
Naveen Sharma
Ranchi : 1947 में हमारे देश को दो बेशकीमती उपहार मिले. पहला तो आप सब जानते ही हैं देश अंग्रेजों की गुलामी से मुक्त हुआ. दूसरा लता मंगेशकर ने इसी साल हिंदी फिल्म के लिए अपना पहला गाना रिकॉर्ड कराया था जो ठुमरी था . इसके बोल थे ‘पा लागूं, कर जोरी,श्याम मोसे न खेलो होरी’ फिल्म- आप की सेवा में (47) इसके संगीतकार- दत्ता दवजेकर व गीतकार- महिपाल थे.
इस तरह हमारे देश ऩे 1947 से एक नए सफर की शुरूआत की. इस सफर को सुरमई बनाने में लता मंगेशकर ने अपनी सुरीली और मनमोहक आवाज से एक ऐतिहासिक भूमिका अदा की है.


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कम उम्र में पिता की साया उठ गया
लता का जन्म मराठा परिवार में, मध्य प्रदेश के इंदौर शहर में 28 सितंबर 1929 को मास्टर दीनानाथ मंगेशकर की सबसे बड़ी बेटी के रूप में मध्यवर्गीय परिवार में हुआ. उनके पिता रंगमंच के कलाकार और गायक थे. लता ने पाँच साल की उम्र से पिता के साथ एक रंगमंच कलाकार के रूप में अभिनय करना शुरू कर दिया था.
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13 साल की उम्र में पहला मराठी गीत गाया
पहला गीत उन्होंने 13 साल की उम्र में 1942 में बनी मराठी फिल्म ‘पहली मंगला गौड़’ के लिए गाया था ! इस फिल्म में उन्होंने हिरोईन की बहन का रोल भी किया था !
इस फिल्म को करने के बाद वे कोल्हापुर आयीं और उन्होंने मास्टर विनायक की कंपनी में 200 रूपये महीना की पगार पर नौकरी शुरू की,लेकिन उनकी इस नई यात्रा को देखने और उनकी हौसला अफजाई करने के लिए उनके पिता नहीं रहे.
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घर की जिम्मेदारी का बोझ लता के नाजुक कंधों पर
1942 में पिता की असामयिक मौत की वजह से घर में सबसे बड़ी होने के कारण परिवार के पालन पोषण की पूरी जिम्मेदारी महज 13 साल की किशोरी लता के नाजुक कंधों पर आ गई.
लता ने हार नहीं मानी और बखूबी सी जिम्मेदारी को पूरा क्या, लेकिन इतने बड़े परिवार की परवरिश में लता को कई कुर्बानी देनी पड़ी यहां तक की वे शादी तक नहीं कर पाईं.
एक इंटरव्यू में उन्होने कहा था, ‘घर के सभी मेंबर्स की ज़िम्मेदारी मुझ पर आ गई थी. इस वजह से कई बार शादी का ख़्याल आता भी तो उस पर अमल नहीं कर सकती थी. बेहद कम उम्र में ही मैं काम करने लगी थी.
बहुत ज़्यादा काम मेरे पास रहता था. साल 1942 में तेरह साल की छोटी उम्र में ही सिर से पिता का साया उठ गया था. इसलिए परिवार की सारी जिम्मेदारियां मुझपर ऊपर आ गई थीं तो शादी का ख्याल मन से निकाल दिया.
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हिंदी फिल्मों में यादगार सफरनामा
1947 से हिंदी फिल्मों में शुरू हुआ लता का अनूठा सफर 1949 तक आते आते एक महत्वपूर्ण मुकाम तक पहुंच गया था. यहां ये बात दीगर है कि देश विभाजन के बाद उस समय की सबसे महत्वपूर्ण गायिका नूरजहां पाकिस्तान चलीं गईं थी. मास्टर गुलाम हैदर की खोज लता ने 1949 में पांच महत्वपूर्ण फिल्मों में पार्श्वगायन किया.
