
Ranchi: झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड ने 17 फरवरी को वर्ष 2007 में नियुक्त लेखा लिपिकों, पत्राचार लिपिकों, भंडार सहायकों के पद पर कार्यरत लगभग 60 लोगों के स्थानांतरण संबंधी आदेश जारी किया है.
कार्मिक सह सामान्य प्रशासन महाप्रबंधक द्वारा आदेश वैधानिक रूप से सही है. पर विभागीय प्रावधानों के अनुसार तीन सालों से अधिक समय तक किसी पदाधिकारी, कर्मचारी के स्थानांतरण के मामले में उसका ट्रांसफर किये जाने की शर्तों का ध्यान रखे जाने में गंभीरता नहीं बरती गयी है.
2007 से पूर्व और इसके बाद के भी वर्षों में तबादले के लिए निर्धारित प्रावधानों का अनुपालन नहीं हो सका है.
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तीन वर्षों पर स्थानांतरण का है विभागीय प्रावधान
बिहार स्टेट इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड, पटना (डिपार्टमेंट ऑफ जेनरल एडमिनिस्ट्रेशन, स्टैंडिंग ऑर्डर नं रा./रा.स.-2755/99/822 इबी., दिनांक 17-12-99) में पदाधिकारियों, कर्मचारियों के समय-समय पर स्थानांतरण और अन्य मामले के बारे में स्पष्ट सूचना दी गयी है.
इसके अनुसार सक्षम प्रशासनिक पदाधिकारी यह सुनिश्चित करेंगे कि जिन पदाधिकारियों/कर्मचारियों ने नियत तीन वर्ष की अवधि पूरी कर ली हो, उनके स्थानांतरण मामले में आवश्यक कार्रवाई जरूर हो.
झारखंड ऊर्जा विकास निगम लिमिटेड और उसकी अनुषंगी इकाइयों में इसका अनुपालन सुनिश्चित रूप से होता हुआ नहीं दिखता.
जानकारी के अनुसार 2016-17 में ही एक बार झारखंड उर्जा विकास निगम लिमिटेड की ओर से कई प्रशासनिक एवं लेखा कर्मचारियों का सामूहिक तौर पर स्थानांतरण किया गया था. इसके बाद फिर कभी भी ऐसा नहीं हुआ.
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2000 से अब तक मुख्यालय में ही जमे हैं कई पदाधिकारी
झारखंड उर्जा विकास निगम लिमिटेड में कई पदाधिकारी, कर्मचारी ऐसे हैं जो राज्य गठन के समय से ही अब तक धुर्वा स्थित मुख्यालय में ही पदस्थापित हैं. यानि वे बीस बरसों से रांची में ही जमे हुए हैं.
ऐसे लोगों की संख्या तकरीबन 40 या इससे ज्यादा भी हो सकती है. पदस्थापन के समय एडीओ/सहायक के पद पर वे थे. कुछ लोग लेखा सहायक/लेखा पदाधिकारी, सहायक इंजीनियर पदों पर भी आये.
कालांतर में रांची मुख्यालय में ही रहते हुए चार-चार प्रमोशन का लाभ उन्हें मिल गया. आज वे प्रशासनिक पदाधिकारी/लेखा पदाधिकारी/डीजीएम/उपमहाप्रबंधक के पद पर दायित्वों का निर्वाहन कर रहे हैं.
अब ऐसे लोग पांचवें प्रमोशन का लाभ लेने की कगार पर भी आ चुके हैं. इनमें से कुछ पदाधिकारियों, कर्मचारियों पर प्रोन्नति में अनियमितता, टेंडर में धांधली, विभाग को आर्थिक क्षति पहुंचाने का आरोप भी लग चुका है.
इसके विरूद्ध वैधानिक जांच भी जारी है. इसके बावजूद ऐसे लोगों के तबादले मामले में निगम मेहरबान रहा है.
ऐसे कुछ पदाधिकारी और कर्मचारी जो लंबे समय से एक ही जगह पर टिके हुए हैं, उनमें से कुछ नाम इस प्रकार हैं:
नाम | पदनाम | कब से कार्यरत |
अरविंद भारती | कार्यालय अधीक्षक | 2000 |
अनिल पंडित | कार्यालय अधीक्षक | 2002 |
अशोक कुमार सुमन | प्रशासी पदाधिकारी | 2002 |
गौतम कुमार दास | प्रशासी पदाधिकारी | 2002 |
माखन मंडल | प्रशासी पदाधिकारी | 2002 |
राजेश कुमार राज | प्रशासी पदाधिकारी | 2002 |
अजय कुमार | लेखापाल | 2002-03 |
अजय कुमार | उप महाप्रबंधक, वित्त एवं लेखा | 2003-04 |
अनिता कुमारी | विद्युत अधीक्षण अभियंता | 2003-04 |
अशोक कुमार सिन्हा | उप महाप्रबंधक | 2005 |
अंजना कुमारी | विद्युत अधीक्षण अभियंता | 2007 |
शिव श्रीवास्तव | वरीय प्रबंधक, वित्त एवं लेखा | 2008 |
दिलीप कुमार | कार्यालय अधीक्षक | 2009 |
राकेश लखोटिया | उपमहाप्रबंधक, वित्त एवं लेखा | 2009 |
प्रवीण रजक | प्रशासी पदाधिकारी | 2010 |
जेपी गुप्ता | वरीय प्रबंधक, वित्त एवं लेखा | 2013 |
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