
New Delhi : कहते हैं ना जब किसी व्यक्ति की किस्मत खराब हो तो मुसीबतों को सिलसिला शुरू हो जाता है. इसका ताजा उदाहरण पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के मामले में देखा जा सकता है. अपने बड़बोलेपन के लिए मशहूर सिद्धू के भी अभी बुरे दिन चल रहे हैं. कुछ माह पहले उन्हें पंजाब प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष का पद छोड़ना पड़ा था. अब 34 साल पुराने रोडरेज के केस में सिद्धू को सुप्रीम कोर्ट ने 1 साल की सख्त सजा सुनाई है.
जानकारी हो कि सिद्धू के हमले में एक बुजुर्ग की मौत हो गई थी. कोर्ट ने 4 साल पहले दिए अपने फैसले को ही बदल दिया है. तब उन्हें 1 हजार रुपये का जुर्माना देकर छोड़ दिया गया था.
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सिद्धू को आज ही जेल जाना होगा


सजा सुनाये जाने के बाद सिद्धू को अब या तो गिरफ्तार किया जाएगा, या फिर वो सरेंडर करेंगे. पंजाब पुलिस को इस मामले में कानून का पालन करना होगा. सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू को सरेंडर या गिरफ्तारी पर रोक के लिए कोई राहत नहीं दी है. सिद्धू को आज ही जेल जाना होगा. सिद्धू को सजा काटने के लिए पटियाला जेल भेजा जा सकता है. सिद्धू कुछ देर पहले पटियाला स्थित अपने घर पहुंच गए हैं.




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सिद्धू बोले- कानून का फैसला स्वीकार
इस मामले में नवजोत सिद्धू की प्रतिक्रिया आ गई है. उन्होंने ट्वीट किया कि उन्हें कानून का फैसला स्वीकार है. सिद्धू इस वक्त पटियाला में हैं. वहां वह लीगल टीम से आगे के कदम के लिए चर्चा कर सकते हैं. जिस वक्त सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई और सजा सुनाई जा रही थी, सिद्धू महंगाई के मुद्दे पर केंद्र सरकार के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे थे. सिद्धू ने हाथी पर बैठकर प्रदर्शन किया था. सितंबर 2018 में उन्होंने सजा के खिलाफ रिव्यू पिटीशन दायर की थी.
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27 दिसंबर 1988 को हुआ था बुजुर्ग से झगड़ा
सिद्धू के खिलाफ रोडरेज का मामला साल 1988 का है. सिद्धू का पटियाला में पार्किंग को लेकर 65 साल के गुरनाम सिंह नामक बुजुर्ग व्यक्ति से झगड़ा हो गया. आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई. जिसमें सिद्धू ने कथित तौर पर गुरनाम सिंह को मुक्का मार दिया. बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई. पुलिस ने नवजोत सिंह सिद्धू और उनके दोस्त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर-इरादतन हत्या का मामला दर्ज किया.
सेशन कोर्ट ने किया था बरी, हाईकोर्ट ने दी सजा
इसके बाद मामला अदालत में पहुंचा. सुनवाई के दौरान सेशन कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू को सबूतों का अभाव बताते हुए 1999 में बरी कर दिया था. इसके बाद पीड़ित पक्ष सेशन कोर्ट के फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट पहुंच गया. साल 2006 में हाईकोर्ट ने इस मामले में नवजोत सिंह सिद्धू को तीन साल कैद की सजा और एक लाख रुपए जुर्माने की सजा सुनाई थी.
सुप्रीम कोर्ट ने जुर्माना लगाकर छोड़ा था
हाईकोर्ट से मिली सजा के खिलाफ नवजोत सिद्धू सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए. सुप्रीम कोर्ट ने 16 मई 2018 को सिद्धू को गैर इरादतन हत्या के आरोप में लगी धारा 304IPC से बरी कर दिया. हालांकि, IPC की धारा 323, यानी चोट पहुंचाने के मामले में सिद्धू को दोषी ठहरा दिया गया. इसमें उन्हें जेल की सजा नहीं हुई. सिद्धू को सिर्फ एक हजार रुपये जुर्माना लगाकर छोड़ दिया गया.
पीड़ित परिवार की यह मांग
सुप्रीम कोर्ट के इसी फैसले के खिलाफ अब मृतक के परिवार ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की है. उनकी मांग है कि हाईकोर्ट की तरह सिद्धू को 304IPC के तहत कैद की सजा होनी चाहिए. सुप्रीम कोर्ट ने इस याचिका को स्वीकार किया, जिस पर आज फैसला आया है.
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