरी जानकारी 17 मार्च को ही दे दी थी. उसकी सारी ट्रैवल हिस्ट्री की जानकारी भी केंद्र सरकार के पास पहुंच गयी थी. लेकिन कोई कार्यवाही नहीं की गयी. उसके बाद तेलंगाना में 19 मार्च को कोरोना वायरस पॉजिटिव की संख्या अचानक बढ़ गयी.


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एक साथ 7 मामले सामने आये. ये सातों इंडोनेशिया से आये व्यक्ति थे. जिस इंडोनेशिया व्यक्ति को पॉजिटिव 17 मार्च को घोषित किया गया था, उन्हीं के साथ इन सातों ने दिल्ली से रामगुंडम तक एपी संपर्क क्रांति एक्सप्रेस से सफर किया था.

इसकी जानकारी भी तेलंगाना सरकार ने केंद्र को दी, लेकिन तब भी केंद्र सरकार सोती रही. गृह मंत्री अमित शाह की दिल्ली पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की. उल्लेखनीय है कि दिल्ली पुलिस केंद्र सरकार की गृह मंत्रालय के अधीन काम करती है.
अब हम अच्छी तरह से जान गये हैं कि दिल्ली में निजामुद्दीन मरकज में तबलीगी जमात के कार्यक्रम 13 से 15 मार्च के बीच हुए थे. केंद्र सरकार और गृह मंत्रालय व दिल्ली पुलिस इस बात को दो हफ्ते पहले से जानती थी. सवाल यह है कि उसी वक्त उन्हें रोकने की कार्यवाही क्यों नहीं की गयी ?
निजामुद्दीन का मरकज पुलिस थाने से 100 मीटर से भी कम दूरी पर है. तो मार्च के दूसरे हफ्ते में हुए इस बड़े जमावड़े को रोकने के लिए पुलिस ने क्यों नहीं कदम उठाए?
पुलिस को बहुत अच्छी तरह से मालूम था कि बड़ी संख्या में वहां विदेशी मुस्लिम का जमावड़ा होता है, तो उसने 2500 लोगों के प्रोग्राम को रोकने के लियए कदम क्यों नहीं उठाये ?
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इतना बड़ा जमावड़ा होने ही क्यों दिया. वह किसी सुदूर प्रदेश में तो कोई प्रोग्राम कर नहीं रहे थे, सरकार की नाक के नीचे, पुलिस की नाक के नीचे प्रोग्राम कर रहे थे, तो उन्हें रोका क्यों नहीं ?
इस कोरोना की वजह से इस प्रोग्राम को निरस्त करने के आदेश दिल्ली पुलिस दे सकती थी. लेकिन उसने यह प्रोग्राम होने दिया. न सिर्फ होने दिया, बल्कि विदेशियों को देश के अलग-अलग हिस्सों में जाने से भी नहीं रोका.
जबकि केंद्र और दिल्ली सरकार के स्पष्ट आदेश थे कि कुछ दिन पहले आये विदेशियों को क्वारंटाइन में रखा जाये.
दरअसल, यह बात हमारा मेन स्ट्रीम मीडिया पूछता ही नहीं है. 23 से 28 मार्च के बीच क्या हुआ इसका किस्सा मेन स्ट्रीम मीडिया (टीवी चैनल, अखबार औऱ कुछ न्यूज पोर्टल ) खूब चटखारे ले लेकर बता रहा है.
आज मरकज के प्रमुख मौलाना साद गायब बताये जा रहे हैं. लेकिन राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने स्वंय 28 और 29 मार्च की मध्यरात्रि करीब 2 बजे मरकज का दौरा किया था. और डोभाल ने स्वंय मरकज प्रमुख मौलाना साद से वहां मौजूद सभी लोगों का टेस्ट कराने और क्वारंटाइन करने को कहा था.
तो मौलाना साद कैसे गायब हो गये? जबकि क्वारंटाइन किये लोगों का इलाका तो पूरा सील कर दिया जाता है ?

कुल मिलाकर जो तथ्य सामने आये हैं, वह यही बताता है कि मरकज के लोगों ने तो ग़लत किया ही है. उसमें तो कोई शक की बात ही नहीं है. लेकिन यह भी साफ नजर आ रहा है कि इस पूरे मामले में बड़ी गलती केंद्र सरकार, गृह मंत्रालय व दिल्ली पुलिस की भी है. ऐसा लगता है यह सारा मामला भी एक ट्रैप की तरह से ही डिजाइन किया गया है. और अभी भी टीवी पर जो चल रहा है वह भी इसी ट्रैप का हिस्सा है.
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