
Ranchi: भाजपा द्वारा लगातार विकास के दावों के बीच ही झारखंड में पिछले पांच वर्षों में भूख से कम-से-कम 23 मौतें हो गयीं. लेकिन भुखमरी, कुपोषण और कल्याणकारी योजनाओं के लाभ से वंचित होने के मुद्दों पर पर्याप्त ध्यान किसी भी राजनीतिक दल ने ध्यान नहीं दिया.
किसी भी दल ने जन वितरण प्रणाली और सामाजिक सुरक्षा पेंशन योजनाओं के कवरेज को बढ़ाने की बात नहीं की है.
कुपोषण में झारखंड देश के अव्वल राज्यों में से एक है, पर किसी भी दल ने मद्ध्यान भोजन और आंगनबाड़ी में मिलने वाले अंडों की संख्या बढ़ाने को अपने वादे में शामिल नहीं किया है.
कल्याणकारी योजनाओं को आधार से जोड़ने के कारण व्यापक स्तर पर लोग अपने अधिकारों से वंचित होते हैं लेकिन किसी भी दल ने आधार को योजनाओं से हटाने की बात नहीं की है.
इसे भी पढ़ें : #JharkhandElection: हजारीबाग और रामगढ़ की सभी छह विधानसभा सीटों पर मिल रही है बीजेपी को कड़ी टक्कर
दो चरणों में जनमुद्दे नहीं बने चुनावी मुद्दा
झारखंड विधान सभा के लिए दो चरणों में 33 सीटों पर चुनाव हो चुके हैं. पहले चरण में जहां 64.22 प्रतिशत व दूसरे चरण में 64.39 प्रतिशत मतदाताओं ने अपने वोट के संवैधानिक अधिकार का इस्तेमाल किया.
यह चुनाव झारखंड में लोकतंत्र और संवैधानिक मूल्यों की रक्षा के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण हैं. लेकिन पांच सालों तक जन अधिकारों और लोकतंत्र के मूल सिद्धांतों पर लगातार हुए हमलों को मुद्दा नहीं बनाया गया.
सीएनटी-एसपीटी में संशोधन की कोशिश, भूमि अधिग्रहण क़ानून में बदलाव, लैंड बैंक नीति, भूख से हो रही मौतें, भीड़ द्वारा लोगों की हत्या, आदिवासी, दलित, अल्पसंख्यक और महिलाओं के विरुद्ध बढ़ती हिंसा, आदिवासियों के पारंपरिक स्वशासन व्यवस्था पर प्रहार एवं बढ़ता दमन जैसे विषय चुनाव का मुद्दा अब तक नहीं बन सके हैं.
हालांकि कुछ राजनीतिक दलों ने अपने घोषणा पत्र में इन विषयों को शमिल रखा है,लेकिन कैपेन में दो चरणों में कम ही नजर आया.
इसे भी पढ़ें : विधानसभा भवन में लगी आग को बतायी थी साजिश, बावजूद इसके निर्माण कंपनी रामकृपाल कंस्ट्रक्शन ने नहीं दर्ज करायी FIR
लैंड बैंक का सवाल विधानसभा चुनाव में नहीं बन सका मुद्दा
लोगों द्वारा लैंड बैंक नीति के लगातार विरोध के बावजूद किसी भी दल ने उसे निरस्त करने की बात नहीं की है. कांग्रेस द्वारा जन विरोधी परियोजनाओं जैसे अडानी पावर प्लांट, मंडल डैम व ईचा-खरकई डैम को रद्द करने की बात घोषणा पत्र में कही गयी है.
लेकिन आदिवासियों की एक मूल मांग रही पांचवी अनुसूची के प्रावधानों को लागू करने के सवाल पर झाविमो के अलावा किसी भी दल ने अपने घोषणा पत्र में कुछ नही कहा.
इसे भी पढ़ें : केंद्र सरकार की कुसुम योजना के तहत बंटने थे आठ हजार सोलर पंप, इस साल एक भी नहीं बंटे
भूख से हुई मौतों की सूची
[better-wp-embedder width=”100%” height=”400px” download=”all” download-text=”” attachment_id=”148906″ /]