
NewDelhi : केंद्र सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों के साथ-साथ क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) के एकीकरण की प्रक्रिया शुरू करने की कवायद में है. बता दें कि घाटे में चल रही बैंकिंग व्यवस्था को फिर से पटरी पर लाने के लिए सरकार बैंकों का विलय करने की प्रक्रिया कर रही है. अभी हाल ही में तीन राष्ट्रीय बैंकों का विलय किया गया है. इस क्रम में सरकार की नजर अब ग्रामीण बैंकों पर है. खबरों के अनुसार सरकार का इरादा आरआरबी की मौजूदा संख्या 56 से घटाकर 36 करने का है. जानकारी के अनुसार केंद्र ने इस संबंध में राज्यों के साथ विचार विमर्श शुरू किया है. क्योंकि देश में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के राज्य भी प्रायोजक हैं. इसके अलावा प्रायोजक बैंक किसी एक राज्य के अंदर स्थित आरआरबी के आपस में विलय की रूपरेखा भी बना रहे हैं.
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विलय से इन बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधारी जा सकेगी


यह घटनाक्रम इस दृष्टि से महत्वपूर्ण बताया गया है कि सरकार ने इसी माह बैंक आफ बड़ौदा, विजया बैंक और देना बैंक के विलय की प्रक्रिया शुरू की है. आरआरबी के प्रस्तावित एकीकरण के तहत उनकी संख्या 56 से घटाकर 36 पर लायी जायेगी. इससे आरआरबी की दक्षता और उत्पादकता बढ़ेगी और साथ ही इन बैंकों की वित्तीय स्थिति सुधारी जा सकेगी. साथ ही वित्तीय समावेशन को बेहतर किया जा सकेगा. इस प्रक्रिया से ग्रामीण इलाकों में कर्ज का प्रवाह बढ़ सकेगा. बता दें कि क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों का गठन आरआरबी अधिनियमन 1976 के तहत किया गया है. ग्रामीण बैंकों का मकसद छोटे किसानों, कृषि श्रमिकों और ग्रामीण क्षेत्र में कारीगरों को कर्ज सहित अऩ्य सुविधाएं मुहैया कराना है




इस कानून में 2015 में संशोधन किया गया. इसके तहत इन बैंकों को केन्द्र, राज्य सरकारों और प्रायोजक बैंक के अलावा दूसरे स्रोतों से पूंजी जुटाने की अनुमति दी गई. वर्तमान में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों में केन्द्र सरकार की हिस्सेदारी 50 प्रतिशत है जबकि 35 प्रतिाश्त हिस्सेदारी संबंधित प्रायोजक बैंक की और 15 प्रतिशत राज्य सरकार की हिस्सेदारी है.