
Ranchi : लोकसभा चुनाव-2019 में बीजेपी के विजय रथ को रोकने के लिए पूरी तैयारी में जुटे झारखंड प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष डॉ. अजय कुमार ने महागठबंधन के सभी उम्मीदवारों की जीत का दावा किया है. वहीं टिकट नहीं मिलने से नाराज अपनी ही पार्टी नेताओं को नसीहत दी है कि अंदरूनी कलहों को दरकिनार कर वे उम्मीदवारों की जीत पर ध्यान दें.
चुनावी रणनीति और राज्य में पार्टी एवं उनके राजनीतिक भविष्य के विभिन्न विषयों पर उन्होंने न्यूज विंग संवाददाता नितेश ओझा से बातचीत की. पेश है बातचीत के अंश :
1. सवाल.. प्रदेश अध्यक्ष बनने के बाद यह आपका पहला आम चुनाव है. इसे आप किस रूप में दिखते हैं ?
जवाब.. जितने भी चुनाव अब तक हुए हैं, वह महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ चुनौतियों से भरे हुए थे. लोकसभा चुनाव 2019 को भी मैं ठीक उसी तरह से देखता हूं.
सवाल.. गोड्डा संसदीय सीट पर आपका क्या कहना है. अल्पसंख्यकों का नाम लेकर जामताड़ा विधायक इरफान अंसारी और पूर्व सांसद फुरकान अंसारी आपके नेतृत्व क्षमता पर सवाल उठाते रहे हैं. क्या इसका असर आम चुनाव में देखने को मिलेगा ?
जवाब.. कांग्रेस पार्टी ने कार्यकर्ताओं को बहुत कुछ दिया है. इरफान अंसारी को टिकट दिया, वे विधायक बने. फुरकान अंसारी को कई बार सांसद बनाया. दोनों ही अच्छे लीडर हैं. यहां तक की उन्हें खुद केंद्रीय नेतृत्व ने प्रदेश अध्यक्ष बनाया. जब पार्टी ने उन्हें इतना दिया है, तो कभी-कभी महागठबंधन की मजूबती के लिए काफी कुछ समझौता करना पड़ता है. यह पार्ट ऑफ लाइफ है. लेकिन अगर वे पार्टी विरोधी कोई भी बयानबाजी करते हैं, तो पार्टी हित में नहीं है. उन्होंने कहा कि जेवीएम को अगर गोड्डा सीट दी गयी, तो इसके पीछे जीत का अंतर बढ़ाना है. अगर जेवीएम को महागठबंधन में शामिल नहीं करते और उनके उम्मीदवार खड़े होते, तो उनके जनाधार को देख जीत-हार का मार्जिन ही खत्म हो जाता. ऐसे में महागठबंधन को नुकसान ही पहुंचता. जहां तक उनके नेतृत्व क्षमता की बात है, तो केवल प्रदेश अध्यक्ष ही महागठबंधन नहीं बनाते हैं, उसके पीछे केंद्रीय नेतृत्व से जुड़े भी कई लोग हैं.
सवाल.. ऐसी चर्चा है कि उम्मीदवारों के टिकट वितरण में आपकी बातों को अनदेखा किया गया है. या आपकी कम चली है. क्या यह सच है ?
जवाब.. यह अजीब स्थिति है. गोड्डा में मेरी चलती है, तो लोग हमको गाली दे रहे हैं. जिनका व्यक्तिगत स्वार्थ पूरा नहीं हुआ, उसे वे उसी तरह से परिभाषित करेंगे. कांग्रेस पार्टी में किसी के चलने और नहीं चलने की बात ही नहीं है. टिकट देने में प्रभारी, सह-प्रभारी और सीएलपी सभी का रोल होता है. एक-दूसरे से विचार करने के बाद ही उम्मीदवार का चयन होता है. मधु कोड़ा, सुखदेव भगत, सुबोधकांत, गोपाल साहु, काली चरण मुंडा आदि सभी के नामों की सहमति पर काफी विचार-विमर्श हुआ था.
सवाल.. महागठबंधन को अंतिम स्वरूप देने में पार्टी के अंदर या सहयोगी दलों के साथ किन कठिनाईयों का सामना करना पड़ा ?
जवाब.. नहीं ऐसी कोई बात नहीं है. ना ही उन्हें किसी तरह की कोई समस्या देखने को मिली. हर आदमी अगर अपने सीट की दृष्टिकोण से देखे, तब तो महगठबंधन बन ही नहीं पाता. अगर बीजेपी को रोकना है, तो हर व्यक्ति को अपने स्वार्थ को खत्म कर पार्टी के बारे में सोचना होगा.
