
Palamu : प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा तीनों विवादित कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर शु़क्रवार की दोपहर किसानों के संघर्ष की जीत का जश्न मनाया गया. भाकपा, भाकपा माले, इप्टा, एआइएसएफ आदि संगठनों ने मिल कर छहमुहान पर खुशी व्यक्त की. तख्तियां लेकर लोग इसमें शामिल हुए, जिसमें कृषि कानून तो झांकी है, सीएए, एनआरसी और मजदूर बिल बाकी है आदि स्लोगन लिखे हुए थे.
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मौके पर वक्ताओं ने कहा कि किसानों के आन्दोलन ने भाजपा और मोदी सरकार के खेती किसानी को भी कॉरपोरेट को सौंपने के मंसूबे को चकनाचूर किया और प्रधानमंत्री को बाध्य होकर किसान विरोधी तीनों कृषि कानून वापस लेने की घोषणा करनी पड़ी.
तीनों कृषि कानून के विरोध में पूरे देश के वामपंथी पार्टियों ने आंदोलन करते हुए शहादत दी. उन सभी आंदोलनरत किसानों को क्रांतिकारी अभिनंदन करते हैं. कारपोरेट की चाकरी करनेवाले प्रधानमंत्री को जनता इस बार सत्ता से बेदखल करेगी. अगर पीएम मोदी में थोड़ी सी भी शर्म हो तो 704 किसानों की शहादत के बाद कृषि कानून वापस लेने की घोषणा पर तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. केंद्र सरकार शहीद सभी किसानों को 50-50 लाख मुआवजा और उनके घर के किसी सदस्य को सरकारी नौकरी देने की घोषणा करे.
मौके पर भाकपा के राज्य कार्यकारिणी सदस्य सूर्यपत सिंह, भाकपा के जिला सचिव रूचिर तिवारी, कृष्ण मुरारी दुबे, भाकपा माले के जिला सचिव आरएन सिंह, राजद के रामनाथ चन्द्रवंशी, सुरेश ठाकुर, मनाजरूल हक, मनीष विश्वकर्मा सहित अन्य उपस्थित थे.
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इससे पहले भाकपा के जिला कार्यालय में कृष्ण मुरारी दुबे की अध्यक्षता में बैठक हुई, जिसमें तीनों कृषि कानून को रद्द करवाने को लेकर संघर्षरत शहीद किसानों के लिए 2 मिनट का मौन रख कर विनम्र श्रद्धांजलि दी गयी. मौके पर बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता उपस्थित थे.