
Ranchi : ग्रामीण विकास विभाग की सोशल ऑडिट ईकाई ने वित्तीय वर्ष 2021-22 में सभी 24 जिलों के 1118 पंचायतों में चलायी जा रही मनरेगा योजनाओं का सोशल ऑडिट किया. जिसमें कुल 29059 योजनाओं के स्थलों का ऑन स्पॉट वेरिफिकेशन किया गया. जिसमें पाया गया है कि राज्य में मनरेगा योजनाओं के क्रियान्वयन में अधिकारियों/कर्मियों द्वारा नियमों की पूरी तरह अनदेखी की गयी है.
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इस सोशल ऑडिट के बाबत विभाग के सोशल ऑडिट सेल के संयोजक जेम्स हेरेंज ने ग्रामीण विकास मंत्रालय भारत सरकार के नाम चिठ्ठी लिखी है. अपने पत्र में उदाहरण देते हुए बताया है कि ऑडिट की गयी योजनाओं में से 36 योजनाओं में JCB मशीन से काम कराये जाने के स्पष्ट प्रमाण मिले हैं. कुल 159608 मजदूरों के नाम से मस्टर रोल (हाजरी शीट) निकाले गये थे, उन मजदूरों में से सिर्फ 40629 वास्तविक मजदूर (25%) ही कार्यरत पाये गये. शेष सारे फर्जी नामों के मस्टर रोल थे. 1787 मजदूर ऐसे मिले जिनका नाम मस्टर रोल में थे ही नहीं. 85 योजनाएं ऐसी मिलीं जिनमें कोई मस्टर रोल सृजित नहीं किये गया था, परन्तु काम प्रारम्भ कर दिया गया था. 376 मजदूर ऐसे मिले जिनका जॉब कार्ड बना ही नहीं था.
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उन्होंने बताया है कि पूर्व के वर्षों में भी सोशल ऑडिट के माध्यम से करीब 94 हजार विभिन्न तरह की शिकायतें दर्ज की जा चुकी हैं, जिसमें करीब 54 करोड़ राशि गबन की पुष्टि हो चुकी है. उस पर भी राज्य के जिम्मेवार अधिकारी गंभीर नहीं हैं.
राज्य में विभागीय अधिकारियों ने विगत दो वर्षों से मनरेगा कानूनी प्रावधान के विपरीत सोशल ऑडिट की प्रक्रिया को बाधित कर रखा है. मनरेगा लोकपालों की नियुक्ति भी राज्य सरकार नहीं कर रही है. राज्य भर में शिकायत निवारण प्रक्रिया पूरी तरह फेल है. इस समय स्पष्ट कहा जा सकता है कि मनरेगा पूरी तरह भ्रष्ट अफसरों और ठेकेदारों की गिरफ्त में चला गया है.
उन्होंने चिठ्ठी के माध्यम से मांग की है कि सोशल ऑडिट में उजागर किये गये बिंदुओं पर राज्य सरकार से रिपोर्ट मांगी जाये. इसके साथ ही पूर्व में संपन्न सामाजिक अंकेक्षण में प्रतिवेदित प्रत्येक मामले पर राज्य के जिम्मेवार अधिकारियों से समयबद्ध कार्रवाई सुनिश्चित करने को कहा जाये.
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