
Jamshedpur : शहर में सैरात बाजाारकी दुकानों के भाड़े में बढ़ोत्तरी का मुद्दा तूल पकड़ा हुआ है. इस मामले में सिंहभूम चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारी सैराती दुकानदारों के पक्ष में खुलकर सामने आ रहे हैं. इसी बीच व्यापारी नेता कमल किशोर अग्रवाल और संदीप मुरारका ने चैंबर ऑफ कॉमर्स के पदाधिकारियों पर जुबानी हमला बोला है. उनका कहना है कि स्वार्थ से भरे हुए पदाधिकारी जो चैंबर की भूमि नहीं बचा पाए, वे सैरात के मुद्दे पर क्या लड़ेंगे ?
यह है कहना
इन नेताओं ने जारी एक बयान में कहा है कि कुछ वर्षों पहले सिंहभूम चैंबर ऑफ कामर्स एंड इंडस्ट्री को टाटा स्टील लैंड डिपार्टमेंट ने एक पत्र दिया था. उसमें चैंबर भवन के समक्ष 32600 वर्ग फीट जमीन उन्हें आवंटित की गई एवं सबलीज के लिए आवश्यक न्यूनतम शुल्क जमा करने का निर्देश दिया गया. इसके तहत मात्र एक लाख रुपये की मांग की गई थी, लेकिन चैंबर के पदाधिकारियों ने टाटा स्टील को पत्र का जवाब देते हुये शुल्क की राशि 1 लाख से घटाकर मात्र 1 रुपए करने का आग्रह किया. टाटा स्टील ने उपरोक्त पत्र का जवाब तक नहीं दिया और आगे चलकर वह भूमि टीके इंडिया रियल इस्टेट प्राइवेट लिमिटेड को आवंटित कर दी गई. ऐसे पदाधिकारी सैराती दुकानदारों की लड़ाई कैसे लड़ सकेंगे.
सैराती दुकानदारों को सलाह-अपनी लड़ाई खुद लड़ें
इन व्यापारी नेताओं ने सैराती दुकानदारों को सलाह दी है कि अपनी लड़ाई वे खुद लड़ें. जमशेदपुर में कई वरिष्ठ अधिवक्ता और कई योग्य परामर्शदाता हैं. झारखंड सरकार और टाटा स्टील से सेवानिवृत हुए कई वरिष्ठ अधिकारी भी हैं. उनकी सलाह लेकर दुकानदारों को कानूनी तरीके से अपने पक्ष को मजबूती से रखना चाहिए. उन्होंने दुकानदारों को बेवजह चैंबर के पदाधिकारियों के बहकावे में नहीं आने की बात कही है. इससे सैरात की मूल लड़ाई दिशा से भटक जाएगी.
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