
Ranchi: जगन्नाथपुर, रांची में रथ यात्रा पर अबकी बहुत कुछ बदला बदला दिखेगा. भगवान जगन्नाथ अपने भ्राता बलभद्र और बहन सुभद्रा के साथ नये रथ पर सवार होकर मौसीबाड़ी की यात्रा पर जायेंगे. पिछले करीब 10 सालों से रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ पुराने रथ पर सवार होकर ही निकलते थे. पर अब इस बार ऐसा नहीं होगा. पूरी (ओडिशा) के कारीगर पिछले माह से ही यहां के लोहरा कारीगरों के साथ मिलकर पहले वाले रथ से बड़ा और आकर्षक रथ तैयार करने में जुटे हुए हैं.
पहले इसे मई के दूसरे सप्ताह तक तैयार कर लिए जाने का समय तय था पर जगन्नाथ मंदिर न्याय समिति के उपाध्यक्ष और मंदिर के प्रथम सेवक ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव के असामयिक निधन के कारण इसमें कुछ विलंब हुआ. ऐसे में अब इस माह के आखिर तक नया रथ तैयार हो जाने की उम्मीद है. ऐसे में जुलाई के प्रथम सप्ताह में होने वाली रथयात्रा के दौरान भक्तों को भगवान जगन्नाथ नये रथ पर सवार दिखेंगे.
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नये रथ में क्या होगा खास


पूरी के कारीगर जगरनाथपुर मंदिर, रांची के रथ निर्माण में लगातार लगे हुए हैं. चूंकि पुराने वाले रथ की हालत अब बहुत ही जर्जर है. पिछले दो साल तो कोरोना प्रतिबंधों के चलते रथ यात्रा भी नहीं निकली थी. मंदिर परिसर में बाहर रखे रखे इस रथ पर रथयात्रा निकालना परेशानी का सबब हो सकता था. ऐसे में ठाकुर नवीन नाथ शाहदेव (अब स्वर्गीय) ने नये रथ का निर्माण कराने को पहल की थी. इसके लिए पूरी से रथ निर्माण करने वाला कारीगर दशरथी महाराणा को रांची बुलाया गया था. दशरथ को पूरी में भी रथ निर्माण कार्य करने का तजुर्बा है. अब वे जगन्नाथपुर मंदिर के भी रथ निर्माण में लीड कर रहे हैं.
दशरथी महाराणा के मुताबिक रथ लगभग दो महीने में बन कर तैयार किये जाने की उम्मीद थी पर कुछ कारणों से इसमें लेट हुआ है. रथ निर्माण में लकड़ी के साथ साथ लोहे का भी इस्तेमाल चक्का एवं नट बोल्ट के रूप में किया जा रहा है. इस निर्माण में लगभग 10 से 15 लाख रुपये खर्च होने का अनुमान है. अभी तक जिस रथ का इस्तेमाल किया जाता था, उस रथ के मुकाबले नया रथ बड़ा एवं भव्य होगा. जानकारी के मुताबिक रथ निर्माण में लकड़ी के लिए तथा अन्य सामग्रियों में रामकृष्ण मिशन, रांची और अन्य संस्थाओं से भी मदद मिल रही है.
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बदला बदला दिखेगा मंदिर परिसर
आस्था का केंद्र बिंदु माना जाने वाला जगन्नाथपुर मंदिर अब अपने पुराने रंगत की ओर लौटते नजर आ रहा है. जब से अदालत के आदेश पर जगन्नाथपुर मन्दिर की नई न्यास समिति का गठन किया गया है, तब से मंदिर परिसर में धीरे धीरे बदलाव दिखने लगा है. मन्दिर का रंग रोगन किया गया है. न्यास समिति के सदस्यों के नामों की सूची मंदिर परिसर में डाल दी गयी है जो पूर्व में नहीं दिखता था. अब दर्शनार्थी किसी असुविधा के लिए सदस्यों के पास शिकायत कर सकते हैं. भोग वितरण के लिए दक्षिण दिशा में शेड बनवाया गया है. दक्षिण दिशा में ही और एक शेड बनवाने की योजना है ताकि दर्शनार्थियों को यहां बैठने या आराम करने में कोई असुविधा न हो.
मन्दिर परिसर में लाइटिंग की समुचित व्यवस्था की गई है. अब दान पेटी में अच्छे से चन्दा भी इकट्ठा होने लगा है जो पहले देखने को नहीं मिलता था. मंदिर में आने वाली महिला दर्शनार्थियों की सुविधा को ध्यान में रखते बहुत जल्द स्नानघर एवं शौचालय की भी व्यवस्था करने की योजना बनाई गयी है. यह योजना बहुत जल्द धरातल पर उतरने वाली है. न्यास समिति जगरनाथपुर के रथ मेला की भूमि पर अतिक्रमण की समस्या से चिंतित है. बाहर से आये लोग रथ मेला की भूमि पर कब्जा करते ही जा रहे हैं.
पहले रथ मेला लगभग 40 से 50 एकड़ की भूमि पर लगता था पर कब्जाधारियों के कारण भूमि सिमट गई है. बड़कागढ रैयत जनमंच के महासचिव जुड़े सूरज शाहदेव के मुताबिक इस मेला भूमि को न्यास समिति, राज्य सरकार एवं प्रशासन जल्द कब्जाधारियों से खाली करवा दे तो जगरनाथपुर मन्दिर एवं यहां की रथ यात्रा फिर से अपना गौरवशाली इतिहास प्राप्त कर सकती है. अभी तो रोज अतिक्रमण के चलते मेला लगने पर भी संशय की स्थिति दिख रही है.
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