
Uday Chandra Singh
New Delhi: भारत को अपना ठिकाना बना रहे बांग्लादेशी रोहिंग्या मुसलमान अब तेजी से उत्तर प्रदेश को अपना ठिकाना बना रहे हैं. रोहिंग्या मुसलमानों को बड़े ही सुनियोजित तरीके से यूपी में बसाने का काम चल रहा है. माना जा रहा है यूपी में आगामी विधानसभा चुनाव से पहले बड़ी संख्या में रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने की तैयारी है. इसका खुलासा हफ्ता पहले गाजियाबाद में पकड़े गए रोहिंग्या नागरिक आमिर हुसैन और नूर आलम की गिरफ्तारी के बाद हुआ है. सुरक्षा एजेंसियां दोनों को लखनऊ ले जाकर पूछताछ कर रही है. इस पूछताछ में कई अहम खुलासे हुए हैं.
इसे भी पढ़ेंःमदद की दरकारः बेटे को चाहिये 17 करोड़ का इंजेक्शन, दर-दर भटक रहा है लाचार पिता


पूछताछ के दौरान पता चला है कि रोहिंग्या मुसलमानों को बसाने का सारा काम आमिर हुसैन नाम का शख्स कर रहा है जो दिल्ली के खजूरी खास इलाके में रहता है. यह शख्स अवैध तरीके से रोहिंग्या मुसलमानों को को भारत में एंट्री कराता है.


पलिस सूत्रों के मुताबिक रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को यूपी में ठिकाना बनाने के लिए प्रेरित किया जा रहा है. विधानसभा चुनाव से पहले इन सभी को राशन कार्ड और पैन कार्ड बनवा कर वोटर लिस्ट नें उनके नाम जोड़ने की तैयारी है, जिससे यूपी में चुनाव में इनकी भागीदारी बन जाए और है और एक बड़ा वोट बैंक भी तैयार हो जाए.
सुरक्षा एजेंसियों की मुश्किल ये है कि रोहिंग्या इस समय यूपी के हर विधानसभा क्षेत्र में बस रहे हैं, लेकिन इनकी पहचान कर पाना इस वजह से मुश्किल है, क्योंकि इनके पास आधार कार्ड और वोटर कार्ड तथा अन्य राशन संबंधी कार्ड मौजूद रहते हैं. जिससे वह आम जनता में घुल-मिल जाते हैं और चुनाव में वोटिंग भी कर सकते हैं.
इसे भी पढ़ेंःCorona Update: दूसरी लहर में पहली बार 24 घंटे में झारखंड में कोई मौत नहीं, जानें-क्या है राज्य की स्थिति
गाजियाबद में हुई गिरफ्तारी और खुलासे के बाद सुरक्षा एजेंसियों की चिंता इस वजह से बढ़ गई है क्योंकि एटीएस ने इसी साल 6 जनवरी को संत कबीर नगर जिले के समर्थन गांव में बसे रोहिंग्या अजीजुल्लाह को गिरफ्तार किया था. जिसके बाद 28 फरवरी को अलीगढ़ के कमेला रोड पर रहे मोहम्मद फारुख और हसन को पकड़ा था. फिर फारुख के भाई शाहिद को एक मार्च को उन्नाव से दबोचा गया. इसके साथ ही साथ अन्य तार जोड़ते हुए शाहिद के बहनोई जुबेर के बारे में भी जानकारी मिली, लेकिन वह एटीएस के हाथ नहीं लगा. शाहिद के पास से 5 लाख रुपये के साथ भारतीय नागरिकता से जुड़े कई दस्तावेज मिले थे, जो फर्जी तरीके से बनाए गए थे. इन सब से पूछताछ में बांग्लादेशी रिश्तेदारों की बात सामने निकल कर आई थी और बताया गया था यहां पर वो अपने रिश्तेदारों की मदद से रहने आए थे. बाद में इनके सहारे हजारों रोहिंग्या यहां आ आ कर बस गए.