
Palamu : भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ से जुड़े लेखक दया प्रकाश सिन्हा द्वारा सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से किये जाने पर पूर्व मंत्री एवं व इंटक के राष्ट्रीय अध्यक्ष एवं मगध फाउंडेशन के अध्यक्ष के एन त्रिपाठी ने तिखी प्रतिक्रिया व्यक्त की है. साथ ही भारत सरकार से अविलंब कार्रवाई की मांग करते हुए कहा कि दया प्रकाश सिन्हा को प्रदत्त साहित्य अकादमी पुरस्कार तथा पद्मश्री सम्मान वापस लेने की मांग की है.
ज्ञातव्य हो कि भाजपा के सांस्कृतिक प्रकोष्ठ से जुड़े लेखक पूर्व आईएएस अधिकारी दया प्रकाश सिन्हा ने एक अखबार को दिए इंटरव्यू में सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से की थी. उनके इस बयान की जदयू एवं राजद के नेताओं ने निंदा करते हुए भाजपा से उन पर अविलंब कार्रवाई करने की मांग की है.
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इसी कड़ी में के एन त्रिपाठी ने कहा कि सम्राट अशोक की तुलना औरंगजेब से करना मगध के स्वर्णिम इतिहास को विकृत करने का प्रयास है, जो असहनीय है. उन्होंने कहा कि मगध का एक गौरवमयी अतीत रहा है.
चाणक्य और चंद्रगुप्त द्वारा स्थापित मौर्य वंश के महान शासक सम्राट अशोक के शासनकाल को इतिहासकार भारतीय इतिहास का सबसे स्वर्णिम काल मानते हैं.
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सम्राट अशोक से पहले या बाद में कभी कोई ऐसा राजा या सम्राट नहीं हुआ जिसने अखंड भारत-आज का नेपाल, बांग्लादेश, पूरा भारत, पाकिस्तान और अफगानिस्तान जितने बड़े भूभाग पर एकछत्र राज किया हो.
भारत सरकार सम्राट अशोक के राज चिण्ह अशोक चक्र को भारतीय ध्वज में अंकित किया है. उनके राज्य चिन्ह चार मुखी शेर को भारतीय राष्ट्रीय प्रतीक मानकर सरकार चलाया जाता है तथा सत्यमेव जयते भारत सरकार का ध्येय वाक्य है.
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भारतीय सेना का सबसे बड़ा सम्मान अशोक चक्र भी उनके नाम पर दिया जाता है. ऐसे महान शासक की तुलना औरंगजेब से किया जाना अक्षम्य अपराध है.
भारतीय जनता पार्टी अविलंब दया प्रकाश सिन्हा को अपनी पार्टी से बर्खास्त करे एवं उन्हें दिया गया सम्मान वापस ले. अगर वह ऐसा नहीं करती है तो समझा जायेगा कि भाजपा भी उनके इस कुकृत्य में सहयोगी है.
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