
Ranjan jha
Dhanbad: आईएसएम आईआईटी के रिसर्च स्कॉलर रंजन राठी के सुसाइड ने आईएसएम स्टुडेंट्स के साथ ही संवेदनशील लोगों को झकझोर दिया है.
कई सवाल उठे हैं…
पहला सवालः आईआईटी के छात्र क्यों आत्महत्याएं कर रहे हैं? क्या यह करियर का सर्वोच्च मुकाम नहीं? क्या यहां ऊंचे सपनों का स्खलन होता है या दबाव इतना ज्यादा है कि उसे बर्दाश्त कर पाना कठिन है?
दूसरा सवालः क्या समाज-परिवार की उपेक्षाएं यहां के छात्रों को विचलित करती है? आम मानवीय व्यवहार से भी इनको रोकती है?


तीसरा सवालः क्या संस्थान और सहपाठी एक दूसरे के सुख-दुख के हिस्सेदार नहीं होते? स्टुडेंट्स अपनी पीड़ा को लेकर घुटते रहते हैं? उन पर पढ़ाई का भी भारी दबाव होता है. इस कारण वे टूट जाते हैं?


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रंजन राठी के सुसाइड के बाद कैंपस में सन्नाटा
रंजन राठी के सुसाइट करने के बाद शनिवार को कैंपस में सन्नाटा छाया था. आईएसएम के छात्र के सुसाइड का यह दूसरा मामला है. रंजन प्रतिभाशाली था. उसके अच्छे करियर में कोई दाग नहीं था. इसका मतलब यह भी नहीं कि वह तनाव मुक्त था. सवाल है एक अच्छी जिंदगी का. यह सिर्फ पैसों से हासिल नहीं होती. इसके लिए और भी बहुत कुछ चाहिए. रंजन किसी को अपना जीवन संगनी बनाना चाहता था पर उसके माता-पिता को यह मंजूर नहीं था.
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आईआईटी में इतनी आत्महत्याएं क्यों?
अगर आईआईटी करियर का सर्वोच्च शिखर है तो क्या यहां जिंदगी के खिलाफ वातावरण है? पता नहीं इस सवाल का समुचित जवाब है कि नहीं. मगर, सच तो यह है कि देश के किसी न किसी आईआईटी में हर साल इक्का-दुक्का स्टुडेंट आत्महत्या कर रहे हैं. इसमें सबसे आगे आईआईटी कानपुर है. आईआईटी खड़गपुर में चार से ज्यादा स्टुडेंट्स ने आत्महत्या की है. आईआईटी बंबई, मद्रास, गुवाहाटी, दिल्ली में भी स्टुडेंट आत्महत्या करते रहे हैं.
क्या वजह है सुसाइड की
- सीजीपीए का दबाव
- भावनात्मक सहयोग का अभाव
- प्लेसमेंट को लेकर समस्याएं
- कैंपस के बाहर गरीब पृष्ठभूमि से आने का मलाल
काउंसेलिंग की होगी व्यवस्था
आईएसएम आईआईटी ने रंजन राठी के सुसाइड के बाद कैंपस में समस्याग्रस्त स्टुडेंट्स की काउंसेलिंग के लिए एक केंद्र बनाने की योजना बनायी है. यह बिनोद बिहारी महतो कोयलांचल विश्वविद्यालय के मनोविज्ञान विशेषज्ञों द्वारा संचालित होगा. उम्मीद है कि यह कैंपस के स्टुडेंट्स के सुसाइड को रोकने में प्रभावी हो.