
Kumar Kamesh
Dhanbad : विश्वभर में इन दिनों क्रिकेट वर्ल्डकप की खुमारी छायी हुई है. घर, गली, नुक्कड़ या फिर कोई भी कोना हो, वहां क्रिकेट प्रेमी मैच देखते नजर आ ही जा रहे हैं. क्रिकेट प्रेमी अपने पसंदीदा क्रिकेटर को मैच खेलता देखकर बहुत खुश भी होते हैं. वैसे झारखंड के ज्यादातर लोग मैच के दौरान महेंद्र सिंह धोनी की पारी का बहुत ही बेसब्री से इंतजार करते हैं. वहीं अगर धोनी झारखंड आ जायें तो लोग एक झलक पाने के लिए होड़ लगा देते हैं. एक महेंद्र ने क्रिकेट में अपना नाम करके झारखंड का नाम ऊंचा कर रखा है तो दूसरी ओर धनबाद के भी एक महेंद्र इन दिनों क्रिकेट प्रेमियों की पसंद बने हुए हैं. अपनी कैंची से लोगों के सिर पर ऐसी कलाकारी दिखाते हैं कि पलभर में ही लोग हैरान रह जाते हैं.
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दूर-दूर से लोग आते हैं सैलून
धनबाद के महेंद्र यूं तो सैलून चलाते हैं. लेकिन इनके पास इन दिनों क्रिकेट प्रेमियों की लंबी लाइन लगी रहती हैं. क्योंकि महेंद्र के हाथ में हुनर ही ऐसी है. धनबाद के सुदूर ग्रामीण इलाके में हेयर कटिंग सैलून चलाने वाले महेन्द्र प्रमाणिक इन दिनों लोगों के सिर पर विराट कोहली का चेहरा बना रहे हैं. चूंकि वर्ल्डकप का चल रहा है तो ऐसे में क्रिकेट प्रेमियों की दीवानगी भी सिर चढ़कर बोल रही है.
महेंद्र के हाथों में ऐसी हुनर है कि इससे पहले भी कई शख्सियतों का चेहरा वे लोगों के सिर पर बना चुके हैं. विश्वकप में रनों की बौछार करने वाले क्रिकेटर विराट कोहली के ढेरों चहेते उनके चेहरे को अपने सिर पर बनवाते देखे जा सकते हैं.
हालांकि महेंद्र सिर्फ कैंची से ही अपनी कलाकारी नहीं दिखाते, बल्कि वे बहुत बढ़िया पेंटिंग भी बनाते हैं. वहीं अपने सिर पर विराट का चेहरा बनवाने वाले कई क्रिकेट प्रेमियों का कहना है कि उसे विराट का बल्ला और लुक बहुत पसंद आया.
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पूरी लगन से काम करता हूं
महेंद्र के काम के बारे में पूछने पर उन्होंने बताया कि मैं पूरी लगन से अपनी काम करता हूं. मेरे पास बोकारो, झरिया के अलावा काफी दूर से भी कस्टमर आते हैं. साथ ही कहा कि मेरा मकसद इतना रहता है कि कस्मर जो जिमांड करे , उसे अच्छे करके पूरा करें ताकि वो कहीं और जाने के बारे में ना सोचे. महेंद्र ने बताया कि इन दिनों कोहली की डिमांज ज्यादा है और कस्टमर ज्यादा अपने सिर पर उन्हीं को बनवा रहे हैं.
महेंद्र कहते हैं कि झारखंड के 2 -2 मुख्य मंत्रियों से उसने आर्ट कॉलेज में एडमिशन दिलाने की गुहार लगाई थी. लेकिन उसे सफलता हासिल नहीं हुई. महेंद्र का कहना है कि घर चलाने की मजबूरी में वह सैलून में ज्यादा समय देने लगा और फिलहाल सैलून में ही अपनी कला को जीवित रखे हुए है.
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