
Chandi Dutta Jha
Ranchi: मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार IAS अधिकारी पूजा सिंघल की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. ईडी के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में पेशी के बाद होटवार स्थित बिरसा मुंडा केद्रीय कारा में भेज दिया गया. रिमांड की अवधि समाप्त होने के बाद उसे ईडी की विशेष कोर्ट में पेश किया गया था. होटवार जेल में आईएएस पूजा सिंघल को 1187 नंबर दिया गया है. यानी पूजा अब कैदी नंबर 1187 के रूप में जानी जायेंगी. हम आपको बतायेंगे जेल में एक कैदी की जिंदगी किस तरह होती है और उनकी दिनचर्या क्या होती है.
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तीन टाइम होती है कैदियों की गिनती


सबसे पहले अहले सुबह जेल खोला जाता है. यहां सभी कैदी सुबह 5 बजे उठते हैं और फिर साढ़े पांच बजे उनकी खुले में गिनती की जाती है. इसके आधे घंटे के बाद यहां हर एक कैदी प्रार्थना करने के लिए इकट्ठा होते हैं और उसी बीच चाय बांटी जाती है. फिर बंदियों को नाश्ता दिया जाता है. कैदियों को पढ़ने के लिये अखबार भी दिया जाता है. 10 बजे के करीब वैसे कैदी जिनको कोर्ट जाना है उन्हे कोर्ट भेज दिया जाता है. 12:30 दोपहर में कैदी को वार्ड में भेज दिया जाता है. जहां दोबारा काउंटिग की जाती है. इस वक्त कैदी को खाना दिया जाता है, फिर जेल में उन्हें बंद कर दिया जाता है. खाने के बाद करीब डेढ़ घंटा का रेस्ट दिया जाता है. कैदी वार्ड में टीवी देखने का भी समय दिया जाता है. शाम को तीसरी बार फिर कैदियों की काउंटिंग की जाती है. शाम में भी कैदियों से प्रार्थना करवाया जाता है. 8 बजे तक हर कैदी को बैरक में बंद कर दिया जाता है. जेल में कैदियों का सुबह से शाम तक का एक रूटीन फिक्स है. यदि एक बंदी भी कम निकले तो समझो जेल में कोहराम. जब तक वह मिल न जाए.
पूरी चेकिंग के बाद छोड़ा जाता है जेल में
जब किसी कैदी को जेल में लाया जाता है तब उसकी पूरी चेकिंग होती है कि कहीं उसके पास कोई हथियार तो नहीं. इन सभी प्रक्रियाओं को पार करने के बाद कैदी को जेल के अंदर छोड़ा जाता है. जहां उसे ड्रेस और कैदी नंबर दिया जाता है. जिन कैदियों के बारे में पता होता है कि ये जल्द रिहा हो जाएंगे उन्हें ये सब चीजें नही दी जाती और वो अपने कपड़ो में ही जेल में रह सकते हैं. जेल में कैदियो को कंबल, चादर, थाली, कटोरी व ग्लास दिया जाता है. वहीं सजायाफ्ता कैदी को सफेद ऑफ पैंट और शर्ट दिया जाता है. वहीं जेल में कलाई घड़ी, नकदी, गहने, माचिस, नुकीला पदार्थ, नशे का समान कैदियों के लिये वर्जित होता है.
मुलाकात का समय है निर्धारित
मुलाकात का वक्त सुबह 8 से 12 तय है. मैनुअल के मुताबिक बंदी से उसके परिजन हफ्ते में सिर्फ एक दिन मिल सकते हैं. कैदी से मिलने के लिए उनके परिवार वाले एक निर्धारित समय पर ही जाकर कैदी से मिल सकते हैं जिसके लिए उन्हें पहले से ही एंट्री करानी पड़ती है ताकि ये पता चल सके कि कौन से कैदी से मिलने के लिए कौन आया है और ये सारी चीजे क्रम से होती है मुलाकात के लिए एक तरफ बंदी और दूसरी ओर परिजन या रिश्तेदार बात करते है. यह मुलाकात 5-10 मिनट की हो सकती है.
चार आईएएस जा चुके हैं जेल
झारखंड अलग राज्य बनने के बाद झारखंड कैडर के के चार आईएएस अधिकारी जेल की हवा खा चुके हैं. चारों अधिकारी अलग-अलग मामले में जेल जा चुके हैं. मुख्य सचिव रहे सजल चक्रवर्ती पशुपालन घोटाला मामले में जेल जा चुके है. अशोक कुमार सिंह को बिहार के एक मामले में जेल जाना पड़ा था. हालांकि, वह केस से बरी हो गये थे. इसके अलावा डॉ प्रदीप कुमार और सियाराम प्रसाद झारखंड में हुए दवा घोटाले में जेल गये थे. स्वास्थ्य विभाग में तत्कालीन सचिव डॉ प्रदीप कुमार पर प्राथमिकी दर्ज करायी गयी थी.
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