New Delhi: निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
उसने अपराध के समय नाबालिग होने के दावे वाली अपनी याचिका को खारिज किये जाने के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने नाबालिग होने के अपने दावे को खारिज करने के, दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
मामले में पवन की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 20 जनवरी के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को अपने मुवक्किल की ओर से एक याचिका दायर की.
याचिका खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि पवन की याचिका को खारिज करने वाले हाइकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और उच्च न्यायालय के साथ-साथ निचली अदालत ने उसके दावे को सही तरीके से खारिज किया.
कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका में पहले इस मामले को उठाया गया और शीर्ष न्यायालय ने पवन और अन्य सह-आरोपी विनय कुमार शर्मा के नाबालिग होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया.
सिंह ने दलील दी थी कि पवन के स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के अनुसार अपराध के समय वह नाबालिग था और निचली अदालत और हाइकोर्ट समेत किसी भी अदालत ने उसके दस्तावेजों पर कभी विचार नहीं किया.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पवन के नाबालिग होने के दावे का हर न्यायिक मंच पर विचार किया गया. अगर दोषी को बार-बार अपने दावे को उठाने दिया जाता है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा.
निचली अदालत ने मामले में सभी चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए दूसरी बार 17 जनवरी को ब्लैक वारंट जारी किया था. इससे पहले अदालत ने सात जनवरी को दिये एक आदेश में 22 जनवरी को फांसी दिये जाने का वारंट जारी किया था.
अभी केवल मुकेश ने दया याचिका समेत सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके खिलाफ अपील को सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को खारिज कर दिया था.
शीर्ष न्यायालय ने 30 जनवरी को दोषी अक्षय की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी. अन्य दोषी विनय ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जो अभी लंबित है.
सिंह ने एक फरवरी को फांसी दिये जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए निचली अदालत का भी रुख किया. उन्होंने कहा कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है.
गौरतलब है कि निर्भया के साथ 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह व्यक्तियों ने गैंगरेप के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था. बाद में निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी.
New Delhi: निर्भया गैंगरेप और हत्या मामले में मौत की सजा का सामना कर रहे चार दोषियों में से एक पवन गुप्ता ने शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है.
उसने अपराध के समय नाबालिग होने के दावे वाली अपनी याचिका को खारिज किये जाने के फैसले पर पुनर्विचार का अनुरोध किया. सुप्रीम कोर्ट ने 20 जनवरी को पवन की उस याचिका को खारिज कर दिया था जिसमें उसने नाबालिग होने के अपने दावे को खारिज करने के, दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले को चुनौती दी थी.
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क्या कहना है पवन के वकील का
मामले में पवन की ओर से पेश वकील ए पी सिंह ने कहा कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के 20 जनवरी के आदेश पर पुनर्विचार का अनुरोध करते हुए शुक्रवार को अपने मुवक्किल की ओर से एक याचिका दायर की.
याचिका खारिज करते हुए शीर्ष न्यायालय ने कहा था कि पवन की याचिका को खारिज करने वाले हाइकोर्ट के फैसले में हस्तक्षेप करने का कोई आधार नहीं है और उच्च न्यायालय के साथ-साथ निचली अदालत ने उसके दावे को सही तरीके से खारिज किया.
कोर्ट ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट के समक्ष पुनर्विचार याचिका में पहले इस मामले को उठाया गया और शीर्ष न्यायालय ने पवन और अन्य सह-आरोपी विनय कुमार शर्मा के नाबालिग होने के दावे वाली याचिका को खारिज कर दिया.
सिंह ने दलील दी थी कि पवन के स्कूल छोड़ने के प्रमाणपत्र के अनुसार अपराध के समय वह नाबालिग था और निचली अदालत और हाइकोर्ट समेत किसी भी अदालत ने उसके दस्तावेजों पर कभी विचार नहीं किया.
दिल्ली पुलिस की ओर से पेश हुए सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कहा था कि पवन के नाबालिग होने के दावे का हर न्यायिक मंच पर विचार किया गया. अगर दोषी को बार-बार अपने दावे को उठाने दिया जाता है तो यह न्याय का मखौल उड़ाना होगा.
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कुछ दोषियों ने अभी कानूनी उपायों का नहीं किया है
इस्तेमाल
निचली अदालत ने मामले में सभी चारों दोषियों मुकेश कुमार सिंह (32), पवन (25), विनय (26) और अक्षय (31) को एक फरवरी को सुबह छह बजे तिहाड़ जेल में फांसी देने के लिए दूसरी बार 17 जनवरी को ब्लैक वारंट जारी किया था. इससे पहले अदालत ने सात जनवरी को दिये एक आदेश में 22 जनवरी को फांसी दिये जाने का वारंट जारी किया था.
अभी केवल मुकेश ने दया याचिका समेत सभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल कर लिया है. राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने 17 जनवरी को उसकी दया याचिका खारिज कर दी थी और इसके खिलाफ अपील को सुप्रीम कोर्ट ने 29 जनवरी को खारिज कर दिया था.
शीर्ष न्यायालय ने 30 जनवरी को दोषी अक्षय की सुधारात्मक याचिका खारिज कर दी थी. अन्य दोषी विनय ने 29 जनवरी को राष्ट्रपति के समक्ष दया याचिका दायर की जो अभी लंबित है.
सिंह ने एक फरवरी को फांसी दिये जाने पर रोक लगाने की मांग करते हुए निचली अदालत का भी रुख किया. उन्होंने कहा कि कुछ दोषियों ने अभी कानूनी उपायों का इस्तेमाल नहीं किया है.
गौरतलब है कि निर्भया के साथ 16-17 दिसंबर, 2012 की रात में दक्षिण दिल्ली में चलती बस में छह व्यक्तियों ने गैंगरेप के बाद उसे बुरी तरह जख्मी हालत में सड़क पर फेंक दिया था. बाद में निर्भया की 29 दिसंबर, 2012 को सिंगापुर के एक अस्पताल में मृत्यु हो गयी थी.