
Ranchi: कोरोना महामारी ने कई समस्याएं उत्पन्न की है. इस महामारी ने ब्लड डोनेशन को भी बहुत प्रभावित किया है. महामारी के दौरान आए दिन मरीजों और परिजनों को ब्लड मिलने में परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है.
वहीं, राज्य की एकमात्र वोल्वो सरकारी रक्तदान बस पिछले कुछ दिनों से लगातार बंद पड़ी है. वहीं जब इस बारे में जिम्मेवार संस्थान से जबाव जनना चाहा तो उन्होंने जवाब नहीं दिया.
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बार-बार खराब होती है बस
राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के परिसर में इस बस को देखा जा सकता है. पिछले साल अगस्त से लगातार इस बस की स्थिति यही है. पिछले साल नौ अगस्त से लगभग 20 दिनों के लिए खराब थी. जिसे बाद में ठीक कराया गया. नवंबर में बस की खराबी की खबर फिर से आयी. इसे ठीक कराया गया लेकिन इस साल 17 जनवरी से यह बस फिर से बंद पड़ी है.
हांलाकि स्वास्थ्यकर्मियों के मुताबिक बीच में कुछ दिनों के लिए बस ब्लड कलेक्ट करने जाती थी. लेकिन बाद में फिर खराबी हुई और बस मार्च महीने से परिसर में पड़ी हुई है. कुछ समाजिक संगठनों ने पिछले साल ही इस बस को ठीक कराने का प्रयास किया. लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण अब तक बस की मरम्मत नहीं हो पायी.
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महीनों से खड़ी है करोड़ों की बस
बस की यह स्थिति कई महीनों से यही है. बस की लागत एक करोड़ 60 लाख के आस पास है. जिससे सप्ताह में चार दिन ब्लड कलेक्ट किया जाता था. इस बस से राज्य भर में कैंप लगाये जाते थे. जिससे एक बार में 70 यूनिट ब्लड कलेक्ट किया जाता है. बस में डोनेटर के आराम से ब्लड डोनेट करने से लेकर उसके क्लेकशन और उपकरणों की भी सुविधा है.
जानकारी मिली है कि बस में प्रेशर नहीं बनने की समस्या है. पिछले साल अगस्त में इसके मरम्मत के लिये पंजाब से कारीगर बुलाने की बात की गयी थी. सामाजिक संगठन ‘लहू बोलेगा’ के संयोजक नदीम खान ने कहा कि राज्य में यह एक मात्र ब्लड डोनेशन का बस है. वो भी अत्याधूनिक सुविधाओं से लैस. बार-बार की खराबी चिंताजनक है. ऐसी सेवाओं के प्रति स्वास्थ्य विभाग को सजग होना चाहिये. विभाग के द्वारा ऐसा काम उनकी लापरवाही को दर्शाता है.
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किसके जिम्मे है बस की देख रेख
नौ साल पहले झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी की ओर से यह बस राज्य सरकार को दी गयी. तब से इस बस के जरिये कई बार ब्लड डोनेशन कैंप का आयोजन किया गया. झारखंड स्टेट एड्स कंट्रोल सोसायटी के अधिकारियों से बस की खराबी के बारे में बात करने की कोशिश की गयी. लेकिन किसी ने जवाब देना उचित नहीं समझा.
इतना ही नहीं, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन अंतर्गत एफआरयू यूनिट इस बस के लिये जिम्मेवार है. लेकिन यहां भी जिम्मेवार अधिकारियों ने जानकारी देने से इंकार कर दिया. मालूम यह बस राज्य की एकमात्र अत्याधूनिक बस है, जिसमें 70 यूनिट ब्लड एक बार में कलेक्ट किया जा सकता है.