
Ranchi: झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने आरोप लगाया है कि रघुवर सरकार राज्य के किसानों की जमीन को हड़पने के लिए लगातार कानून में परिवर्तन करने का प्रयास कर रही है. उन्होंने कहा कि झामुमो के पास केंद्रीय कृषि मंत्रालय का एक पत्र है. यह पत्र गृह मंत्रालय को लिखा गया है. इसमें कृषि मंत्रालय ने झारखंड विधानसभा द्वारा पारित भूमि अधिग्रहण अधिनियम 2013 में प्रस्तावित संशोधन पर सहमति नहीं देने का परामर्श गृह मंत्रालय को दिया है. हेमंत सोरेन ने कहा कि उन्हें जानकारी मिली है कि कृषि विभाग के इस आपत्ति को आधार बनाते हुए गृह मंत्रालय ने राज्य सरकार के भूमि अधिग्रहण संशोधन बिल 2017 को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया है. उन्होंने कहा कि इससे साबित होता है कि भूमि अधिग्रहण संशोधन विधेयक 2017 को वापस लेने की हमारी मांग जायज थी. हेमंत ने कहा कि इसके बाद नैतिकता की दुहाई देने वाले मुख्यमंत्री को एक क्षण भी अपने पद पर बने रहने का नैतिक अधिकार नहीं है.
राष्ट्रीय कृषि नीति 2007 और पुनर्वास नीति 2007 के प्रतिकूल है संशोधन
हेमंत सोरेन कहा कि पत्र में साफ लिखा है कि राज्य सरकार के संशोधन पर सहमति देने से कृषि योग्य भूमि में कमी आयेगी और इससे कृषि भूमि के गैर कृषि उपयोग हेतु स्थानांतरण में तेजी आयेगी. कृषि विभाग के पत्र में साफ-साफ लिखा गया है कि झारखंड सरकार द्वारा प्रस्तावित संशोधन, राष्ट्रीय कृषि नीति 2007 तथा राष्ट्रीय पुनर्वास नीति 2007 के उद्देश्यों एवं प्रावधानों के प्रतिकूल है. विभाग ने यह भी कहा है कि भारत सरकार की यह नीति है कि कृषि भूमि का हस्तांतरण गैर कृषि कार्य के लिए नहीं किया जायेगा तथा परियोजना बंजर भूमि पर लगायी जाये.
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सीएनटी-एसपीटी संशोधन में फेल हो गये तो जमीन हड़पने का निकाला दूसरा तरीका
उन्होंने कहा कि पहले सरकार ने सीएनटी-एसपीटी कानून में परिवर्तन कर आदिवासियों-मूलवासियों की जमीन को छीनकर पूंजीपतियों को देने का प्रयास किया. जब सरकार इसमें सफल नहीं हो सकी तब मुख्यमंत्री रघुवर दास ने किसानों और रैयतों की जमीन को हड़पने का दूसरा तरीका निकाला. इस बार उन्होंने लोकसभा से पारित भूमि अधिग्रहण विधेयक 2013 को संशोधित करने का प्रस्ताव बहुमत के दम पर विधानसभा से पारित करवाया. झामुमो ने इसका भी विरोध किया.
भू-माफियाओं और पूंजीपतियों से मिलकर किसानों-आदिवासियों को बर्बाद करने का षड्यंत्र कर रहे रघुवर
कार्यकारी अध्यक्ष ने कहा कि एक गंभीर जांच का विषय है कि आखिर किन ताकतों के दबाव में आदिवासियों एवं मूलवासियों के हितों एवं भारत सरकार के नीतियों के प्रतिकूल जाकर राज्य सरकार भूमि अधिग्रहण कानूनों में संशोधन का बार-बार असफल प्रयास कर रही है. सरकार के प्रयासों से स्पष्ट होता है कि मुख्यमंत्री रघुवर दास भूमि माफियाओं एवं पूंजीपतियों के साथ मिलकर राज्य में किसानों एवं आदिवासियों को बर्बाद करने के लिए रची गयी एक बड़े षड्यंत्र का हिस्सा हैं.
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मामले की हो निष्पक्ष जांच, मुख्यमंत्री को किया जाये अविलंब बर्खास्त
उन्होंने राज्यपाल और केंद्र सरकार से मांग की है कि राज्य में रहे जमीन घोटाले एवं मुख्यमंत्री के जमीन माफियाओं एवं पूंजीपतियों से साठ-गांठ की निष्पक्ष एजेंसी द्वारा जांच करायी जाये. हेमंत ने कहा कि जनविरोधी कार्यों और सदन में अभद्र आचरण के लिए मुख्यमंत्री को अविलंब बर्खास्त करने की कार्रवाई की जाये.
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