
Kumar Gaurav
Ranchi: देश में नाम के आगे चौकीदार लगाने की होड़ लगी हुई है. लेकिन इस बात की शायद ही किसी को फिक्र होगी कि झारखंड के चौकीदारों को पिछले पांच महीनों से वेतन नहीं मिला है.
देश के चौकीदार प्रधानमंत्री, राज्य के चौकीदार मुख्यमंत्री सहित भाजपा के चौकीदार मंत्रियों के चौकीदार होने बाद भी प्रोफेशनल सरकारी चौकीदारों की होली बदरंग और फीकी रहने वाली है. चौकीदारों के सरकार होने के बाद भी चौकीदारों को पिछले पांच महीनों से वेतन नहीं मिला है.
इतना ही नहीं राज्य के 67 हजार पारा शिक्षक, 29 हजार जल सहियाओं को भी वेतन नहीं मिला है. इससे राज्य के करीब एक लाख से अधिक परिवारों का त्यौहार फीका रहेगा.
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67 हजार पारा शिक्षकों को नहीं मिला है वेतन
राज्य की शिक्षा व्यवस्था को संभालने वाले पारा शिक्षकों की होली पिछले बार की तरह इसबार भी फीकी रहने वाली है. इस साल भी पारा शिक्षकों को तीन से पांच महीने तक का वेतन नहीं दिया गया है.
राज्य के कई जिलों के पारा शिक्षकों को नवंबर 2018 से वेतन नहीं दिया गया है. इस दौरान 15 नवंबर से 17 जनवरी तक पारा शिक्षक हड़ताल में थे, जिसका भुगतान नहीं किया जाएगा. इसके पूर्व के डेढ़ महीने और जनवरी, फरवरी के वेतन का भुगतान अभी तक नहीं किया गया है.
जो पारा शिक्षक हड़ताल में नहीं थे उनके पांच महीने का वेतन बकाया है. पारा शिक्षकों के भुगतान के लिए शिक्षा परियोजना ने राज्य सरकार से 200 करोड़ की मांग की थी.
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10 हजार सरकारी चौकीदारों को नवंबर से नहीं मिली सैलेरी
राज्य के 10 हजार सरकारी चौकीदारों को नवंबर 2018 से वेतन नहीं मिला है. पांच महीने का वेतन बकाया होने के वजह से ये सरकारी चौकीदारों पर आर्थिक बोझ पड़ा है.
पैसे के आभाव में इनके साथ-साथ इनके परिवार की भी होली पूरे तरीके से फिकी रहने वाली है. राज्य के चौकीदार संघ के नेता ने कहा कि चौकीदारों के साथ लंबे अरसे से नाइंसाफी होती आई है. 600 चौकीदारों को बेवजह हटा दिया गया है.
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कैबिनेट के फैसले के बाद भी जलसहिया को अब तक नहीं मिला मानदेय
जनवरी में राज्य सरकार ने कैबिनेट की बैठक में जलसहियाओं को मार्च में वेतन देने की बात कही थी. जलसहिया संघ के नेता ने बताया कि हमें एक हजार रुपये देने की घोषणा सरकार कर चुकी है.
कैबिनेट की बैठक में मार्च में पैसा देने की भी बात थी. राज्य में कुल 29,500 जल सहिया कार्यरत हैं, जिन्हें मानदेय दिया जाना है. लेकिन अब मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है. इसके अलावा पंचायत स्वयं सेवक, संयोजिका सहायिका सहित कई अन्य को मानदेय का भुगतान नहीं किया गया है.
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