
Ranchi : राज्य की सत्तारूढ़ झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) ने एक बार फिर भाजपा जनप्रतिनिधियों पर बड़ा हमला बोला है. पार्टी ने इस बार रांची नगर निगम की कार्यशैली को लेकर मेयर आशा लकड़ा, डिप्टी मेयर संजीव विजयवर्गीय के साथ चीफ इंजीनियर बड़ा आरोप लगाया है.
जेएमएम प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा है कि निगम में उपरोक्त तीनों का एक नेक्सेस बन गया है. उनके द्वारा निगम बोर्ड की बैठक में वार्डों के विकास से जुड़े उन्हीं प्रस्ताव को पास किया जाता है जिस पर मेयर, डिप्टी मेयर व चीफ इंजीनियर का सौदा तय हो चुका होता है.
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अल्पसंख्यक पार्षदों को किया जा रहा दरकिनार
जेएमएम का यह आरोप निगम के उन पार्षदों के सरकार से मदद मांगने के बाद लगाया है, जिसमें कहा गया है कि निगम योजनाओं को पास करने में अल्पसंख्यक समुदाय के लोगों को दरकिनार कर रहा है. विगत दिनों 110 योजनाओं में से सिर्फ 38 योजनाओं को पास कर उपरोक्त तीनों ने इस सौदे को और पुख्ता कर दिया है.
बता दें कि निगम के कार्यशैली से परेशान कुल 14 वार्ड पार्षद गुरुवार को जेएमएम ऑफिस पहुंचे थे. इस दौरान जेएमएम नेता ने पार्षदों के साथ एक प्रेस कॉन्फ्रेंस की. इसी में सभी ने मेयर, डिप्टी मेयर पर बड़ा आरोप लगा दिया.
इस दौरान वार्ड 12 के कुलभूषण डुंगडुंग, वार्ड 10 के अर्जुन यादव, वार्ड 16 की नजीमा रजा, वार्ड 17 की शबाना खान, वार्ड 4 की हुस्ना आरा, वार्ड 23 की सजादा खान, वार्ड 35 के झरी लिंडा, वार्ड 45 के नसीब गदी, वार्ड 44 के फिरोज आलम, वार्ड 38 के दीपक लोहरा, वार्ड 21 के मोहम्मद एहतेशाम, वार्ड 22 और 29 के पार्षद पति उपस्थित थे.
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निगम के कार्यों की जांच की मांग
जेएमएम नेता ने कहा कि सभी पार्षद पिछले 5 वर्षों से प्रताड़ित हैं. उसी का परिणाम है कि आज वे मेयर, डिप्टी मेयर के खिलाफ खड़े हो गये हैं. उन्होंने कहा कि सभी जानते हैं कि बड़ा तालाब, सीवरेज ड्रेनेज, हरमू नदी, डिस्टलरी तालाब को लेकर किस तरह भ्रष्टाचार का खेल खेला गया. उन्होंने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन से मांग की है कि निगम के पिछले 5 वर्षों के सभी कामों का समीक्षा करें.
और इसमें मेयर, डिप्टी मेयर सहित तत्कालीन नगर विकास मंत्री की भूमिका की जांच की जाये. इसके साथ ही सुप्रियो भट्टाचार्य ने यह भी कहा है कि अगर इन प्रतिनिधियों की मांग मानी नहीं जाती है तो जल्दी वे सीएम से मिल कर अपनी बातों को रखेंगे और उनसे मांग करेंगे कि निगम का पैसा रोक कर सीधे जनप्रतिनिधि को दिलाने की दिशा में काम करें.
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