
Bhopal : हिंदू महासभा के नेता बाबूलाल चौरसिया को अपनाने के बाद कांग्रेस पार्टी लगातार निशाने पर है. इस मामले में कांग्रेस पार्टी के अंदर भी दो खेमे बन गए हैं. वहीं हिंदू महासभा ने भी कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी को इस मामले में चिट्ठी लिख डाली है. पत्र में राहुल से कहा कि अब वक्त आ गया है कि कांग्रेस का नाम बदलकर ‘गोडसेवादी कांग्रेस’ कर लिया जाना चाहिए.
नाथूराम गोडसे का मंदिर निर्माण कराने का आरोप
हिंदू महासभा के महामंत्री विनोद जोशी ने अपने पत्र में लिखा कि कांग्रेस ने अपनी गलती स्वीकार की है और गांधीवादी कांग्रेस में गांधी की हत्या करने वाली गोडसे की विचारधारा को स्वीकार किया है. उन्होंने कहा कि ग्वालियर में नाथूराम गोडसे का मंदिर निर्माण करने वाले पूर्व पार्षद बाबूलाल चौरसिया अकेले ही कांग्रेस में सदस्यता ले पाए. इससे सिद्ध होता है कि गांधीवादी कांग्रेस में अब आम नागरिक आना नहीं चाहता है. इसलिए पार्टी का नाम बदलकर ‘गोडसेवादी कांग्रेस’ रख लें. जिससे आपका राजनीतिक स्वरूप बच सके और गोडसेवादी संगठन की शक्ति बढ़ाएं.


दरअसल, 26 फरवरी को हिंदू महासभा ने पूर्व मुख्यमंत्री एवं प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमल नाथ को पत्र लिखा था. जिसमें लिखा गया था कि हिंदू महासभा के पार्षद बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल करके, कांग्रेस ने नाथूराम गोडसे की विचारधारा स्वीकार कर ली है. यह हिंदू महासभा की जीत है.




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‘जब बाल्मीकि डकैत होकर संत बन सकते हैं तो मेरा…
वहीं, बाबूलाल चौरसिया को कांग्रेस में शामिल कराने वाले ग्वालियर दक्षिण विधानसभा क्षेत्र के विधायक प्रवीण पाठक ने इंटरनेट पर वीडियो अपलोड किया है. वीडियो में अपनी प्रतिक्रिया देते हुए बाबूलाल चौरसिया बोल रहे हैं कि ‘जब बाल्मीकि जी एक डकैत होकर संत बन सकते हैं, तो मेरा हृदय परिवर्तन क्यों नहीं हो सकता. मैं तो आम आदमी हूं, मेरा भी हृदय परिवर्तन हो सकता है. अब मैं कांग्रेस में शामिल होकर महात्मा गांधी की लाठी बनने जा रहा हूं.
वहीं, हिंदू महासभा के नेता की एंट्री पर कांग्रेस दो खेमों में बंट गई है. पूर्व केंद्रीय मंत्री अरुण यादव और कांग्रेस नेता मानक अग्रवाल खुलकर इसका विरोध कर रहे हैं. दिग्विजय सिंह भी इसके पक्ष में नहीं हैं, लेकिन खुल कर विरोध नहीं कर रहे हैं. कांग्रेस का एक गुट कमलनाथ के पक्ष में खड़ा है.
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