
Dhanbad: झारखंड राज्य की हेमंत सोरेन सरकार ने भोजपुरी और मगही को धनबाद और बोकारो की स्थानीय भाषा की सूची से बाहर कर दिया है. इस निर्णय की धनबाद में जहां जेएमएम और मासस कार्यकर्ताओं ने स्वागत किया है. वहीं भाजपा, राजद और समाजिक संस्था भोजपुरी, मगही, मैथिली संस्कृति बचाओ मंच के लोगों ने हेमंत सरकार की आलोचना की है. लोगों में उबाल है. साथ ही कांग्रेस एवं जेएमएम कार्यकर्ताओं में भी मुख्यमंत्री के इस निर्णय को लेकर विरोधाभास है.
शनिवार को भाजपा के धनबाद विधायक राज सिंहा ने इस मुद्दे पर कहा कि मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने नाहक में विवाद खड़ा किया है. इसके लिए झारखंड सरकार में बैठे लोग भी जिम्मेदार हैं.
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भाषा विवाद को सरकार में बैठे लोग हवा दे रहे थे. खासकर कांग्रेस के लोग इस तरह की बातों को हवा दे रहे हैं. अंग्रेजों की पीट्ठु के तौर पर बने इस पार्टी की नीति ही रही है फूट डालो और शासन करो.




भाषा विवाद भी उनकी इसी नीति का परिचायक है. जिस तरह से पूरे विवाद पर कांग्रेस के लोगों का रूख रहा है उसके लिए उनको जवाब देना पड़ेगा. क्योंकि यह विशुद्ध रूप से राजनैतिक निर्णय है.
इधर, शनिवार को झरिया विधानसभा क्षेत्र के भोजपुरी, मगही, मैथिली संस्कृति बचाओ मंच के लोगों ने एक स्वर में कहा की झारखंड किसी की बपौती नहीं हैं. भोजपुरी, मगही, मैथिली, अंगिका भाषा के लोगों का भी झारखंड निर्माण में योगदान रहा है.
मंच के लोगों ने डिगवाडीह में मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन, शिक्षा मंत्री जगन्नाथ महतो, मंत्री आलमगीर आलम व प्रदेश झारखंड कांग्रेस के अध्यक्ष राजेश ठाकुर का पुतला दहन किया.
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नेतृत्व जितेंद्र पासवान, अभिषेक सिंह बंटी, डब्लू राय, मनन यादव ने किया. मौके पर मंच के लोगों ने कहा कि शिक्षा, नियोजन की नीति में धनबाद, बोकारो से हटाये गए भोजपुरी, मगही को पुन: लागू किया जाए. इस भाषा को बोलने वालों की संख्या काफी है.
अगर हमारी भाषा को शामिल नहीं किया गया तो झारखंड सरकार की ईंट से ईंट बजा देंगे. धनबाद, बोकारो में आर्थिक नाकेबंदी आंदोलन करेंगे.
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मौके पर राजेंद्र गोंड, सूरज साव, दिलीप साव, पिटू राय, विनय गुप्ता, चंदन साव, चिटू पासवान, राजेश साहनी, राजेश सिंह, राकेश सिंह, साबिर आलम, जावेद अंसारी, शाहिद अंसारी, समीर अंसारी, आदि थे.
इधर, मंच के संयोजक एवं जेएमएम के केन्द्रीय समिति सदस्य मदन राम ने कहा कि कांग्रेस के झारखंड प्रदेश अध्यक्ष राजेश ठाकुर, विधायक दल के नेता आलमगीर आलम के दबाव में झारखंड के मुख्यमंत्री ने धनबाद, बोकारो से मगही, भोजपुरी भाषा को क्षेत्रीय भाषा से हटाने का काम किया है. मगही, भोजपुरी भाषी के लोग उन्हें कभी माफ नहीं करेंगे. मंच का चरणबद्ध आंदोलन जारी रहेगा.
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झामुमो ने बांटी मिठाई:
भोजपुरी, मगही और अंगिका को क्षेत्रीय भाषा का दर्जा से हटाए जाने के बाद झारखंड मुक्ति मोर्चा ने मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को धन्यवाद देते हुऐ रणधीर वर्मा चौक पर पटाखे फोड़े. और झारखंड मुक्ति मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने एक दूसरे को मिठाई खिलाकर खुशी का इजहार किया. झामुमो के केन्द्रीय समिति सदस्य कंसारी मंडल ने कहा कि सरकार ने सही समय पर फैसला लिया है जो स्वागत योग्य है.
धनबाद और बोकारो में भोजपुरी मगही अंगिका बोलने वाले की संख्या कम है. बाकी जिलों में भाषा के आधार पर भोजपुरी मगही अंगिका को मान्यता दी गई है.
वहींं इस दौरान झरिया मे लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री के पुतला दहन मामले पर उन्होंने कहा कि पहले उन लोगो को समझ लेना चाहिए की 1925 और 1932 मे हजारीबाग और धनबाद मे किस भाषा मे खतियान लिखि गई थी.
उसके बाद ही मुख्यमंत्री पर आरोप लगायेंं. मुख्यमंत्री ने पहले ही भाषा संसोधन को लेकर कहा था कि सही समय पर कर दिखलाएंगे. सही समय पर सही फैसला लिया गया है, इसलिए खुशियां मनाई जा रही है.
धनबाद, बोकारो से भोजपुरी, मगही भाषा को क्षेत्रीय सूची से हटाना स्वागत योग्य : मासस
शनिवार को बलियापुर पहुंचे मासस के हलधर ने पत्रकारों के सामने अपनी प्रतिक्रिया व्यक्त की. इस दौरान उन्होंने धनबाद और बोकारो जिला से भोजपुरी व मगही भाषा को झारखंड सरकार की ओर से क्षेत्रीय भाषा की सूची से हटाए जाने के निर्णय का मासस के केंद्रीय महासचिव हलधर महतो ने स्वागत किया. उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की सरकार व आंदोलनकारियों को बधाई दी है.
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