
Ranchi : झारखंड के आधा दर्जन से अधिक विभागों में प्रतिनियुक्त भारतीय टेलीकॉम सेवा (आईटीएस) और भारतीय वन सेवा (आईपीएस) अधिकारियों में से कई पर गंभीर वित्तीय अनियमितताओं का आरोप लगने लगा है. इसे लेकर हाल ही में स्कूली शिक्षा और साक्षरता विभाग की मंत्री डॉ नीरा यादव ने मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर हुई गड़बड़ियों की जांच की मांग की थी. जानकारी के अनुसार, उच्चतर, तकनीकी शिक्षा और कौशल विकास विभाग में प्रशिक्षण के नाम पर कंपनियों को 140 करोड़ रुपये दिये जाने के बाबत शिकायत की गयी है.
झारखंड कौशल विकास मिशन सोसाइटी में आईएफएस रवि रंजन परियोजना निदेशक हैं. इनकी और इनके टीम के कार्यकलापों पर विभागीय मंत्री ने गंभीर सवाल खड़े किये हैं. पूर्व में झारखंड कौशल विकास विभाग, श्रम नियोजन और प्रशिक्षण विभाग के अधीन था. यहां पदस्थापित भारतीय टेलीकॉम सेवा के राकेश कुमार सिंह पर भी कौशल विकास के नाम पर हुई गड़बड़ी की जांच करने का आदेश विभागीय मंत्री राज पालिवार ने दिया था. जांच हुई भी, लेकिन भ्रष्टाचार निरोधक कार्यालय (एसीबी) में संचिका ही दबवा दी गयी. अब श्री सिंह श्रम नियोजन एवं प्रशिक्षण विभाग में कर्मचारी भविष्य निधि (इएसआई) का काम देख रहे हैं. इन्हें प्रशिक्षण निदेशालय से हटा दिया गया है.
आईटीएस यूपी शाह भी इन दिनों खासे चर्चा में हैं


महिला और बाल विकास विभाग में पदस्थापित विशेष सचिव डीके सक्सेना आईएफएस कैडर के हैं. ये पोषाहार, आंगनबाड़ी केंद्रों को अपग्रेड करने से लेकर अन्य योजनाओं का काम देखते हैं. पहले ये उच्च शिक्षा निदेशक के पद पर थे. विभागीय मंत्री डॉ नीरा यादव की शिकायत पर इन्हें उच्च शिक्षा निदेशक के पद से हटाये गये थे. आईटीएस यूपी शाह भी इन दिनों खासे चर्चा में हैं. इनकी तरफ से भारत ब्रॉड बैंड नेटवर्क लिमिटेड के स्पेशल परपज वेहीकल के रूप में झारखंड कम्युनिकेशन नेटवर्क लिमिटेड के नाम से 400 करोड़ की निविदा आमंत्रित की गयी थी. 11 जिलों में ऑप्टिकल फाइबर के जरिये इंटरनेट और ब्रॉड बैंड की सेवा प्रदान करने के लिए आहूत निविदा इसलिए विवादित हो गयी, क्योंकि भारतीय औद्योगिक महासंघ ने यूपी शाह की कार्यप्रणाली पर सरकार को लिखित शिकायत की है. यूपी शाह जेसीएनएल के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी हैं.


कमोबेश ऐसी ही स्थिति झारखंड ग्रामीण आजीविका मिशन सोसाइटी की है. यहां आईएफएस परितोष उपाध्याय पदस्थापित हैं. इनकी सेवा हाल ही में सरकार ने वन और पर्यावरण विभाग को वापस कर दी थी. फिर इनकी सेवा पुन: विशेष सचिव के रूप में ग्रामीण विकास विभाग को ही सौंपी गयी.
जरेडा में तीन वर्ष से कार्यरत हैं आईटीएस निरंजन कुमार
झारखंड रीनिवेबल एनर्जी डेवलपमेंट एजेंसी (जरेडा) में निदेशक के पद पर निरंजन कुमार पदस्थापित हैं. इनका कार्यकाल जल्द ही समाप्त हो रहा है. जरेडा में इनके रहते राज्य में सौर ऊर्जा प्लांट लगाने पर अंतिम सहमति नहीं बन पायी. इसकी वजह से सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली की खरीद झारखंड ऊर्जा निगम लिमिटेड की तरफ से नहीं लिये जाने के निर्णय से उत्पन्न हुई. झारखंड राज्य विद्युत नियामक आयोग में सौर ऊर्जा से उत्पादित बिजली की टैरिफ का मामला भी लंबित ही है. हां, इनके कार्यकाल में 50 से अधिक कंपनियों का निबंधन जरेडा में हुआ.