
Special Corrospondent
शहर के प्राइवेट स्कूलों के इंट्री क्लास में दाखिला का रिजल्ट जारी होते ही स्कूलों के प्रिंसिपल और प्रबंधन के पदाधिकारी अंडरग्राउंड हो गये हैं. अधिकतर प्राचार्यों ने अपने मोबाइल को स्विच ऑफ कर दिया है. एक स्कूल की प्रिंसिपल ने बताया कि रिजल्ट निकलते ही सिफारिशों के कॉल आने शुरू हो जाते हैं. हमारे लिए इस समय काम करना मुश्किल हो जाता है. जब फोन पर हम नहीं मिलते, तो कई नेता और अधिकारी स्कूल में आ धमकते हैं और गार्ड से बदतमीजी करने लगते हैं. इस समय हम केवल स्टूडेंट्स और पैरेंट्स को ही अंदर आने की इजाजत देते हैं, क्योंकि कई बार बाहरी आदमी एडमिशन नहीं होने पर हंगामा करना शुरू कर देता है. नाम नहीं छापने की शर्त पर एक प्रिंसिपल ने बताया कि अभिभावक सीधे आयें, तो कोई बात नहीं है, लेकिन आनेवालों में अधिकतर लोकल नेता और पुलिसवाले होते हैं. बड़े नेता तो अपने लेटर पैड पर लिखकर सिफारिश भेज देते हैं, लेकिन जो स्थानीय नेता होते हैं वे दाखिले के लिए अनावश्यक दबाव बनाते हैं.
बिचौलिये सक्रिय
सूची निकलते ही पैसे लेकर दाखिला कराने वाले बिचौलिए भा सक्रिय हो गये हैं. सूत्र बताते हैं कि बीपीएल के नाम पर सबसे ज्यादा खेल होता है और इसमें बिचौलियों से लेकर नेता और शिक्षा विभाग के कर्मचारी संलिप्त होते हैं. फर्जी आय प्रमाण पत्र बनाकर बीपीएल के नाम पर दाखिला कराया जाता है. स्कूल की हैसियत के हिसाब से डील होता है. शहर के एक मध्यम दर्जे के स्कूल में इस साल दाखिला कराने वाले एक पैरेंट ने बताया कि बच्चे को स्कूल ले जाने वाले ऑटो ड्राइवर ने उन्हें बताया कि आपका दाखिला फलां स्कूल में हो जायेगा, लेकिन आपको 80 हजार रुपया खर्च करना होगा. उस ऑटो वाले का एक नेता से संबंध था, जिसका नेटवर्क शिक्षा विभाग से था. आधे पैसे लेने के बाद फर्जी पता पर उनका आय प्रमाण पत्र बनाकर दाखिला हो गया. दाखिला होने के बाद फिर बाकी पैसे देने पड़े.
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