
Jamshedpur : पूर्वी सिंहभूम जिला परिषद के लिए हुए चुनावों के सभी परिणाम करीब-करीब घोषित हो चुके हैं. जिले में जिला परिषद की 27 सीटें हैं. इन सीटों में 7 सीटें जमशेदपुर प्रखंड के अंतर्गत आती हैं. यह इलाका कहने को तो पंचायत क्षेत्र है, लेकिन जमशेदपुर शहर से सटा होने के कारण शहर की राजनीति का काफी असर इन इलाकों में होनेवाले जिला परिषद चुनावों पर पड़ता है. अभी तक इन सात सीटों में से चार के परिणाम घोषित हुए हैं, जिनमें तीन पर भाजपा समर्थित उम्मीदवारों ने विजय हासिल की है. जिला परिषद के निवर्तमान उपाध्यक्ष राजकुमार सिंह इन चुनावों में किंगमेकर बनकर उभरे हैं. जिला परिषद क्षेत्र संख्या 6, 7 और 8 पर उनके अथवा उनके द्वारा समर्थित उम्मीदवारों ने बड़ी जीत दर्ज की है.
परिवार पर प्रतिभाशाली आदिवासी लड़की को दी तरजीह
गौरतलब है कि राजकुमार सिंह पिछले दो चुनावों से क्षेत्र जिप संख्या-6 से भारी वोटों से चुनाव जीतते आ रहे थे. पिछली बार वे जिला परिषद के उपाध्यक्ष भी रहे. लेकिन इस बार चुनाव से पहले ही उन्होंने जिला परिषद का चुनाव नहीं लड़ने की घोषणा कर दी थी. उन्होंने कहा था कि नये लोगों को मौका मिलना चाहिए. इसी बीच उनका चुनाव क्षेत्र महिला (सामान्य) के लिए आरक्षित हो गया. जहां बाकी महिला आरक्षित सीटों पर पूर्व पार्षद अपनी पत्नियों को चुनाव लड़ाने की तैयारी कर रहे थे, राजकुमार सिंह ने परिवारवाद की राजनीति को आईना दिखाते हुए एक आदिवासी युवती कुसुम पूर्ति को चुनाव लड़ने के लिए प्रेरित किया. कुसुम उस समय जमशेदपुर प्रखंड कार्यालय में सामाजिक उत्प्रेरक का काम कर रही थी. कुसुम की सेवा भावना और राजनीति में जाने की उनकी इच्छा को देखते हुए राजकुमार सिंह ने उन्हें जिला परिषद का चुनाव लड़ने की सलाह दी और चुनाव में उनकी भरपूर मदद की. इलाके में पहले से बेहद लोकप्रिय राजकुमार सिंह के समर्थन ने कुसुम पूर्ति को पहली बार में ही जिला परिषद पहुंचा दिया है.


भाजपा कार्यकर्ता के पीछे बड़े भाई की तरह खड़े रहे


जिला परिषद क्षेत्र संख्या 7 से पंकज सिन्हा ने जीत दर्ज की है. पंकज भाजपा परसूडीह मंडल के अध्यक्ष रह चुके हैं. राजकुमार सिंह के बेहद करीबी और हमेशा उनके साथ रहनेवाले पंकज ने भी पहली बार में ही आसान जीत दर्ज की है. राजकुमार ने पूरे चुनाव में इन दोनों प्रत्याशियों के लिए घूम-घूम कर वोट मांगे, जिसका फायदा दोनों को मिला. इसके अलावा जिला परिषद क्षेत्र संख्या 8 से चुनाव लड़ रहीं शिक्षाविद और समाजसेवी डॉ कविता परमार को भी राजकुमार सिंह ने अपना समर्थन दिया था. चुनाव के पहले कड़े मुकाबले में दिख रही कविता परमार ने भी आसान जीत दर्ज कर जिला परिषद की राह आसान कर ली.
