
- कहा- सभी बीडीओ-सीओ पर आरोप लगाना उचित नहीं, सभी अफसरों का गिर गया है मनोबल
- सरकार को दिया अल्टीमेटम, कहा- 16 सूत्री मांगों पर 14 जनवरी तक निर्णय नहीं, तो 15 जनवरी से होगा आंदोलन
Ranchi : झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ने सीएम रघुवर दास के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. संघ के कार्यकारी अध्यक्ष रामकुमार सिन्हा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि सीधी बात कार्यक्रम में सीएम रघुवर दास द्वारा बिना तथ्यों की जांच किये यह कहना कि सभी बीडीओ-सीओ भ्रष्ट हैं, इनके कारण सरकार की बदनामी हो रही है. यह कहना कहीं से भी उचित नहीं है. इससे राज्य सेवा के पदाधिकारियों का मनोबल गिरा है. अगर कोई अफसर दोषी पाया जाता है और व्यक्तिगत तौर पर उस पर कार्रवाई होती है, तो झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ऐसे मामलों पर कभी हस्तक्षेप नहीं करता. सीएम की इस बात से क्षेत्रीय पदाधिकारियों में काफी आक्रोश है. वे वाट्सएप पर भी अपना आक्रोश प्रदर्शित कर रहे हैं. सिन्हा ने कहा कि सीएम भविष्य में इस तरह का बयान बिना जांच न दें.
असुरक्षित महसूस कर रहे हैं बीडीओ-सीओ


झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ने कहा कि सभी जगह बीडीओ-सीओ असुरक्षित महसूस कर रहे हैं. जनप्रतिनिधियों द्वारा उनके साथ दुर्व्यव्यवहार किया जा रहा है. अंचल गार्ड की भी प्रतिनियुक्ति नहीं की गयी है. वहीं, मनरेगा आयुक्त ने एक आदेश जारी कर दिया है कि एफटीओ का काम बीडीओ ही करेंगे. जबकि, यह काम मुखिया को करना था. ऐसे में कहीं न कहीं बीडीओ ही फंसेंगे. 2009 से ही बिहार की तर्ज पर बीडीओ-सीओ के पद को छोड़ने की मांग हो रही है, लेकिन अब तक इस पर कार्रवाई नहीं हुई.




सभी जिलों में एडीएम और एसडीओ के पद खाली
संघ के कार्यकारी अध्यक्ष राम कुमार सिन्हा ने कहा कि प्रोन्नति नहीं होने के कारण सभी जिलों में एडीएम और एसडीओ के पद खाली हैं. अफसरों की सेवा संपुष्ट नहीं हुई है. विशेष सचिव के 10 पदों पर एक बार में अफसरों को पदस्थापित नहीं किया गया है. अपर सचिव होते-होते अफसर रिटायर हो जाते हैं. इसके लिए दो बार सीएम, तीन बार मुख्य सचिव और पांच-छह बार कार्मिक सचिव से भी मिला गया, लेकिन कार्रवाई नहीं हुई.
14 तक मांगों पर विचार नहीं, तो आंदोलन
झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ ने सरकार को अल्टीमेटम दिया है कि अगर 14 जनवरी तक संघ की 16 सूत्री मांगों पर निर्णय नहीं लिया गया, तो 15 जनवरी से आंदोलन शुरू होगा. हड़ताल भी की जायेगी. सरकार जो चार साल की उपलब्धि गिना रही है, उसमें राज्य प्रशासनिक सेवा के अफसरों की भी अहम भूमिका है.
क्या हैं झारखंड प्रशासनिक सेवा संघ की मांगें
- वेतन विसंगति दूर करना.
- अनुमंडल पदाधिकारी व एडीएम के समकक्ष रिक्त पदों पर प्रोन्नति.
- जेपीएससी द्वारा चयनित अफसरों की सेवा संपुष्टि व प्रोन्नति.
- विशेष सचिव में प्रोन्नति के लिए एक बार कालावधि करना.
- मनरेगा के तहत बीडीओ को एफटीओ कार्य से मुक्त करना.
- बिहार की तर्ज पर राज्य प्रशासनिक सेवा को प्रीमियर सेवा घोषित करना.
- झारखंड राजस्व व ग्रामीण सेवा का गठन.
- लंबे समय से निलंबित पदाधिकारियों को निलंबन मुक्त करना.
- हर अंचल में अंचल गार्ड की प्रतिनियुक्ति.
- रेवेन्यू अथॉरिटी प्रोटेक्शन एक्ट को पारित करना.
- राज्य सेवा के अफसरों को आयुष्मान योजना से जोड़ना.
- केंद्र व बिहार सरकार की तर्ज पर चाइल्ड केयर लीव का प्रावधान करना.
- केंद्र की तरह एलटीसी की सुविधा.
- विभिन्न कोटि के विभिन्न पदों के अनुरूप पदस्थापन.
- हर साल के लिए प्रोन्नति हेतु पैनल तैयार करना.
- कोर कैपिटल एरिया में संघ के कार्यालय भवन के लिए तीन एकड़ जमीन उपलब्ध कराना.
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