
Palamu : एमएमसीएच स्थित सिविल सर्जन कार्यालय में क्लब फुट की पहचान के लिए स्वास्थ्य विभाग और क्योर इंडिया के सहयोग से शिविर का आयोजन किया गया. इसमें 17 बच्चों की स्क्रीनिंग की गयी, जिसमें कुल 15 बच्चों को इलाज हेतु चिन्हित किया गया. जिले के पाटन प्रखंड से 2, चैनपुर से 2, लेस्लीगंज से 6, छतरपुर से 2, हरिहरगंज से 2 और पंडवा प्रखंड से 1 बच्चे की पहचान की गई है, जिनका इलाज रांची के सदर अस्पताल में क्योर के सहयोग से निशुल्क किया जायेगा. इसमे 7 लड़के और 8 लड़कियां हैं.
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मौके पर जिले के सिविल सर्जन डॉ. अनिल कुमार सिंह ने कहा कि जन्मजात ऑर्थोपेडिक विसंगति-क्लब फुट का उपचार संभव है. ट्रीटमेंट के बाद पैर वापस सामान्य स्थिति में आ सकते हैं. क्लब फुट एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चों के पैर अंदर की तरफ मुड़े होते हैं और इस कारण वे सामान्य रूप से चलने-फिरने में अक्षम होते हैं.
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डीपीएम दीपक कुमार ने कहा कि अंदर की तरफ मुड़ी हुई पैरों की अंगुलियां. यह एक जन्मजात ऑर्थोपेडिक विसंगति है जो ट्रीटमेंट के बाद वापस पहले जैसी स्थिति में आ सकती है.
क्योर की राज्य समन्वयक रोजलिना कुजूर ने बताया कि निदान के दौरान क्लब फुट के लक्षण सामने आने पर रोगी को दिया जाने वाला उपचार निर्धारित किया जा सकता है. डॉक्टर आसानी से क्लब फुट का निदान कर सकते हैं.
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कभी-कभी पैर अंदर की ओर या नीचे की ओर घूम जाते हैं. हालांकि क्लब फुट में कोई दर्द नहीं होता है, लेकिन हित में है कि रोग के लाइलाज होने से पहले जल्द से जल्द इसका उपचार किया जाए. कार्यक्रम में सभी ब्लॉक के आरबीएसके के डॉक्टर और क्योर इंडिया के प्रभु रंजन मिश्रा उपस्थित थे.
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