
Khunti: कई राज्यों में काम करने वाले सामाजिक संगठनों और झारखंड के सामाजिक कार्यकर्ताओं की अगुवाई में डब्लू एस एस (WSS) की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम ने खूंटी का दौरा किया. इस दौरान वे कोचांग, घाघरा समेत उन तमाम गांवों में पहुंचे जो घटना से प्रभावित हैं. टीम ने घटना से प्रभावित लोगों और घटना की जानकारी रखने वाले लोगों से भी बात की. फैक्ट फाइंडिंग टीम के मेंबर्स गैंगरेप की शिकार युवतियों से मिलना चाहते थे, पर पुलिस ने उन्हे मिलने नहीं दिया. टीम के सदस्यों का कहना है कि उन्होने खूंटी के डीसी और एसपी से मिलने का समय मांगा, लेकिन वे डब्लू एस एस (WSS) की टीम से नहीं मिले.
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डब्लू एस एस (WSS) की एक फैक्ट फाइंडिंग टीम के सवाल
• पुलिस को कथित गैंगरेप की घटना की जानकारी कब और कैसे मिली ?
• पुलिस का दावा है कि 21 जून को गैंगरेप की जानकारी मिली और वे 21 जून को ही पीड़िताओं को मेडिकल जांच के लिए ले गये. जबकि सदर अस्पताल खूंटी के मुताबिक 20 जून को ही दो पीड़ित महिलाओं की मेडिकल जांच की गई. और 21 जून को दोबारा पांच महिलाओं की मेडिकल जांच दोबारा की गई. पुलिस और सदर अस्पताल के बताये तथ्यों में विरोधाभास क्यों ?
• पुलिस का दावा है कि उसके पास कथित गैंगरेप का वीडियो था, तब पुलिस ने अज्ञात पतथलगड़ी समर्थकों के खिलाफ केस क्यों दर्ज किया ?
• पुलिस ने पकड़े गये गैंगरेप के आरोपियों का पीड़ित महिलाओं द्वारा शिनाख्त नहीं करवाया. इसकी जगह पर हिरासत में लिए गये दो आरोपियों द्वारा पहचान करवा रही है. ऐसा क्यों ?
• नुक्कड़ नाटक करने वाली संस्था के संचालक जिसने एफआईआर दर्ज करवाई वो कहां गायब है ?
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डब्लू एस एस (WSS) की जांच टीम के निष्कर्ष
1. इस पूरे मामले में पीड़ित महिलाओं का पक्ष पूरी तरह गौण है. उनके परिवार की ओर से भी कोई बयान नहीं आया.
2. संस्था आशाकिरण को भी प्रेस या स्वतंत्र एजेंसी से बात करने पर रोक लगा दी गई है.
3. ऐसे में एकमात्र स्रोत पुलिस है. पुलिस जो कह रही है, वहीं मीडिया में भी छप रहा है. इसके अलावा कोई दूसरा माध्यम सत्य जानने के लिए बचता ही नहीं है.
4. झारखंड पुलिस पहले दिन से पत्थलगड़ी, चर्च, मिशनरी के खिलाफ बयान दे रही है. मामले को गोपनीय रखने के नाम पर जानकारी के अन्य माध्यमों को बंद कर दिया गया है.
5. मीडिया के एक बड़े तबके ने गैंगरेप से ज्यादा पत्थलगड़ी, चर्च, फादर, मिशन, जैसे मुद्दों को उछाले रखा. गैंगरेप के तथ्यों को कभी आधा-अधूरा तो कभी पुलिस का वर्जन ही छाप दिया गया. इससे एक टकराव का माहौल बनाने में मदद मिली. ऐसा लगा जैसे गैंगरेप के बहाने पुलिस पत्थलगड़ी समर्थकों के खिलाफ अभियान चला रही है.
डब्लू एस एस (WSS) की जांच टीम ने पूरे मामले की जांच स्वतंत्र एजेंसी से कराने की मांग की है. टीम का कहना है कि पुलिस ने घाघरा गांव में जो दमन चक्र चलाया उसकी भी जांच होनी चाहिए.
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