Garhwa. पलामू प्रमंडल के गढ़वा जिले में कार्यरत करीब 2500 सहायक पुलिस के जवान अपनी मांगों को लेकर कोई ठोस पहल नहीं किये जाने से नाराज हैं. उन्होंने जिला पुलिस की तरह सरकारी नौकरी की मांग की है. इसे लेकर वे सभी काला बिल्ला लगाकर कार्य करेंगे. इसके बाद भी कोई कार्रवाई नहीं हुई, तो सभी सामूहिक अवकाश पर चले जाएंगे. यदि इस पर भी उनकी मांग पूरी नहीं की गयी तो सभी अनिश्चितकालीन हड़ताल करेंगे.
Slide content
Slide content
ये भी पढ़ें- पलामू: 24 घंटे में 58 पॉजिटिव, 1781 पहुंचा आंकड़ा
काला बिल्ला लगाने, सामूहिक अवकाश और अनिश्चितकालीन हड़ताल को लेकर सहायक पुलिस के जवानों ने अपनी रणनीति तैयार कर ली है. अपनी मांगों पर जोर डालने के लिए सहायक पुलिस जवानों ने आज पुलिस लाइन में धरना दिया.
ये भी पढ़ें- कोरोना पॉजिटीव मिलने के बाद तीन दिनों के लिए जेबीवीएनएल कार्यालय सील
विदित हो कि गढ़वा जिले में 2500 सहायक पुलिसकर्मियों की नियुक्ति की गयी है. इनका मानदेय मात्र 10 हजार रुपये है. इनकी नियुक्ति वर्ष 2017 में की गयी थी. सहायक पुलिस के जवानों को वेतन में से ही वर्दी, मेस, जूता सहित अन्य खर्च वहन करना पड़ता है. इससे उनकी आर्थिक स्थिति में किसी तरह कोई सुधार नहीं हो पा रहा है. इन पुलिसकर्मियों का कहना है कि उनकी डयूटी जिला पुलिस के जवानांे की तरह पैरलर किया जाता है, लेकिन उनके तनख्वाह के बराबर जिला पुलिस के जवान को केवल टीए और डीए दिया जाता है.
तीन वर्ष बीते, नहीं हुई नियुक्ति
सहायक पुलिस कर्मी रूपेश कुमार यादव ने सरकार के खिलाफ वादाखिलाफी का आरोप लगाते हुए कहा कि उनके अलावा 2500 जवानों ने विरोध करने का फैसला किया है. पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास ने यह कह कर उन्हें नियुक्त किया था कि 3 वर्ष सेवा होने के बाद हम लोगों को झारखंड पुलिस के आरक्षी के पदों पर सीधी नियुक्ति दी जायेगी जिसका उल्लेख विज्ञापन में साफ उल्लेखित है कि झारखंड पुलिस के आरक्षी के पदों पर सीधी नियुक्ति अधिसूचित नियुक्ति नियमावली 2014 में यथोचित कारवाई अपेक्षित है, लेकिन अब झारखंड सरकार का रवैया हमलोगों के प्रति काफी उदासीन है. इससे सहायक पुलिस कर्मी अपने भविष्य को लेकर काफी चिह्नित हैं.
कई जवानों की निकल चुकी है उम्र
सहायक पुलिस के कई जवानों की उम्र दूसरी नौकरियों के लिए निकल चुकी है. उम्र 28 से 30 वर्ष हो गया है. ऐसे में जवान अब कही के नहीं रह गए हैं. पुलिसकर्मियों ने कहा कि अगर झारखंड सरकार फिर भी उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं करती है, तो सभी सहायक पुलिस कर्मी बाध्य होकर राजभवन से लेकर मुख्यमंत्री आवास तक का घेराव करेंगे. सहायक पुलिस कर्मियों ने कहा कि जबतक उनकी मांगों पर कोई ठोस निर्णय सरकार नहीं लेती है, तब तक विरोध जारी रहेगा.