
NewsWing Desk: एक दिन पहले की खबर है. RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने लोन को रिस्ट्रक्चर करने की छूट बैंकों को दी है. दरअसल, यह छूट NPA में बदलने वाले कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने के लिए है. इसका क्या मतलब निकलता है. बिजनेस अखबारों की रिपोर्ट के मुताबिक, असल में मोदी सरकार बैंकों के लिए आने वाले खौफनाक और डरावने हालात को 6-7 महीनों के लिए टालना चाह रही है.
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लोन रिस्ट्रक्चर होता क्या है!


सबसे पहले आप यह समझिये कि लोन रिस्ट्रक्चर होता क्या है. हिंदी में इसे पुर्नगठित करना कहा जाता है. इसके तहत बैंक किसी कर्जदार को चुकाने के वक्त को बढ़ा देती है. ब्याज दर में परिवर्तन करते हैं. मासिक किस्त को कम करके कर्जदार को चुकाने के लिए ज्यादा मोहलत देती है.




कितने कर्ज होगा रिस्ट्रक्चर
इंडिया रेटिंग्स ने एक रिपोर्ट जारी की है. जिसके मुताबिक, आरबीआइ की इस छूट के बाद बैंकों के द्वारा करीब 8.4 लाख करोड़ रुपया के कर्ज को रिस्ट्रक्चर यानी पुर्नगठित किया जायेगा. यह वही कर्ज है, जिसको लेकर आरबीआइ और बैंकों का अनुमान है कि उसमें से करीब 60 प्रतिशत लोन एनपीए में बदलने वाला है. मतलब करीब 5 लाख करोड़ रुपया का कर्ज बैंक के खाता-बही में एनपीए में बदलने वाला है. इसी खाता-बही को ठीक करने, यानी एनपीए शब्द लिखना ना पड़े, इसके लिए बैंकों को कर्जों को रिस्ट्रक्चर करने की सहूलियत दी गयी है.
इसके क्या है मायने
बैंकों को कर्ज को रिस्ट्रक्चर करने की छूट मिलने का क्या फायदा होगा. कुछ खास नहीं. क्योंकि जिन कर्जदारों का लोन (करीब 5 लाख रुपया) एनपीए होने वाला है, वह असल में डूब चुके हैं. नोटबंदी, खराब तरीके से लागू जीएसटी, देश में व्यवसाय के माहौल में कमी और कोरोना ने उन्हें बर्बाद कर दिया है. अब होगा यह कि जो कर्जदार किस्त नहीं जमा कर रहे हैं, कंगाल हो चुके हैं, उनके लोन को एनपीए में डालने के बदले बैंक रिस्ट्रक्चर करके कर्ज वाले खाता-बही में ही दिखा देगी. इससे कंगाल हो चुके कर्जदार किस्त चुकाने लगेंगे, इसकी उम्मीद ना के बराबर है.
इससे पहले कब-कब हुआ यही सब
ऐसा नहीं है कि यह सब पहली बार हुआ है. वर्ष 2008-2011 और वर्ष 2013 से लेकर 2019 तक यही होता रहा है. जिन कर्जों को रिस्ट्रक्चर किया गया, वह कुछ महीनों बाद ही एनपीए में बदल गया. मतलब आरबीआइ वही गलती करने जा रही है, जो पहले हुई.
पिछले दिनों आरबीआइ ने फायनेंशियल स्टेबलिटी रिपोर्ट जारी की थी. जिसमें आशंका जतायी गयी थी कि मार्च 2021 तक बैंकों का एनपीए 14.7 प्रतिशत हो जायेगा. जो मार्च 2020 में 8.5 प्रतिशत था. इससे निपटने के लिए बैंकों को करीब 13 लाख करोड़ रुपये की रिजर्व कैपिटल की जरुरत पड़ेगी. कुछ बैंक जैसे कि स्टेट बैंक ऑफ इंडिया, एचडीएफसी, आइसीआइसीआइ ने रिजर्व कैपिटल जुटाना शुरु भी कर दिया है.
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With all kinds of bloom occasions, there’s always one thing
with colour.
It should come as no shock to you that dogs wouldn’t have any
particular requirements for carbohydrates in their food plan.
Grey Mold type grayish brown spore plenty
on the surface of succulent leaves and flowers.
Either method, it is normally a number of months before you and your new dog
settle into a routine.
This way tissues get blocked and succulent can’t absorb sufficient water.
For instance, pictures of an echeveria and sempervivum could look remarkably
comparable.
This is a low-rising succulent plant within the Sempervivoideae subfamily.
It is inhumane to maintain a canine cooped up in a kennel for hours
on end without human contact or the chance to alleviate itself.
The most recognizable feature of sedum is the rosette;
the leaves have the thick and chubby look, stacked round a
long stem like a rose.
Spend time together with your canine, attending to know its persona and what makes it tick.
Succulents shipped in early spring might appear uninteresting in colour and have some dry edges.
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