
New Delhi: अर्थव्यवस्था की सुस्त चाल का असर माइनिंग सेक्टर पर भी पड़ने लगा है. दरअसल, प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष तौर पर मर्चेंट माइंस के बंद होने से बड़ी तादाद में लोगों के नौकरी जाने का खतरा मंडरा रहा है.
माइनिंग सेक्टर के 2 लाख 60 हजार से ज्यादा लोगों की नौकरी पर खतरा मंडर रहा है. ढाई लाख से ज्यादा लोगों के बेरोजगार होने की आशंका वाली खबर ऐसे समय पर आई है जब देश 40 साल के अपने सबसे खराब रोजगार संकट की गिरफ्त में है.
बेरोजगारी दर बढ़कर 6.1 फीसदी


नेशनल सैंपल सर्वे ऑर्गनाइजेशन (एनएसएसओ) के आंकड़ों के अनुसार, बेरोजगारी की दर 2011-12 में 2.2 प्रतिशत से बढ़कर 2017-18 में 6.1 प्रतिशत हो गई, वर्कफोर्स 47 मिलियन कम हो गया. जबकि इस दौरान श्रम बल की भागीदारी दर 55.9 प्रतिशत से घटकर 49.8 प्रतिशत रह गई.




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मार्च 2020 तक 329 खनन पट्टे की वैधता होगी खत्म
बिजनेस स्टैंडर्ड की एक खबर के मुताबिक, मार्च 2020 तक 329 खनन पट्टों की वैधता समाप्त हो रही है. जिससे 2 लाख 64,000 नौकरियां जाने का खतरा है.
वहीं लैप्सिंग माइंस की सूची में 48 ऑपरेटिव पट्टे हैं, जिनके बंद होने से कच्चे माल की आपूर्ति प्रभावित होगी और इसमें लगभग 60 मिलियन टन (एमटी) की कमी होगी. जिसमें लौह अयस्क में सबसे ज्यादा कमी होगी.
वहीं दूसरी तरफ ओडिशा, झारखंड, गोवा और कर्नाटक पर शीर्ष न्यायालय में खनन पर आदेश से लगभग 200,000 लोगों की रोजी-रोटी छिन गई है. आदेशों का यह भी अर्थ था कि प्रत्यक्ष रोजगार के पूल के 10 गुना की आजीविका प्रभावित हुई थी. जबकि सर्वोच्च न्यायालय द्वारा पारित एक आदेश ने गोवा में खनन पर रोक लगा दी.
फेडरेशन ऑफ इंडियन मिनरल इंडस्ट्रीज (फीमी) के जनरल सेक्रेटरी आर के शर्मा के मुताबिक, माइनिंग सेक्टर में मौजूदा मांग की लोच 0.52 प्रतिशत है जो कि कृषि क्षेत्र से ज्यादा है. माइनिंग सेक्टर कृषि सेक्टर की तुलना में 13 गुना ज्यादा रोजगार सृजन करता है.
जीडीपी में हर 1 प्रतिशत की वृद्धि के लिए विनिर्माण क्षेत्र की तुलना में छह गुना अधिक रोजगार पैदा कर सकता है, जो अपेक्षाकृत उच्च रोजगार सृजन क्षमता की ओर इशारा करता है.’
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गौरतलब है कि देश के माइनिंग सेक्टर देश के खनन क्षेत्र (पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस को छोड़कर) ने 2012 में 2.32 मिलियन को सीधे रोजगार दिया और 23 मिलियन की आजीविका को बनाए रखा. योजना आयोग की 12 वीं पंचवर्षीय योजना (2012-17) के अनुसार, खनन क्षेत्र में 0.52 प्रतिशत का रोजगार है, जो कृषि के लिए 0.04 प्रतिशत से अधिक है और विनिर्माण के लिए 0.09 प्रतिशत है.
हालांकि मंदी की मार से दूसरे सेक्टर भी बुरी तरह प्रभावित हैं. कई हजार लोगों को नौकरी छिन गयी है. ऑटोमोबाइल सेक्टर बुरी तरह प्रभावित है.
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