
- आठवीं और नौवीं बोर्ड में अधिकांश छात्र अंग्रेजी में फेल हैं हुए
Chhaaya: स्कूली स्तर पर छात्रों को बेहतर शिक्षा मिले, इसके लिए जरूरी है कि स्कूलों में शिक्षकों की संख्या पर्याप्त हो. राज्य में अलग-अलग योजनाएं तो चलायी जा रही हैं, लेकिन शिक्षकों की संख्या की भरपाई कैसे की जाये इस पर ध्यान नहीं दिया जा रहा.
साल 2016 में शिक्षकों की नियुक्ति तो कि गयी लेकिन फिर भी राज्य में शिक्षकों की काफी कमी है. वर्तमान में राज्य के सरकारी स्कूलों में आठवीं कक्षा तक में लगभग 18,000 शिक्षकों की कमी है.



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इसकी जानकारी राइट टू एजुकेशन फोरम के सर्वे से हुई. जिसमें यह बताया गया है कि राज्य में आठवीं कक्षा तक पढ़ने वाले छात्रों की संख्या लगभग 50 लाख है. ऐसे में पारा शिक्षकों की संख्या 67,000 है. वहीं रेगूलर शिक्षकों की संख्या मात्र 32,000 है.
राज्य में इन शिक्षकों की बहाली के लिए नियुक्ति निकाली नहीं जाती है. जिससे ऐसी स्थिति बनी हुई है. जबकि राज्य में बीएड कर जेटेटे और टेट पास करने के बाद भी छात्रों की नौकरी नहीं लगती.
प्रत्येक 30 छात्र पर हो एक शिक्षक
राइट टू एजुकेशन के तहत प्रत्येक 30 छात्र पर एक शिक्षक की बहाली होनी चाहिए. ऐसे में राज्य इस मानक को पूरा नहीं करता. छात्रों की संख्या के अनुसार देखा जाये तो काफी शिक्षकों की कमी है.
फोरम की ओर से इसी मानक के आधार पर सर्वे किया गया. पारा शिक्षकों के जरिये छात्रों को पढ़ा तो दिया जा रहा है, लेकिन इनकी नियुक्ति भी रेगूलर नहीं होने पर इस संख्या में कमी आ रही है.
वहीं समय-समय पर शिक्षकों के आंदोलन से राज्य के शिक्षा स्तर में गिरावट आयी है.
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जैक आठवीं और नौवीं बोर्ड में अंग्रेजी में सबसे अधिक फेल हुए छात्र
राज्य में शिक्षकों की स्थिति का यह आलम है कि यहां भाषा के आधार पर शिक्षकों की नियुक्ति नहीं कि जा रही. पिछले दिनों झारखंड अद्यिविद्य काउंसिल की ओर से आठवीं और नौवीं बोर्ड परीक्षा का रिजल्ट जारी किया गया.
जिसमें जानकारी हुई कि कक्षा आठ में 29 प्रतिशत और नौ में 28 प्रतिशत छात्र अंग्रेजी विषय में फेल हुए. दूसरी ओर, राइट टू एजूकेशन के तहत प्रत्येक स्कूल में तीन स्नातक प्रशिक्षित शिक्षकों का होना आवश्यक है.
जिसमें से भाषा विशेषज्ञ एक शिक्षक की नियुक्ति जरूरी है. लेकिन राज्य के अधिकांश स्कूलों में हिंदी विषय के ही शिक्षक नियुक्त हैं. जबकि यहां अंग्रेजी, संस्कृत और उर्दू भी पढ़ायी जाती है.
नये शिक्षक के तौर पर पहले से पढ़ा रहे पारा शिक्षकों को ही नियुक्त किया गया
साल 2016 में राज्य में 16,000 शिक्षकों की नियुक्ति की गयी. जिसमें पहले से ही कार्यरत पारा शिक्षक जो जेटेट निकाल चुके थे उन्हें नियुक्त किया गया. जिनकी संख्या लगभग 10,000 रही.
वहीं मात्र 6,000 शिक्षकों को अलग से नियुक्त किया गया. ऐसे में फिर से शिक्षकों का अनुपात जस का तस रहा और शिक्षकों की कमी पूरी नहीं हो पायी.
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