
Avinash
Jamshedpur : आईआईटी खड़गपुर के शोधकर्ताओं ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि तेज हवाओं की वजह से समुद्र में ऊंची-ऊंची लहरें उठने के कारण तटवर्ती इलाकों को नुकसान पहुंचेगा. इसके साथ ही समुद्र का खारा पानी तटवर्ती इलाकों में पहुंच कर भूगर्भीय मीठे पानी से मिल जायेगा. इससे बड़े पैमाने पर फसलें नष्ट हो जाएंगी. इसका अर्थ-सामाजिक स्थिति पर प्रतिकूल असर होगा. रिपोर्ट में कहा गया है कि बंगाल की खाड़ी के तटवर्ती इलाकों में भी चक्रवाती तूफानों का सिलसिला भी तेज होगा. इन इलाको में समुद्री लहरों की ऊंचाई 0.4 मीटर तक बढ़ सकती है. रिपोर्ट में समुद्री जल के तापमान में वृद्धि का भी संकेत दिया गया है. इसका प्रभाव झारखंड समेत पश्चिम बंगाल राज्यों पर भी दिखेगा.
भारत सरकार के सहयोग से किया गया अध्ययन


भारत सरकार के विज्ञान व तकनीकी विभाग के सहयोग से क्लाइमेट चेंज प्रोग्राम (सीसीपी) के तहत किये गये इस अध्ययन में शामिल वैज्ञानिकों की टीम में आईआईटी खड़गपुर के डिपार्टमेंट ऑफ ओशन इंजीनियरिंग एंड नेवल आर्किटेक्चर के एथिरा कृष्णन व प्रसाद के भास्करन ने नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी दिल्ली में एप्लाइड साइंस विभाग के प्रशांत कुमार शामिल हैं. शोधकर्ताओं का कहना है कि दक्षिण भारत में समुद्र के किनारे बसे इलाकों में खासकर जून से अगस्त और फिर सितंबर से नवंबर के बीच तेज हवाएं चलने और समुद्र में ऊंची लहरें उठने की प्रवणता बढ़ेगी. उस इलाके में समुद्री लहरों की ऊंचाई कम से कम एक मीटर बढ़ने का अंदेशा है. उल्लेखनीय है कि आईआईटी खड़गपुर के वैज्ञानिकों जिया अल्बर्ट, विष्णुप्रिया साहू और प्रसाद के भास्करन की टीम ने विज्ञान व प्रौद्योगिकी विभाग के सहयोग से जलवायु परिवर्तन कार्यक्रम (सीसीपी) के तहत बीते साल चक्रवाती तूफानों का पहले से पता लगाने की एक नयी तकनीक ईजाद की थी. एटमॉस्फेरिक रिसर्च नामक पत्रिका में छपी इस शोध रिपोर्ट में कहा गया था कि इस तकनीक के जरिए उत्तर हिंद महासागर क्षेत्र के ऊपर बनने वाले उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का पता सेटेलाइट की सूचना से भी पहले लगाया जा सकेगा.




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