इनमें महल, बड़ी बहन, लाडली, अंदाज और बरसात. इसके बाद तो लता मंगेशकर ही हिंदी सिनेमा की सबसे बड़ी गायिका बन गईं. महल का आएगा आनेवाला आयेगा गीत आज 70 साल बाद भी शौक से सुना जाता है.
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सावरकर से मुलाकात
आज हम संगीतप्रेमी लता दीदी के हजारों सुरीले गीतों को सुनते हुए आनंदित होते हैं उसके लिए हमें क्रांतिकारी वीर सावकर का शुक्रगुजार होना चाहिए. वो इसलिए क्योकि लता किशोरावस्था में समाजसेविका बनना चाहती थीं.
उन्होने वीर सावकर जी से बात की तो उन्होंने लता को संगीत के माध्यम से ही देशसेवा करने को कहा था. लता ने उनका कहना माना और गायन को ही अपना जीवन बना लिया.
राखी भाई मदन मोहन से अटूट रिश्ता
म्यूजिक डायरेक्टर मदन मोहन अपनी पहली फिल्म 1948 में आई आंखें में लता मंगेशकर से गाने गवाना चाहते थे, लेकिन ऐसा हो नहीं पाया .म्यूजिक डायरेक्टर मदन मोहन का रिश्ता बहुत ही अनूठा था.
यतीन्द्र नाथ मिश्र की किताब ‘लता सुर गाथा’ में लता ने मदन मोहन के साथ अपने रिश्ते की कहानी सुनाते हुए बताया था कि एक बार मदन मोहन लता के घर पहुंचे, उस दिन रक्षाबंधन था. मदन मोहन इस बात से बेहद दुखी थे कि उनकी पहली फिल्म में लता नहीं थीं.
फिर वे लता को घर ले गए और कहा- आज राखी है ये लो मेरी कलाई पर बांधो. मदन मोहन ने लता से कहा कि तुम्हें याद है जब हम पहली बार मिले थे तब हमने भाई-बहन का गीत गाया था. आज से तुम मेरी छोटी बहन और मैं तुम्हारा मदन भैया. आज से तुम अपने भाई की हर फिल्म में गाओगी.
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मरने के बाद भी वादे पर कायम रहे
लता से किया हुआ वादा मदन मोहन के निधन के बाद भी पूरा किया गया. दरअसल जब 2004 में फिल्म वीर-जारा में मदन मोहन के कम्पोजिशन को इस्तेमाल किया गया तब सारे गाने लता मंगेशकर ने ही गाए थे.
इसके पहले 1975 में मदन मोहन के निधन के बाद रिलीज हुईं तकरीबन 6 फिल्मों में उनका संगीत लिया गया. जिसमें से कई में लता मंगेशकर की आवाज सुनने को मिली.
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कमबख्त कभी बेसुरी नहीं होती
यह बात मशहूर गायक उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब ने लता मंगेशकर के बारे में कही थी. यह लता मंगेशकर के बारे में उस व्यक्ति का विचार है जिनके बारे में लता दी अपनी सबसे बड़ी अभिलाषा बताते हुए कहतीं हैं कि काश मैं उस्ताद बड़े गुलाम अली खां साहब की तरह गा पाती.

एक और वाकया सुनिए एक दिन सुबह खां साहब सुबह में रियाज कर रहे थे तो लता का गाया यमन राग का गीत जा रे बदरा बैरी जा रे सुना तो कहने लगे इस लड़की का यमन तीनों में पड़ा है , मैं अपना यमन भूल गया हूं. लता मंगेशकर के गायन की शायद ये सबसे बेमिसाल तारीफ है. इसी तरह की बात मशहूर संगीतकार यहूदी मेनुहिन ने करते हुए कहा थी कि काश ! मेरी वायलिन आपकी गायकी की तरह बज सके.
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नाम गुम जाएगा चेहरा से बदल जाएगा
ये मशहूर गीत गुलजार साहब ने लता मंगेशकर के ध्यान में रख कर लिखा था. यह अपनी तरह की एकलौता गीत होगा जो किसी गीतकार ने किसी गायक को ध्यान में रख कर लिखा हो.
