
Lohardaga: सरकारी संपत्ति के गबन के मामले में आरोपियों को सजा की बातें तो आपने खूब सुनी होगी, लेकिन लोहरदगा में मुख्य न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत ने एक ऐतिहासिक फैसला सुना दिया है. तत्कालीन कनीय अभियंता राजेश्वर सिंह को अदालत ने कुल 1 करोड़ 23 लाख 925 रुपये के गबन के मामले में 5 साल की सजा और 50 हजार रुपए का जुर्माना सुनाया है. जुर्माने की राशि नहीं देने पर कनीय अभियंता को छह माह की सजा और भुगतनी होगी.
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सजा और जुर्माने के अलावा 92 लाख रुपया सरकारी खजाने में जमा करने का आदेश


अदालत ने इसी मामले में कनीय अभियंता को 92 लाख रुपए सरकारी खजाने में जमा करने का निर्देश दिया है. यदि कनीय अभियंता इस पैसे को जमा नहीं करते हैं तो उनकी चल-अचल संपत्ति से पैसे की वसूली की जाएगी. लोहरदगा थाना कांड संख्या 37/12 और जीआर संख्या 140/12 के आरोपी ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के तत्कालीन कनीय अभियंता राजेश्वर सिंह पर सुनाए गए फैसले को लेकर खासी चर्चा है.




क्या है पूरा मामला ?
23 मार्च 2012 को ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल के तत्कालीन कार्यपालक अभियंता भुवनेश्वर चौबे ने कनीय अभियंता राजेश्वर सिंह के खिलाफ मामला दर्ज कराया था. जिसमें विधायक मद, मुख्यमंत्री योजना और बीआरजीएफ योजना के तहत गबन की प्राथमिकी दर्ज कराई गई थी. जांच और बहस हुई तो यह स्पष्ट हुआ कि कनीय अभियंता ने कुछ काम तो दिया था, पर उन्होंने 92 लाख रूपय का समायोजन नहीं किया. इसी 92 लाख रूपयों को गबन मानकर अदालत ने फैसला सुनाया है. मामले में सहायक लोक अभियोजक सिद्धार्थ कुमार सिंह का अहम योगदान है. उन्होंने अदालत में मामले के लंबित रहने के दौरान ना सिर्फ सभी योजनाओं से संबंधित संचिकाओं को निकालकर अदालत के समक्ष रखने का काम किया, बल्कि आरोपी से सरकारी राशि की वसूली को लेकर भी प्रयास किया.
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