
Ranchi. लॉकडाउन कोचिंग संस्थानों के लिये डरावना सपना ही नहीं, हकीकत साबित हो चुका है. जैसे-जैसे लॉक डाउन लंबा खिंचा रहा है, झारखंड के कोचिंग संस्थानों का भविष्य सिमटता जा रहा है. केवल रांची में ही पिछले 10 सालों में 60 से अधिक कोचिंग इंस्टीट्यूट खुले थे. इसके अलावा तकरीबन 12-15 ऐसे छोटे छोटे संस्थान हैं जो 5 से 7 साल पुराने होंगे. दस सालों में भले पांच संस्थान बंद ना हुए हों, पर कोरोना की मार से 6 महीने में 50 से अधिक का शटर गिराया जा चुका है.
700 करोड़ की हानि
झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के अनुसार राज्यभर में 4000 से अधिक कोचिंग संस्थान हैं. 10 साल पुराने संस्थान हर महीने 18 फीसदी जीएसटी भी भरते हैं. संस्थानों की मानें तो झारखंड के कोचिंग संस्थानों के जरिये हर महीने लगभग 700 करोड़ तक जीएसटी के रुप में सरकार को मिलता है. पर इस साल मार्च महीने से जारी लॉक डाउन और एजुकेशनल एक्टिविटी को बंद रखे जाने के कारण यह जीरो ही है.


इसे भी पढ़ें- गहलोत सरकार छह महीनों के लिए सुरक्षित, विधानसभा में हासिल किया विश्वास मत




जिन स्टूडेंट्स ने रांची या किसी औऱ जिले में कोचिंग संस्थानों में एडमिशन फरवरी मार्च में लिया था, वे कोचिंग संस्थानों को पैसे देने में अभी उदासीनता ही दिखा रहे हैं. कॉरपोरेशन टैक्स भी हर साल कोचिंग संस्थानों को सरकार को देना होता है. औसतन 10 से 40 हजार रुपये सालाना का खर्च इस पर बैठता है. इसके अलावा बिजली बिल भी है जो 8000 से 25,000 रुपये महीने तक लगता है.
किराया तक निकालना आफत
कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण स्कूल, कॉलेज और कोचिंग संस्थानों को बंद रखा गया है. ऐसे में मार्च महीने से नए एडमिशन नहीं हो पा रहा हैं. आमदनी का मूल स्रोत ही बंद हो जाने से संस्थानों की हालत पतली होती जा रही है. जो संस्थान 8 से 10 साल पुराने हैं और सालाना औसतन 50 लाख से 1 करोड़ तक की आय करते थे, उन्हें अब संस्थान का किराया भी नसीब नहीं हो रहा.
तालाबंदी का सिलसिला जारी
रांची और दूसरे जगहों पर शैक्षणिक संस्थान लगातार खाली हो रहे हैं. रेंट तक दे पाने की हालत उनकी नहीं रह गयी है. हरिओम टावर, रांची में 60 से भी अधिक छोटे-बड़े कोचिंग संस्थान हैं. यहां संस्थान चलाने को हर महीने केवल किराये के तौर पर कम से कम 30 से 40 हजार रुपये चाहिये. अगर एक से ज्यादा कमरे हों तो खर्च इसी हिसाब से बढ़ता है.
इसके अलावा टीचिंग और नन टीचिंग स्टाफ पर दो से पांच लाख का खर्च तो है ही. फिलहाल कोचिंग संस्थान वीरान पड़े हैं. संस्थानों में
लगातार तालाबंदी जारी है. यह कहानी तकरीबन सभी जिलों से लगातार सामने आ रही है.
झारखंड कोचिंग एसोसिएशन की गुहार
झारखंड कोचिंग एसोसिएशन के प्रमुख सुनील जायसवाल के अनुसार कोरोना और लॉकडाउन की मार सबों पर है. देश और राज्य सरकारें कोरोना के खतरे को देखते हुए अब आगे भी बढ़ने लगी हैं. बाजार भी खुलने लगे हैं. ऐसे में कोचिंग संस्थानों के संचालन के मामले में राज्य सरकार को सकारात्मक पहल करनी चाहिये. कोचिंग संस्थान भी इसमें सहयोग को तैयार हैं.
इसे भी पढ़ें- जुए के बड़े अड्डे का भंडाफोड़, 7 गिरफ्तार, 11.53 लाख रुपये भी बरामद
कोरोना प्रोटोकॉल को मेंटेन करते हुए एक सीमा तक संस्थानों को खुलने की परमिशन मिले. इससे ना सिर्फ स्टूडेंट्स और संस्थानों को थोड़ी राहत मिलेगी बल्कि कुछ हद तक बाजार में भी रौनक आयेगी. वर्ना जो स्थिति बनी हुई है, कोचिंग संस्थान भी बंद हो रहे हैं. बेरोजगारी का आंकड़ा भी बढ़ रहा है.
Thanks for fantastic info I was looking for this info for my mission.
Thank you ever so for you article post.
I like the valuable information you provide in your articles.
Like!! Thank you for publishing this awesome article.