
Lucknow: हिन्दू मान्यताओं के अनुसार श्रावण का महीना सबसे पवित्र महीना माना जाता है. श्रावण के महीने में हर साल कांवडिये सुल्तानगंज आकर दो पात्रों में गंगा जल भरकर कांवड़ लेकर पदयात्रा करके देवघर जाते हैं. देवघर जा कर बाबा मंदिर में जल अर्पित करते है. हर साल श्रावण मास में लाखों की तादाद में कांवडियों का जत्था बाबा दर्शन को देवघर पहुंचता हैं. गोरखपुर मण्डल के देवरिया जिले में गंगा-जमुनी तहजीब और भाईचारे की मिसाल कायम करते हुए करीब इस साल 15 मुसलमानों ने कांवड़ थामकर बाबा धाम की यात्रा शुरू की.
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140 किलोमीटर पैदल चलते है कांवड़ियां


देवरिया के रामपुर कारखाना स्थित कुशाहरी गांव में 70 कांवड़ियों ने झारखंड स्थित बाबा धाम की यात्रा शुरू की. इनमें 15 मुस्लिम भी शामिल हैं. ये श्रद्धालु पहले बस से बिहार के सुल्तानगंज पहुंचते हैं और वहां गंगा से पानी लेकर करीब 140 किलोमीटर दूर झारखण्ड के देवघर स्थित बाबा धाम मंदिर में पैदल जाकर जल चढ़ाते हैं.
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मुस्लिम लोगों ने धारण किया भगवा वस्त्र
ग्राम प्रधान निजाम अंसारी की पहल पर अन्य मुस्लिम लोगों ने भगवा वस्त्र धारण कर अपने खर्च पर कांवड़ यात्रा में शिरकत की. कांवड़ियों की बस को झंडी दिखाकर रवाना किया गया.
अंसारी ने संवाददाताओं से कहा कि वह चाहते हैं कि गांव के सभी लोग सभी धर्मों से जुड़े आयोजनों में बढ़-चढ़कर हिस्सा लें, ताकि वे एक-दूसरे के और करीब आयें तथा समाज की सेवा के ज्यादा से ज्यादा अवसर मिलें.
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प्रेम और एकता मिसाल कायम की
इस कांवड़ यात्रा को हरी झंडी दिखाने वाले समाजसेवी डॉ. संजीव शुक्ला ने बताया कि कुशाहरी गांव में गंगा-जमुनी तहजीब की वास्तविक मिसाल पेश की गयी है. भाईचारा मजबूत करने के लिये यह बहुत अच्छा कदम है. खुशी है कि दोनों समुदायों के लोग प्रेम और एकता की नयी मिसाल कायम कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि समाज को इससे प्रेरणा लेनी चाहिये तथा किसी भी तरह की नफरत को भुलाकर शांति और प्रेम को अपनाना चाहिये.
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