पूर्व जिलाध्यक्ष ने की अपने लोगों के खिलाफ साजिश
लेकिन यह सब इतना आसान भी नहीं था. राजकुमार सिंह की पार्टी भाजपा के ही लोग उनकी जड़ खोदने पर उतारू थे. यहां तक कि एक एक बड़े नेता के रिश्तेदार और पूर्व जिलाध्यक्ष रहे एक नेता तो राजकुमार समर्थित उम्मीदवारों के विरोधी प्रत्याशियों का समर्थन करने पहुंच गये. उस नेता ने क्षेत्र संख्या-6 में राजकुमार समर्थित कुसुम पूर्ति के खिलाफ भाजपा विरोधी उम्मीदवार का प्रचार किया. क्षेत्र संख्या 7 में उसने भाजपा कार्यकर्ता पंकज के खिलाफ झामुमो से जुड़े प्रत्याशी प्रदीप गुहा को समर्थन दिया और क्षेत्र संख्या 8 में डॉ कविता परमार के मुकाबले खड़ी कांग्रेसी पृष्ठभूमि के पूर्व पार्षद किशोर यादव की पत्नी को समर्थन दिया. लेकिन राजकुमार की लोकप्रियता के आगे उसकी एक नहीं चली. जबकि उस नेता ने जिप संख्या 9 पर जिस प्रत्याशी को समर्थन देकर खूब फोटो खिंचवाई थी, उसकी लुटिया डूब गयी. अब प्रत्याशी और उसके लोग अपनी हालत के लिए उस नेता को जिम्मेवार बताकर कोस रहे हैं.
राजकुमार को जनता के बीच रहने और सेवा का मिला फल
दरअसल राजकुमार सिंह जमीनी नेता हैं. जनता के लिए चौबीसों घंटे उपलब्ध रहनेवाले राजकुमार एक दशक से ज्यादा समय से गर्मी के मौसम में शहर से सटे ग्रामीण क्षेत्रों में अपने निजी टैंकरों से लोगों को साफ और शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराते आ रहे हैं. शादी-विवाह जैसा कोई खुशी का मौका हो या श्राद्ध जैसा संस्कार, एक फोन पर उनका टैंकर पानी लेकर पहुंच जाता है. बरसात में एंटी लार्वा और ब्लीचिंग पाउडर का छिड़काव और मच्छरों से बचाव के लिए फॉगिंग हर साल वे कराते हैं. पूरे कोरोना काल में राजकुमार ने लोगों को निःशुल्क पका-पकाया भोजन तथआ कच्चा राशन और पहली लहर के दौरान कंटेनमेंट जोन में रह रहे लोगों को दूध-ब्रेड की आपूर्ति की थी. दर्जनों बच्चों की पढ़ाई का खर्चा वे उठाते हैं. कोई बीमार उनके पास से बिना इलाज और कोई जरूरमंद उनके दरवाजे से खाली हाथ नहीं लौटता.
किंगमेकर राजकुमार जिंदाबाद के नारों से गूंजा मतगणना केंद्र
इन्हीं सब कारणों से राजकुमार सिंह हर आयु और समाज के हर वर्ग के लोगों के बीच लोकप्रिय हैं. वे चाहते तो परिवार से किसी महिला को उम्मीदवार बनाकर चुनाव जिता देते लेकिन उन्होंने एक वंचित समाज की प्रतिभाशाली लड़की को आगे किया. पंकज जैसे युवा और जुझारू कार्यकर्ता के पीछे खड़े हुए और बदलाव का जज्बा रखनेवाली डॉ कविता परमार जैसी उच्च शिक्षित महिला को समर्थन दिया. यही कारण था कि परसूडीह के बाजार समिति प्रांगण में जब तीनों विजयी उम्मीदवार राजकुमार सिंह के साथ खड़े थे और किंगमेकर राजकुमार जिंदाबाद के नारों से परिसर गूंज रहा था.
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