
Ranchi : झारखंड में जेपीएससी परीक्षा में नियुक्ति से जुड़ी परीक्षा और नियुक्ति प्रकिया में गड़बड़ी और विवाद तो जगजाहिर है. लेकिन झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा और नियुक्तियां भी कम विवादित नहीं हैं. जेएसएससी द्वारा की गई बहाली में भी खूब लापरवाही बरती गयी है. जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता रहा है. जेएसएसी के द्वारा दारोगा बहाली और तकनीकी पदों के बहाली प्रक्रिया में निकाले गये विज्ञापन में गड़बड़ी के कारण 50 से अधिक छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा
Subhash Shekhar
Ranchi : झारखंड में जेपीएससी परीक्षा में नियुक्ति से जुड़ी परीक्षा और नियुक्ति प्रकिया में गड़बड़ी और विवाद तो जगजाहिर है. लेकिन झारखंड कर्मचारी चयन आयोग द्वारा ली जाने वाली परीक्षा और नियुक्तियां भी कम विवादित नहीं हैं. जेएसएससी द्वारा की गई बहाली में भी खूब लापरवाही बरती गयी है. जिसका खामियाजा छात्रों को भुगतना पड़ता रहा है. जेएसएसी के द्वारा दारोगा बहाली और तकनीकी पदों के बहाली प्रक्रिया में निकाले गये विज्ञापन में गड़बड़ी के कारण 50 से अधिक छात्रों को परेशानी का सामना करना पड़ा. जिसकी वजह से वह आज भी इसकी लड़ाई हाईकोर्ट में लड़ रहे हैं. 50 उम्मीदवारों ने झारखंड पुलिस के रेडियो और वायरलेस विंग में उप-निरीक्षकों के रूप में भर्ती के लिए लिखित और शारीरिक परीक्षणों को मंजूरी दे दी. लेकिन उनके शैक्षणिक डिग्री से संबंधित विवाद के कारण उन्हें अयोग्य घोषित किया गया है.
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JSSC ने निकाला था विज्ञापन
झारखंड राज्य कर्मचारी आयोग के द्वारा विज्ञापन संख्या 07/2017 के तहत 100 पदों के लिए वेकेंसी जारी की गयी थी. जिसमें आवेदकों से न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेलीकम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग या इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्यूनिकेशन इंजीनियरिंग में सेकेंड डिविजन की मांग की गयी थी. इसके अलावा डिप्लोमा या भौतिकी के साथ सेकेंड डिविजन में बीएससी अथवा इंटरमीडिएट विज्ञान के साथ बीसीए की डिग्री मांगी गयी थी.
जबकि रांची विश्वविद्यालय ने कार्मिक विभाग झारखंड सरकार को विज्ञापन जारी होने के पहले ही 7 जून 2017 को यह लिखित जानकारी दी थी कि यूनिवर्सिटी में बीएससी सीए और बीएससी आईटी की पढ़ायी होती है. इसलिए इन्हें अगले किसी भी नियुक्ति परीक्षा में इन विषयों को शामिल किया जाय. रांची यूनिवर्सिटी ने अपने पत्र में कहा कि ये विषय बीसीए के समकक्ष हैं.समय पर परीक्षा ली गयी और कई छात्र लिखित और फिजिकट टेस्ट में पास भी हो गये. लेकिन जब प्रमाण पत्रों की भौतिक सत्यापन की जाने लगी तो कई छात्रों के प्रमाण पत्रों पर जेएसएससी ने सवाल खड़ा कर दिया और उनकी नियुक्ति पर रोक लगा दी.
