
Ranchi: पलमा-गुमला NH-23 फोर लेन परियोजना लगातार विवाद झेल रहा है. इस परियोजना के लिये 200 एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया जाना है लेकिन, प्रशासन मात्र 16.583 डिसमिल जमीन का ही अधिग्रहण कर पाया है. अभी भी 183.417 डिसमिल जमीन अधिग्रहण होना बाकी है. फरवरी में 80 फीसदी जमीन NHAI को उपलब्ध कराना है जिसको लेकर प्रशासन पूरी तरह से रेस है. जमीन को लेकर प्रशासन को करीब 150 आपत्तियां भी आयी हैं, जिसे तेजी से डिस्पोजल किया जा रहा है. जिला प्रशासन ने 16.583 डिसमिल जमीन का मुआवजा 21 करोड़ रुपये बांट चुका है. रैयतों को मिलने वाली मुआवजे की राशि करीब 218 करोड़ है. यह राशि NHAI के द्वारा दिया जाना है. NHAI की ओर से अब तक मात्र 75 करोड़ ही मिले हैं. इसमें से 21 करोड़ बंट चुके हैं. बताया जाता है जमीन का मुआवजा कम मिलने की वजह से रैयतों ने विरोध कर दिया था. बाद में मुआवजे की राशि बढ़ा कर दिये जाने के आश्वासन पर ग्रामीणों ने अपनी सहमति दी है. इस परियोजना के लिए एकरारनामा 23 नवंबर 2020 में हुआ था.
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बढ़ा हुआ पैसा मांगा गया है, पर अभी तक आया नहीं है
मुआवजे की राशि NHAI के द्वारा उपलब्ध कराया जाना है. बढ़े हुये मुआवजे से संबंधित प्रस्ताव जिला प्रशासन ने भेज दिया है. पर अभी तक राशि उपलब्ध नहीं हो पायी है.
रांची में बेड़ो के पास पलमा से गुमला तक इस सड़क को फोर लेन चौड़ा करने में करीब 650 करोड़ रुपये का खर्च आंका गया है. सुगम और तीव्र यातायात के लिए इस नए हाइवे पर पुल और छोटे-छोटे पुल भी बनेंगे. हाइवे के इस हिस्से की चौड़ीकरण की मांग लंबे समय से स्थानीय लोग करते आ रहे हैं. लोगों की इस मांग पर इसी साल जनवरी में सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्रालय ने फोर लेन की इस सड़क को मंजूरी दे दी.
रांची से ओडिशा, छत्तीसगढ़ की राह होगी आसान
एनएच 23 का उपयोग झारखंड से ओडिशा और छतीसगढ़ जाने वाले वाहन करते हैं. रांची से पलमा के बीच सड़क पहले से फोर लेन है. अब पलमा से गुमला तक फोर लेन बनेगा. रांची से पलमा होते हुए गुमला पहुंचने में ढाई घंटे लग जाते हैं. फोर लेन प्रोजेक्ट पूरा होने के बाद समय की भी बचत होगी. माना जा रहा है कि डेढ घंटे में यह दूरी तय की जा सकेगी. इस सड़क के फोर लेन होने से राजधानी रांची की कनेक्टिविटी लोहरदगा, नेतरहाट, पीटीआर, लातेहार, कोलेबिरा के अलावा राउरकेला के बीच आसान हो जाएगी.
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