लता ऊर्फ आनंदधन
ये बात कम लोग जानते होंगे कि लता मंगेशकर ने आनंदधन के छद्म नाम से मराठी फिल्मों में संगीत निर्दशन का काम भी कुछ वर्षों तक किया था.
स्कूलिंग रही अधूरी, फिर भी सीखीं कई भाषाएं
लता जी अपनी स्कूलिंग भी पूरी नहीं कर पाईं थीं. वे प्राथमिक क्लास में थी तो एक दिन अपनी 11 महीने की बहन आशा को गोद में लेकर स्कूल चली गईं.
टीचर ने बच्चे को साथ लाने से मना किया तो उस दिन के बाद स्कूल से नाता जो टूटा तो फिर जुड़ नहीं पाया, लेकिन इसकी भरपाई के लिए घर पर ही कई भाषाओं को सीखने के लिए अलग अलग गुरुओं की मदद ली. उन्होंने हिंदी,संस्कृत, ऊर्दू व अंग्रेजी भाषाओं की अच्छी जानकारी प्राप्त की.
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उनके श्रेष्ठ 30 गीत :
- उठाए जा उनके सितम (अंदाज)
- हवा में उड़ता जाए (बरसात)
- आएगा आएगा आएगा आने वाला (महल)
- घर आया मेरा परदेसी (आवारा)
- तुम न जाने किस जहाँ में (सजा)
- ये जिंदगी उसी की है (अनारकली)
- तेरे बुना जिंदगी से कोई शिकवा तो नहीं (आंधी)
- मोहे भूल गए साँवरिया (बैजू बावरा)
- यूँ हसरतों के दाग (अदालत)
- जाएँ तो जाएँ कहाँ (टैक्सी ड्राइवर)
- प्यार हुआ इकरार हुआ (श्री 420)
- रसिक बलमा (चोरी चोरी)
- ऐ मालिक तेरे बंदे हम (दो आँखे बारह हाथ)
- आ लौट के आजा मेरे गीत (रानी रूपमती)
- प्यार किया तो डरना क्या (मुगल ए आजम)
- ओ बसंती पवन पागल (जिस देश में गंगा बहती है)
- दिल तो है दिल, दिल का ऐतबार क्या किजे( मुकद्दर का सिकंदर)
- अल्लाह तेरो नाम (हम दोनों)
- पंख होती तो उड़ आती रे (सेहरा)
- ठारे रहिसो ओ बांके यार (पाकीजा)
- चलते चलते (पाकीजा)
- सुन साहिबा सुन (राम तेरी गंगा मैली)
- कबूतर जा जा(मैंने प्यार किया)
- मेरे हाथों में नौ-नौ चूड़ियाँ है (चाँदनी)
- यारा सीली सली (लेकिन)
- दीदी तेरा देवर दीवाना (हम आपके है कौन)
- मेरे ख्वाबों में जो आए (दिलवाले दुल्हनिया ले जाएँगे)
- दिल तो पागल है (दिल तो पागल है)
- जिया जले जाँ जले (दिल से)
- हमको हमीं से चुरा लो(मोहब्बतें)
लता मंगेशकर को ये पुरस्कार मिले
- फिल्म फेयर पुरस्कार (1958, 1962, 1965, 1969, 1993 and 1994)
- राष्ट्रीय पुरस्कार (1972, 1975 and 1990)
- महाराष्ट्र सरकार पुरस्कार (1966 and 1967)
- 1969 – पद्म भूषण
- 1974 – दुनिया में सबसे अधिक गीत गाने का गिनीज़ बुक रिकॉर्ड
- 1989 – दादा साहब फाल्के पुरस्कार
- 1993 – फिल्म फेयर का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1996 – स्क्रीन का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 1997 – राजीव गांधी पुरस्कार
- 1999 – एन.टी.आर. पुरस्कार
- 1999 – पद्म विभूषण
- 1999 – ज़ी सिने का का लाइफ टाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2000 – आई. आई. ए. एफ. का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – स्टारडस्ट का लाइफटाइम अचीवमेंट पुरस्कार
- 2001 – भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान “भारत रत्न”
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