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छात्रों ने बतायी आपबीती
रामगढ़ जिले के मांडू के रहने वाले राकेश कुमार ने गृह विभाग को लिखित आवेदन दिया और कहा कि झारखंड के किसी यूनिवर्सिटी में बीसीए की पढ़ाई नहीं होती है. लेकिन इस विज्ञापन में बीसीए की डिग्री मांगी जा रही है. यहां के विश्वविद्लयों में बीसीए की जगह बीएससी आईटी और बीएससी सीए की तीन वर्षीय डिग्री कोर्स होती है. इस तरह से अपनी तर्कों को कई छात्रों ने जेएसएससी, गृह विभाग और कार्मिक विभाग के पास अपनी बात रखी. लेकिन यहां पर न तो यूनिवर्सिटी की सुनी गयी और न छात्रों की. आखिरकार छात्र हक के लिए अदालत में चले गये हैं.
एक परीक्षार्थी निशांत कुमार का कहना है कि वे ऑनलाइन फॉर्म भर चुके हैं और अपलोड किए गए प्रमाणपत्रों में सब कुछ क्लीयर हो चुका है और टेस्ट के लिए भी मंजूरी दी गई. लेकिन प्रमाण पत्रों के भौतिक सत्यापन के दौरान अयोग्य घोषित किया गया. उनके पास “इलेक्ट्रॉनिक्स” का प्रमाण पत्र था. जबकि जेएसएससी ने कहा इलेक्ट्रॉनिक एंड कम्युनिकेशन लिखा कर लाइये, जो कि प्रमाण पत्र में नहीं था. जब हम अपने विभाग के पास गये तो एसबीटी ने बताया कि आपको समकक्ष डिग्री का प्रमाण पत्र दे चुके हैं. जिसमें लिखा है डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स, डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड कम्युनिकेशन और डिप्लोमा इन इलेक्ट्रॉनिक्स एंड टेली कम्युनिकेशन सभी समकक्ष हैं. यह जॉब के लिए योग्य माना जायेगा.
एक दूसरे छात्र ने बताया कि इंडियन कॉस्ट गार्ड, पीडीसीआईएल, डीआरडीओ, एनपीसीआई कहीं पर भी हमारे प्रमाण पत्रों पर सवाल खड़ा नहीं किया गया. सिर्फ झारखंड के जेएसएससी ने ऑब्जेक्शन कर दिया है. जेएसएससी ने कह दिया कि आपका सर्टिफिकेट मान्य नहीं है,आपको नहीं ले सकते. इसलिए इस मामले पर हमने जेएसएससी पर केस भी दायर किया है.
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एक दूसरे छात्र सुनील कुमार चौधरी ने बताया कि कुछ दिन पहले वायरलेस दारोगा का वेकेंसी निकला था. उसमें बहुत से छात्र पास भी हुए हैं. जब प्रमाण पत्र वेरीफिकेशन में गया तो लोगों ने कहा कि आप बीएससी आईटी हैं, सिर्फ यहां बीसीए को लिया जायेगा. तब हमने उन्हें बताया कि हमें यूनिवर्सिटी कहती है कि बीएससी आईटी, बीसीए और बीएसीए तीनों समकक्ष है. लेकिन वहां पर कहा कि आप कार्मिक विभाग से लिखाकर लाइये. जब कार्मिक विभाग हम गये तो वहां कहा गया कि गृह विभाग से लिखाकर लाइए. जब गृह विभाग गये तो वहां कहा गया कि यूनिवर्सिटी से लिखाकर लाइए. जब यूनिवर्सिटी से जब लेटर लिखाकर ले गये तो वहां यह कह दिया अब आप लोगों का नहीं हो सकेगा. आप लोग देर कर दिये, अब कुछ नहीं होगा.
आयोग ने पिछले साल अगस्त में नौकरी के लिए एक विज्ञापन जारी किया था. झारखंड पुलिस के वायरलेस विंग के लिए 100 से ज्यादा उप निरीक्षकों की आवश्यकता है.इस मामले को झामुमो के विधायक अमित महतो के द्वारा झारखंड विधानसभा के बजट सत्र के शून्य काल के दौरान उठाया गया था और इस मसले पर छात्रहित में सरकार के समुचित कार्रवाई करने की मांग की गई थी.
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