सवाल.. भाजपा के साथ पार्टी का सीधा संघर्ष है. आप पार्टी के स्टार प्रचारकों की सूची में शामिल हैं. चुनावी भाषण के दौरान आप किस मुद्दे पर भाजपा को घेरेंगे ?
जवाब.. नरेंद्र मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जो देश को खतरा बता कर जनता को डराने का काम कर रहे हैं. इसके उलट अभी तक देश में जितने भी प्रधानमंत्री हुए हैं, उन्होंने जनता की हिम्मत ही बढ़ायी है. देश की कई चुनौतियां झेली है. पाकिस्तान के साथ कई युद्ध में हम विजय हुए हैं. पंजाब, असम, मिजोरम, तमिलनाडु और कश्मीर में आंतकवादियों का खत्म किया है. लेकिन बीजेपी के प्रधानमंत्री हमें डराकर, राष्ट्रवाद के नाम पर वोट मांग रहे हैं. वहीं कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी के न्यूनतम आय वाली योजना से बीजेपी वाले डर गये हैं. वे जानते है कि इसका सबसे ज्यादा फायदा झारखंड के गरीबों को होगा. जमशेदपुर में स्थानीय अखबार में छपी एक खबर से भी इसका संकेत मिलता है, जिसमें बीजेपी की सोच दर्शाती है कि अगर गरीब मध्यम वर्ग में शामिल हो जाए, तो इसकी स्थिति क्या होगी.
सवाल.. महागठबंधन का फार्मूला सफल होता है और पार्टी अधिक सीटों पर चुनाव जीतती है. तो क्या यही फार्मूला विधानसभा चुनाव में देखने को मिलेगा. या जेएमएम और जेवीएम पर सीट वितरण में पार्टी का प्रेशर ज्यादा देखने को मिलेगा ?
जवाब.. यह पहले ही तय है कि लोकसभा में कांग्रेस पार्टी और विधानसभा में जेएमएम अधिक सीटों पर चुनाव लड़ेगी. उस चुनाव में कांग्रेस, जेवीएम, आरजेडी, उसके बाद वाम दल को सीट मिलेगा. जहां तक कांग्रेस पार्टी के प्रेशर की बात है, तो जबान सबसे महत्वपूर्ण होता है. अगर व्यक्ति जबान पर कायम नहीं रहे, तो उनका क्या अस्तित्व है.
सवाल.. आप कहते हैं कि पार्टी को आयतित उम्मीदवारों की जरूरत नहीं है. लेकिन भाजपा की तरह कांग्रेस ने भी इस बार दो आयतित नेताओं (गीता कोड़ा और कीर्ति आजाद) को टिकट दिया है. कहा यह भी जाता है कि टिकट मिलने की शर्त पर उन्होंने कांग्रेस का दामन थामा. क्या पार्टी में कुछ नाराजगी है ?
जवाब.. आयतित क्या होता है. गीता कोड़ा तो काफी पहले ही शामिल हुईं थी. जबकि कीर्ति आजाद तो पहले से ही कांग्रेस में थे. आयतित तब होता है कि जब अन्नपूर्णा देवी जैसी उम्मीदवार अचानक दूसरे दल में शामिल हो जाए. टिकट मिलने की शर्त पर कांग्रेस में शामिल होने की बात पर कहा कि गीता कोड़ा के लिए तो ऐसी दूर-दूर तक बात नहीं है. कीर्ति आजाद तो कहीं और से चुनाव लड़ने वाले थे. केंद्रीय नेतृत्व के आदेश पर उन्हें धनबाद का टिकट दिया गया.
सवाल.. आपके भी चुनाव लड़ने की अटकलें काफी थी. जो कि नहीं हुआ. क्या अब आप विधानसभा चुनाव लड़ेंगे. अगर हां, तो उस चुनाव के बाद आपकी भूमिका क्या रहेगी?
जवाब.. जहां तक भूमिका का सवाल है, तो यह पार्टी तय करेगी. लेकिन इतना तय है कि मैं जमशेदपुर से विधानसभा चुनाव जरूर लडूंगा. मुख्यमंत्री और उपमुख्यमंत्री के रूप में पेश करने की बात पर कहा कि नीजि स्वार्थ सबसे खराब होता है. कार्यकर्ताओं को देश, प्रदेश और पार्टी को आगे बढ़ाने की सोच रखनी चाहिए न कि व्यक्तिगत. उनकी सोच इसी पर टिकी है.