
Ranchi : आवासन एवं शहरी मामलों के मंत्रालय (MoHUA), भारत सरकार द्वारा 5 से 7 अक्टूबर 2021 तक ‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित ‘आजादी@75 – न्यू अर्बन इंडिया : ट्रांसफॉर्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ सम्मेलन-सह-एक्सपो समारोह का आयोजन किया जा रहा है. इस समारोह का उद्घाटन 5 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किया था.
इस एक्सपो में झारखंड की तरफ से नगरीय प्रशासन निदेशालय, नगर विकास एवं आवास विभाग, झारखंड सरकार की निदेशक विजया जाधव की अगुवाई में PMAY(U) एवं DAY-NULM योजना की स्टेट टीम ने भी भाग लिया.
एक्सपो में लगायी जा रही प्रदर्शनियों में झारखंड के लाइट हाउस प्रोजेक्ट (LHP), रांची एवं कालिरेखा कुष्ठ आश्रम, देवघर के प्रोजेक्ट मॉडल को भी शामिल किया गया है.


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‘आजादी का अमृत महोत्सव’ के तहत लखनऊ (यूपी) में चल रहे तीन दिवसीय ‘आजादी@75 – न्यू अर्बन इंडिया: ट्रांसफॉर्मिंग अर्बन लैंडस्केप’ सम्मेलन-सह-एक्सपो के दौरान दूसरे दिन के पहले सत्र में बुधवार को एक डिजिटल अर्थव्यवस्था व NULM (राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन) में आजीविका की सुविधा प्रदान करने वाले मार्केट लीडर्स के साथ साझेदारी विषय पर चर्चा की गयी.
इस चर्चा में भाग लेते हुए नगरीय प्रशासन निदेशालय (DMA) की निदेशक विजया जाधव ने झारखण्ड में ‘सोनचिरैया ब्रांड’ के तहत रांची नगर निकाय क्षेत्र अंतर्गत स्वयं सहायता समूह की महिलाओं द्वारा तीज पर्व के अवसर पर तैयार की गई ‘सोनचिरैया गुजिया’ के उत्पादन, ब्रांडिंग व उसकी मार्केटिंग की पूरी प्रक्रिया पर विस्तारपूर्वक प्रकाश डाला. उन्होंने कहा कि इस राह में हमें कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ा.
उन्होंने इस बारे में अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि वर्तमान दौर में कोविड के चलते आज पूरा विश्व वैश्विक बाजार के एक मंच पर आ गया है.
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ऐसे में हमने देखा कि हमारे पास एक अच्छा अवसर है, जिसका फायदा हमें उठाना चाहिए. इस काम को करने के लिए एक नगर निकाय के स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने व्यक्तिगत रुचि दिखायी. हालांकि यह रास्ता आसान नहीं था, क्योंकि ये महिलाएं जिस राज्य (झारखण्ड) से संबंधित हैं, वहां साक्षरता दर काफी कम है.
वहां की ज्यादातर महिलाएं आज के जमाने के मुताबिक डिजिटली व तकनीकी रूप से उतनी साक्षर नहीं हैं. वे जिस इलाके से आती हैं वे डिजिटल रूप से भी सुलभ क्षेत्रों में शामिल नहीं हैं.
ऐसे में उन्हें किसी भी उत्पाद की ऑनलाइन बिक्री के लिए भी कई तरह की मुश्किलों का सामना करना पड़ता है. उदाहरण के लिए वे पूरी सप्लाई चेन मैनेजमेंट को समझने में सक्षम नहीं हैं. वस्तु स्थिति यह है कि वे केवल वस्तुओं का उत्पादन कर सकती हैं. इसलिए उन्हें हमें आर्थिक रूप से साक्षर बनाना होगा.
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वे वर्तमान में नगर प्रशासन निदेशालय के पैन नंबर या जीएसटी पंजीकरण संख्या का उपयोग कर रही हैं. ऐसे में इन सभी पहलुओं पर गौर कर इनका हल निकालना होगा. उनका पिकअप प्वाइंट (संग्रह केंद्र) सिर्फ यूएलबी (नगर निकाय) ही है. ऐसे में हमें वैश्विक और प्रतिस्पर्धी बाजार को अन्य उत्पादक के साथ चिह्नित करना होगा.
दूसरी दिक्कत पैकेजिंग, ब्रांडिंग और सोर्टिंग (Sorting) की है, क्योंकि उनके उत्पाद को देश के सबसे दूर के हिस्से तक पहुंचाना भी एक चुनौती है. उनके लिए यह समझना भी आवश्यक था कि वे समझ सकें कि एक उत्पाद कैसा होना चाहिए, न केवल उत्पादन, बल्कि उसकी पर्याप्त मात्रा भी होना चाहिए.
तीसरी दिक्कत वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) की है. इन सभी दिक्कतों को देखते हुए सभी औपचारिकताओं को पूरा करने के साथ-साथ इन महिलाओं को हमने तकनीकी रूप से प्रशिक्षण देकर सक्षम बनाया.
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