
London : किसान आंदोलन में अब ब्रिटेन की इंट्री हो गयी है. खबर है कि ब्रिटेन के भारतीय मूल और पंजाब से संबंध रखने वाले 36 सांसदों ने कृषि बिलों को लेकर पीएम मोदी के साथ इस मुद्दे को उठाने की बात कही है. इन सांसदों ने विदेश सचिव डॉमिनिक रैब को लिखा है कि वे किसान आंदोलन को लेकर पीएम मोदी से चर्चा करें.
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लेबर सांसद तन्मनजीत सिंह ढेसी ने पत्र लिखा
लेबर सांसद तन्मनजीत सिंह ढेसी द्वारा लिखे गये पत्र में रैब के साथ बैठक करने की मांग की गयी है. बता दें कि पत्र पर हस्ताक्षर करने वाले नेताओं में लेबर, कंजरवेटिव और स्कॉटिश नेशनल पार्टी के पूर्व श्रम नेता जेरेमी कॉर्बिन, वीरेंद्र शर्मा, सीमा मल्होत्रा, वैलेरी वाज़, नादिया व्हिटोम, पीटर बॉटमली, जॉन मैककॉनेल, मार्टिन डॉकर्टी-ह्यूजेस और एलिसन थेवलिस शामिल हैं.
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सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए चिंता का विषय
पत्र के अनुसार यह मामला ब्रिटेन में सिखों और पंजाब से जुड़े लोगों के लिए विशेष रूप से चिंता का विषय है, कई ब्रिटिश सिखों और पंजाबियों ने अपने सांसदों के साथ इस मामले को उठाया, क्योंकि वे पंजाब में परिवार के सदस्यों और पैतृक भूमि से सीधे प्रभावित थे.
कहा कि कई सांसदों ने हाल ही में भारतीय उच्चायोग को भारत के तीन कृषि कानूनों के प्रभाव के बारे में लिखा था. पत्र में आरोप लगाया गया है कि वे किसानों को शोषण से बचाने और उनकी उपज का उचित मूल्य सुनिश्चित करने में विफल साबित हुए हैं.
यह भी बता दें कि ब्रिटिश सांसद सोशल मीडिया पर किसान आंदोलन को लेकर टिप्पणी भी कर रहे हैं. बर्मिंघम एजबेस्टन की लेबर सांसद और ब्रिटिश सिखों के लिए ऑल पार्टी पार्लियामेंट्री पार्टी की अध्यक्ष प्रीत कौर गिल ने दिल्ली के विरोध प्रदर्शन की तस्वीरों पर प्रतिक्रिया व्यक्त की.
कहा कि यह उन नागरिकों के साथ व्यवहार करने का कोई तरीका नहीं है जो भारत में विवादास्पद किसान विधेयक पर शांतिपूर्ण तरीके से विरोध कर रहे हैं. कहा कि वाटर कैनन और आंसू गैस का इस्तेमाल उन्हें चुप कराने के लिए किया जा रहा है.
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भारत ने कनाडा को चेताया था
जान लें कि विदेश मंत्रालय ने शुक्रवार को कनाडा के हाई कमिश्नर को तलब कर बताया कि कनाडा के पीएम जस्टिन ट्रूडो, कुछ कैबिनेट मंत्रियों और सांसदों की ओर से भारतीय किसानों पर बयानबाजी हमारे आंतरिक मामलों में दखल है. यह अस्वीकार्य हस्तक्षेप है, विदेश मत्रालय ने यह भी कहा कि यदि यह जारी रहा तो भारत और कनाडा के रिश्तों पर इसके गंभीर परिणाम होंगे.