
Patna: बिहार में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले छात्रों को प्राइवेट कॉलेजों में मोटी फीस देनी पड़ती है. इस मामले को लेकर गुरुवार को बिहार विधानसभा में खूब बहस हुई. दरअसल जेडीयू विधायक डॉ संजीव कुमार समेत अन्य सदस्यों की तरफ से सदन में ध्यानाकर्षण सूचना लाई गई थी. इस पर सरकार की तरफ से जवाब भी दिया गया. जेडीयू विधायक ने प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों को होने वाले खर्च का मूल्यांकन कर फीस का निर्धारण किया जाता है.
विधानसभा में जब इस बात पर चर्चा होने लगी तो मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी अपनी बात रखी. नीतीश कुमार ने कहा कि यूक्रेन में इतनी तादाद में भारत के छात्र मेडिकल पढ़ने जा रहे हैं इस बात की जानकारी अब सामने आई है लेकिन यह भी सच है कि मेडिकल और इस तरह की पढ़ाई को लेकर जो भी स्ट्रक्चर तय होता है वह केंद्र सरकार की तरफ से तय किया जाता है. नीतीश कुमार ने कहा कि यह बात भी सामने आई है कि यूक्रेन में देश से सस्ती मेडिकल की पढ़ाई होती है.
अगर ऐसा है तो केंद्र सरकार को इसे देखना चाहिए. नीतीश कुमार ने कहा कि पहले जो लेफ्ट विचारधारा के लोग होते थे वहीं पढ़ाई के लिए सोवियत संघ या रूस जाते थे लेकिन अब इतनी बड़ी तादाद में अगर बिहार से छात्र जा रहे हैं तो इसे देखना होगा.


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सरकार की तरफ से मिले जवाब पर सभी दलों के विधायकों ने असंतोष जताया. सबने कहा कि सरकार को इस मामले में कोई ठोस पहल करनी चाहिए.
इसके बाद स्वास्थ्य मंत्री मंगल पांडे ने कहा कि इस मामले में जो सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर जजों की कमेटी बनाई गई है, उसके सामने राज्य सरकार की तरफ से प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस कमेटी को अवगत कराया जाएगा कि प्राइवेट मेडिकल कॉलेजों की फीस कम की जाए.
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