Muzaffarpur (Bihar): बिहार पुलिस ने फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, अनुराग कश्यप और इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित करीब 50 जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ यहां दर्ज राजद्रोह का मामला बंद करने का आदेश दिया है. साथ ही, ‘‘झूठा’’ आरोप लगाने को लेकर शिकायतकर्ता को अभियोजित किया जाएगा.
‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या) की बढ़ती घटनाओं में हस्तक्षेप करने के लिए साल की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र पर इन हस्तियों ने हस्ताक्षर किये थे.
इसके बाद, उनके खिलाफ मुजफ्फरपुर के एक वकील की शिकायत पर पिछले सप्ताह प्राथमिकी दर्ज किए जाने की विपक्षी नेताओं और कई प्रमुख हस्तियों ने निंदा की थी.
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के मद्देनजर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत सदर थाना में मामला दर्ज किया था.
उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के तहत पुलिस के पास मामला दर्ज करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. एडीजी ने कहा कि मामले की निगरानी एसएसपी मुजफ्फरपुर ने की.
शिकायतकर्ता 49 व्यक्तियों द्वारा लिखा गया कथित पत्र, जो किसी भी अपराध के उनके दावे का समर्थन कर सकता हो सहित अन्य सहायक दस्तावेजों या सबूतों को पेश नहीं कर सका.
जितेंद्र ने कहा कि इसके आधार पर मामला झूठा पाया गया और उनके द्वारा जांच अधिकारी (आइओ) को इस संबंध में ‘अंतिम रिपोर्ट’ अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया गया है.
उन्होंने कहा कि साथ ही शिकायतकर्ता द्वारा इरादतन झूठी शिकायत दिये जाने और झूठा मामला दर्ज कराने को लेकर उन्हें (आइपीसी की) धारा 182 और 211 के तहत अभियोजित किया जाएगा. स्थानीय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था.
प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखने की खबरें आने के बाद ओझा ने यहां की एक अदालत में जुलाई में एक याचिका दायर की थी. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्म कलाकार सौमित्र चटर्जी, अर्पणा सेन और रेवती और शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल भी थीं.
दिलचस्प है कि याचिकाकर्ता ने गवाह के रूप में बॉलीवुड कलाकार कंगना रनौत, मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री का भी जिक्र किया था. साथ ही यह आरोप लगाया था कि आरोपियों ने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने की कोशिश की.
इस घटनाक्रम को लेकर राष्ट्रव्यापी रोष प्रकट किया गया था और यहां तक कि राहुल गांधी जैसे विपक्ष के शीर्ष नेता ने भी आलोचना की थी. वहीं, इतिहासकार रोमिला थापर और अभिनेता नसीरूद्दीन शाह सहित 200 सेलिब्रिटी ने एक अन्य खुला पत्र लिख कर पूछा था कि प्रधानमंत्री को की गयी अपील राजद्रोह कैसे हो सकती है.
पिछले हफ्ते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके पूर्व सहयोगी एवं वर्तमान में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने इस विषय में हस्तक्षेप करने तथा मामला रद्द करने का अनुरोध किया था.
इस बीच, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी (भाजपा) या संघ परिवार का राजद्रोह के इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.
Muzaffarpur (Bihar): बिहार पुलिस ने फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल, मणिरत्नम, अनुराग कश्यप और इतिहासकार रामचंद्र गुहा सहित करीब 50 जानी-मानी हस्तियों के खिलाफ यहां दर्ज राजद्रोह का मामला बंद करने का आदेश दिया है. साथ ही, ‘‘झूठा’’ आरोप लगाने को लेकर शिकायतकर्ता को अभियोजित किया जाएगा.
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क्या है मामला
‘मॉब लिंचिंग’ (भीड़ द्वारा पीट-पीट कर हत्या) की बढ़ती घटनाओं में हस्तक्षेप करने के लिए साल की शुरूआत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को लिखे पत्र पर इन हस्तियों ने हस्ताक्षर किये थे.
इसके बाद, उनके खिलाफ मुजफ्फरपुर के एक वकील की शिकायत पर पिछले सप्ताह प्राथमिकी दर्ज किए जाने की विपक्षी नेताओं और कई प्रमुख हस्तियों ने निंदा की थी.
अपर पुलिस महानिदेशक (मुख्यालय) जितेंद्र कुमार ने बताया कि मुजफ्फरपुर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के आदेश के मद्देनजर पुलिस ने सीआरपीसी की धारा 156(3) के तहत सदर थाना में मामला दर्ज किया था.
उन्होंने कहा कि इस प्रावधान के तहत पुलिस के पास मामला दर्ज करने के अलावा और कोई विकल्प नहीं था. एडीजी ने कहा कि मामले की निगरानी एसएसपी मुजफ्फरपुर ने की.
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सबूतों को पेश नहीं कर सका शिकायतकर्ता
शिकायतकर्ता 49 व्यक्तियों द्वारा लिखा गया कथित पत्र, जो किसी भी अपराध के उनके दावे का समर्थन कर सकता हो सहित अन्य सहायक दस्तावेजों या सबूतों को पेश नहीं कर सका.
जितेंद्र ने कहा कि इसके आधार पर मामला झूठा पाया गया और उनके द्वारा जांच अधिकारी (आइओ) को इस संबंध में ‘अंतिम रिपोर्ट’ अदालत में प्रस्तुत करने का आदेश जारी किया गया है.
उन्होंने कहा कि साथ ही शिकायतकर्ता द्वारा इरादतन झूठी शिकायत दिये जाने और झूठा मामला दर्ज कराने को लेकर उन्हें (आइपीसी की) धारा 182 और 211 के तहत अभियोजित किया जाएगा. स्थानीय अधिवक्ता सुधीर कुमार ओझा की शिकायत पर यह मामला दर्ज किया गया था.
प्रधानमंत्री को खुला पत्र लिखने की खबरें आने के बाद ओझा ने यहां की एक अदालत में जुलाई में एक याचिका दायर की थी. पत्र पर हस्ताक्षर करने वालों में फिल्म कलाकार सौमित्र चटर्जी, अर्पणा सेन और रेवती और शास्त्रीय गायिका शुभा मुदगल भी थीं.
दिलचस्प है कि याचिकाकर्ता ने गवाह के रूप में बॉलीवुड कलाकार कंगना रनौत, मधुर भंडारकर और विवेक अग्निहोत्री का भी जिक्र किया था. साथ ही यह आरोप लगाया था कि आरोपियों ने देश की छवि को नुकसान पहुंचाया है और प्रधानमंत्री की छवि धूमिल करने की कोशिश की.
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पीएम से की गयी अपील राजद्रोह कैसे
इस घटनाक्रम को लेकर राष्ट्रव्यापी रोष प्रकट किया गया था और यहां तक कि राहुल गांधी जैसे विपक्ष के शीर्ष नेता ने भी आलोचना की थी. वहीं, इतिहासकार रोमिला थापर और अभिनेता नसीरूद्दीन शाह सहित 200 सेलिब्रिटी ने एक अन्य खुला पत्र लिख कर पूछा था कि प्रधानमंत्री को की गयी अपील राजद्रोह कैसे हो सकती है.
पिछले हफ्ते बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से उनके पूर्व सहयोगी एवं वर्तमान में राजद के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष शिवानंद तिवारी ने इस विषय में हस्तक्षेप करने तथा मामला रद्द करने का अनुरोध किया था.
इस बीच, बिहार के उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने एक बयान जारी कर स्पष्ट किया कि उनकी पार्टी (भाजपा) या संघ परिवार का राजद्रोह के इस मामले से कोई लेना देना नहीं है.