
Dhanbad : जल शक्ति और हरा-भरा धनबाद अभियान के तहत जिला प्रसासन और नगर निगम की ओर से सड़क के बीच बने डिवाइडर में एक माह पूर्व काफी तामझाम से पौधे लगाये गये थे. इन पौधों को लगाने में विभाग की ओर से लाखों रुपये खर्च भी किये गये थे.
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लेकिन देखरेख के अभाव में ये सभी पौधे महज एक माह में ही सूख गये या जानवरों का निवाला बन गये. अगर ये पौधे जीवित रहते तो सड़क देखने में तो सुंदर लगती ही, पर्यावरण पर भी इसका असर पड़ता. लोगों को कुछ हद तक ही सही लेकिन प्रदूषण से भी मुक्ति मिलती.
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न देखरेख की गयी न घेराबंदी हुई
एक माह पूर्व जिला प्रसासन और नगर निगम ने काफी ताम झाम से धनबाद के धैया- बरवाअड्डा सड़क के बीच बने डिवाइडर पर सैकडों पौधे लगाये थे. इस बीच खुद डीसी अमित कुमार, डीडीसी शशि रंजन कुमार, मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल, नगर आयुक्त चंद्रमोहन कश्यप और कई अधिकारियों ने उपस्थित होकर पौधे लगाये थे.
इस दौरान कहा गया था कि पौधे को घेरा जायेगा और इसकी देखरेख भी की जायेगी. लेकिन न तो पौधों की घेराबंदी की गयी और न ही इनकी देखरेख की गयी फलस्वरूप ये पौधे या तो सूख गये या फिर आवारा पशुओं का निवाला बन गये.
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आवारा पशुओं ने भी बनाया निवाला
पौधरोपण करने के बाद सभी अधिकारी ने इस तरफ झांकना भी उचित नहीं समझा. समय पर देखरेख नहीं होने के कारण ये पौधे सूख गये. घेराबंदी नहीं होने के कारण सड़कों पर घूमने वाले आवारा पशुओं ने इन पौधों को अपना निवाला बना लिया.
बरवाअड्डा से लेकर धैया तक डिवाइडर पर कई तरह के पौधे लगाये गये थे. इनमें कनेर के साथ कई किस्म के फूल के पौधे थे. कुछ लोगों का यह भी कहना है कि कांट्रैक्टर ने डिवाइडर पर कचरा डलवा दिया जिसस कारण ये पौधे सूखने लगे.
वहीं नगर निगम के जल शक्ति अभियान के प्रभारी बिजय कुमार का कहना है कि ये जिला प्रसासन और नगर निगम दोनों की संयुक्त योजना थी. उन्होंने कहा कि फूल के पौधों की टहनी लगायी गयी थी. इसलिए पौधे निकलने में देर हो रही है. ये पौधे मरे नहीं हैं, बल्कि फिर से निकलेंगे.
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