
Dhanbad : लॉकडाउन होने के बाद धनबाद की लाइफ लाइन कहे जाने वाले ऑटो का परिचालन बंद हो गया है. जिससे ऑटो चालक और खलासी बेरोजगार हो गये हैं. अब इनकी हालात खराब होने लगी है. घर में ठीक से भोजन की व्यवस्था भी नहीं कर पा रहे हैं.
ऑटो चालकों ने बताया कि कुछ दिनों पहले हमने उपायुक्त के माध्यम से सरकार को एक पत्र भेजा था. पत्र में हमने दिल्ली के तर्ज पर सरकार से ऑटो चालकों को पांच-पांच हजार रुपये आर्थिक मदद की मांग की गयी थी. लेकिन आज तक इस दिशा में कोई पहल नहीं की गयी जिस कारण ऑटो चालकों की स्थिति बेहद खराब हो गयी है. ऑटो चालकों ने कहा कि अगर जल्द ही उनकी समस्याओं का समाधान नहीं किया गया तो वे लोग 17 मई के बाद ऑटो लेकर सड़कों पर निकलने के लिए बाध्य होंगे.
इसे भी पढ़ें- क्या आर्थिक कंगाली की तरफ बढ़ रही भारत सरकार !
दिल्ली के तर्ज पर सरकार दे आर्थिक मदद
बता दें कि सिर्फ धनबाद शहर में 18 हजार ऑटो का परिचालन होता है. एक बड़ी संख्या परोक्ष या अपरोक्ष रूप से धनबाद में ऑटो परिचालन पर निर्भर है. जिससे इनका परिवार चलता था. लेकिन ऑटो का परिचालन बंद होने से सभी बेरोजगार हो गये है. जो पैसे थे वो भी अब खत्म हो गये हैं. ऐसे में ये लोग भी सरकार से आस लगाए हुए हैं कि जिस तरह से दिल्ली में केजरीवाल सरकार ने ऑटो चालकों को 5-5 हजार रुपये दिये हैं, उसी तरह झारखंड सरकार भी दे ताकि कुछ सहुलियत मिल सके.
इसे भी पढ़ें- जानिये, केंद्र सरकार राहत पैकेज के नाम पर कैसे दूरगामी और मनभावन सपने दिखा रही है
सिर्फ पीडीएस के 10 किलो चावल से नहींं चल जाता परिवार
झारखंड परिवहन मजदूर यूनियन से जुड़े कई ऑटो चालक सोशल डिस्टेंसिग का ध्यान रखते हुए इकट्ठा हुए और आगे की रणनीति पर चर्चा की. झारखंड मजदूर परिवहन मजदूर संघ के जिला सचिव सुनिल पासवान ने कहा कि पीडीएस से 10 किलो चावल से ही परिवार नहीं चलता है और भी कई सामान की जरूरत घर में होती है.
उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दो माह होने वाले हैं, जिससे खाफी दिक्कत हो रही है. साथ ही कहा कि टैक्स, इंश्योरेंस सहित फिटनेस के कागजात भी फेल हो रहे हैं. सरकार इसे लेकर सिर्फ तारीख आगे बढ़ा देगी. माफ नहीं कर रही. जिससे एक बड़ी समस्या उत्पन्न होगी. चालकों ने कहा कि अगर हमलोगों को कोई मदद सरकार की ओर से नहीं मिलती है तो भुखमरी की स्थिति से निपटने के लिए सरकार के बिना आदेश से ही हमलोग लॉकडाउन में ही ऑटो लेकर सड़क पर निकल जायेंगे.
इसे भी पढ़ें- लॉकडाउन का असर : 2019 के मुकाबले 2020 में इलेक्ट्रोनिक बाजार 200 करोड़ रुपये से पहुंचा शून्य पर