
Ranchi: ‘पीएलजीए के हेके? पीएलजीए जल-जंगल जमीन केर लोडाई मेहेन दुश्मन केर हमला के प्रतिरोध कोरक तेहे. जनता केर सेना हेके.’ ये शब्द भाकपा माओवादी के पोस्टर में लिखे हुए मिले हैं.
दरअसल, नक्सलियों ने रांची और खूंटी जिले में कई स्थानों पर पोस्टर चिपकाये हैं, जो स्थानीय भाषा में लिखे हुए हैं. पोस्टर मिलने के बाद पुलिस प्रशासन चौकस हो गया है और इलाके में नक्सलियों के खिलाफ अभियान भी शुरू कर दिया है.
2020 साल के अंतिम दिन भाकपा माओवादियों ने रांची और खूंटी पुलिस को चुनौती देते हुए भारी संख्या में पोस्टरबाजी कर दहशत फैलाने का काम किया है. बुंडू, तमाड़ और खूंटी के सीमावर्ती इलाक़ों में नक्सलियों ने पंचपरगनिया भाषा मे लोगों को और पुलिस को ललकारा है.
अड़की थाना क्षेत्र के पूर्व शीर्ष माओवादी कुंदन पाहन के गांव बारीगड़ा, कोटामयपा, एरेडीह, और सलगाडीह चुरगी नहर के किनारे पेड़, पुल तथा झाड़ियों में अलग-अलग पोस्टर चिपकाये हैं.
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पोस्टर में भाकपा माओवादियों ने प्रतिबंधित नक्सली संगठन पीएलजीए को जनता की सेना और सेवक बताया है. माओवादियों ने पीएलजीए के माध्यम से ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए पोस्टर जारी कर पुलिस के खिलाफ अपने संगठन का विस्तार करने का प्रयास किया है.
बता दें कि माओवादियों ने दक्षिणी जोनल कमिटी भाकपा माओवादी के नाम से ग्रामीण इलाक़ों में पंचपरगनिया भाषा मे लिखा है, ‘ग्रामीण इलाका लेक सौब पुलिस कैम्प के तुरंत आपस कोरा.’ अर्थात माओवादी अब ग्रामीण इलाक़ों में बड़ी संख्या में पुलिस कैम्प के बनने से खौफजदा हैं.
पोस्टरबाजी के बाद बुंडू, तमाड़ और खूंटी के अड़की थाना क्षेत्र के इलाकों में दहशत का माहौल है. माओवादियों ने पोस्टर में भाकपा माओवादियों के शीर्ष पांच नेताओं का फोटो भी चस्पा किया है.
नक्सलियों के विरुद्ध लगातार रांची, खूंटी और चाईबासा पुलिस के संयुक्त अभियान से नक्सलियों में खौफ का माहौल है इसलिए ग्रामीणों को अपने पक्ष में करने के लिए माओवादियों ने पुलिस की पहुंच से दूर-दराज वाले इलाक़ों में पोस्टरबाजी कर दहशत फैलाने का काम किया है.
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