
♦सीएम ने कहा- महामारी के बुरे दौर में नहीं जाना चाहती सरकार, इसलिए श्रावणी मेला नहीं करने का निर्णय
♦दुमका और देवघर डीसी को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से सीएम ने दिये निर्देश
Ranchi : कोरोना संक्रमण के कारण राज्य सरकार ने इस वर्ष श्रावणी मेला का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया है. मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन का कहना है कि संक्रमण काल में लोगों के स्वास्थ्य को लेकर राज्य सरकार किसी तरह का कोई जोखिम नहीं लेना चाहती. इसके प्रति गंभीरता जरूरी है. हमें पूरी सतर्कता से कार्य करना है. इस वजह से सरकार ने श्रावणी मेला का आयोजन नहीं करने का निर्णय लिया है.
सीएम सोरेन ने कहा कि मंदिर में श्रद्धालु नहीं आ रहे हैं. प्रोटोकॉल के तहत सिर्फ पुजारी ही भगवान की आराधना कर रहे हैं. ऐसे में जरूरी है कि रंग-रोगन कर देवघर व बासुकीनाथ मंदिर को और भव्य बनायें. पूरे मंदिर परिसर को हाइजेनिक किया जाये. सीएम ने यह बात देवघर और दुमका डीसी से वीडियो कांफ्रेसिंग के दौरान हुई बातचीत में कही. बैठक में मुख्य सचिव सुखदेव सिंह, पुलिस महानिदेशक एमवी राव, सीएम के प्रधान सचिव राजीव अरुण एक्का, पर्यटन सचिव पूजा सिंघल, दोनों जिले के डीसी के अतिरिक्त एसपी व अन्य अधिकारी उपस्थित थे.
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रंग-रोगन कर मंदिर परिसर को दें और भव्यता
सीएम ने कहा कि जिला प्रशासन संक्रमण के इस दौर में देवघर और बासुकीनाथ मंदिर के भीतरी और बाहरी परिसरों का निरीक्षण करे. जहां भी किसी तरह की मरम्मत, निर्माण, बदलाव और श्रद्धालुओं की सुविधाओं को देखते हुए कार्य करने की आवश्यकता हो तो यथाशीघ्र करें. बाबा मंदिर और बासुकीनाथ मंदिर का रंग-रोगन कर मंदिर को और भव्यता प्रदान करें. पूरे मंदिर परिसर को हाइजेनिक बनायें. सीएम सोरेन ने कहा कि वे स्वयं मंदिर परिसर को देखने का काम करेंगे, ताकि बदलाव और निर्माण की दिशा में कार्य किया जा सके. इस बीच दोनों जिला के डीसी को सीएम ने निर्देश दिया कि वे मंदिर समिति के लोगों के साथ मंदिर का निरीक्षण कर योजना तैयार करें.
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मुख्यमंत्री ने दिये निर्देश
- शिव-गंगा में किसी को स्नान करने नहीं दें, बैरीकेडिंग करें.
- सूचना तंत्र को सशक्त करें, ताकि श्रद्धालु एक जगह जमा न हो सकें.
- किसी भी राज्य से बस देवघर और दुमका की सीमा तक न आने पाये.
- झारखंड की सीमा पर सूचना पट्ट लगाया जाये, जिससे पता चल सके कि श्रावणी मेला का आयोजन संक्रमण की वजह से स्थगित है.
- मंदिर परिसर में किसी तरह की भीड़ न हो.
- पंडा समाज के लोग और जन प्रतिनिधियों का सहयोग लें.
- पूरी सतर्कता और तय समय में प्रोटोकॉल का तहत पूजन का कार्य सुनिश्चित हो. अन्य गतिविधियों पर पूर्ण पाबंदी रखी जाये.
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