
Jamshedpur: स्वर कोकिला लता मंगेशकर के निधन से संगीत जगत ही नहीं, हर आम वो खास आहत है. आहत जमशेदपुर से निकलकर वालीवुड में कामयाबी का झंडा गाडने वाला युवा गायक अरुणदेव यादव भी है. लेकिन अरुण काे एक बात का खास मलाल है. अब उसकी ख्वाहिश कभी पूरी नहीं हो पायेगी.
अरुण की ख्वाहिश थी कि एकबार लता मंगेशकर के पैर छूकर आशीर्वाद लूं. उसे यह मौका नहीं मिल पाया. लता मंगेशकर की मौत की खबर अरुण तक पहुंची तो उसे सहसा खबर पर विश्वास नहीं हुआ. न्यूज विंग प्रतिनिधि से अरुण ने कहा- क्या कहूं. कहने को मेरे पास कोई शब्द नहीं है. इससे बड़ी क्षति हम सबके लिए कुछ और नहीं हो सकती है. हम सब के लिए लता जी प्रेरणा थीं. वह हम सबके लिए सरस्वती मां के समान थीं. जितना बड़ा उनका कद था, उतनी ही विनम्र थीं. उनता ही प्यार -आशीर्वाद सब को देती थी. हम सब कलाकारों के साथ-साथ हर वर्ग के लोगों के लिए बहुत बड़ी क्षति है. जब तक यह दुनिया रहेगी उनकी अवाज गूंजती रहेगी. जैसा कि लता दीदी ने गाया भी है- मेरी अवाज ही मेरी पहचान है… इससे बड़ा लाइन क्या होगा. जिंदगी में एक इच्छा थी कि उनके पैर छूकर आशीर्वाद लेता. पर वह इच्छा अधूरी रह गई. अरुण ने मुंबइ के लता मंगेशकर स्टूडियो में जमशेदपुर मेरा नामक गाना रिकार्ड कराया. उसे संगीत प्रेमियों का बहुत प्यार भी मिला था.
पोस्ट कोविड से पीडित थीं लता मंगेशकर
भारत रत्न लता मंगेशकर ने रविवार सुबह आठ बज कर 12 मिनट पर मुंबइ के बीच कैंडी अस्पताल में अंतिम सांस ली. 28 दिनों से वह पोस्ट कोविड से पीड़ित थी. अपनी सुरीली आवाज से देश-दुनिया पर दशकों तक राज करने वाली सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर 92 साल की थीं. भारत की नाइटिंगेल’ के नाम से दुनियाभर में मशहूर लता मंगेशकर ने करीब पांच दशक तक हिंदी सिनेमा में फीमेल प्लेबैक सिंगिंग में एकछत्र राज किया. जनवरी में कोरोना पॉजिटिव पाए जाने के बाद उन्हें मुंबई के एक अस्पताल में भर्ती कराया गया था.बाद में वह न्यूमोनिया से पीड़ित हो गईं.हालत बिगड़ने के बाद उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था.उनकी हालत में सुधार के बाद वेंटिलेटर सपोर्ट भी हट गया था.लेकिन 5 फरवरी को उनकी स्थिति बिगड़ने लगी और उन्हें फिर से वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया.सरकार ने दो दिन का राष्ट्रीय शोक घोषित किया है. लता जी का पार्थिव शरीर अंतिम दर्शन के लिए शिवाजी पार्क में रखा जाएगा.