
Dhanbad: निरसा विधानसभा कोयले के कारोबार के लिए प्रसिद्ध है. यहां बीसीसीएल और ईसीएल की कोलयरी है. निरसा को लाल झंडे यानी लेफ्ट का गढ़ भी माना जाता है.
वर्तमान विधायक भी मार्क्सवादी समन्वय समिति के अरूप चटर्जी हैं जो पिछले विधानसभा चुनाव में भाजपा के गणेश मिश्रा से मात्र एक हजार वोट से विजय हुए थे.
निरसा विधानसभा के क्षेत्र में निरसा के कुछ इलाके और चिरकुंडा के कुछ इलाके को छोड़ दिया जाये तो बाकी ग्रमीण इलाका ही है. निरसा विधानसभा बंगाल के बॉडर से सटे होने के कारण यहां काफी संख्या में बांग्लाभासी भी निवास करते हैं.


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लेफ्ट का गढ़ निरसा सीट
निरसा विधानसभा को लाल(लेफ्ट) का गढ़ माना जाता है, क्योंकि शुरू से ही निरसा विधानसभा में लाल झंडा का ही वर्चस्व रहा. पहले मासस के विधायक फिर फॉरवर्ड ब्लॉक से दो बार अपर्णा सेन गुप्ता विधायक रहीं. फिर दो बार मासस के अरूप चटर्जी विधायक बने.
इस बार निरसा विधानसभा में तीन प्रत्याशियों में कांटे की टक्कर मानी जा रही है. फॉरवर्ड ब्लॉक से भाजपा में शामिल हुईं अपर्णा सेन गुप्ता पर पार्टी ने विश्वास जताया है. तो मासस से सीटिंग विधायक अरूप चटर्जी मैदान में हैं. वहीं गठबन्धन से जेएमएम के अशोक मंडल मैदान में दम-खम के साथ खड़े हैं.
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होगी सेंधमारी या लेफ्ट का बचेगा गढ़
अब देखने वाली बात होगी कि क्या भाजपा, लाल गढ़ में सेंध मार सकेगी या फिर तीर-कमान का तीर चलेगा या लाल गढ़ में लाल झंडा ही बुलन्द रहेगा.
वहीं निरसा विधानसभा की जनता के मन में क्या है, ये कह पाना फिलहाल मुश्किल है. कुछ लोग जहां सीटिंग एमएलए के काम से संतुष्ट नजर आये, तो कुछ के लिए काम ही नहीं हुआ. कुछ जनता बदलाव चाहती हैं तो कुछ सीटिंग एमएलए की वापसी.
अब ये 16 दिसंबर को वोटिंग के बाद और 23 दिसम्बर को वोट की गिनती के बाद ही पता चलेगा ही निरसा विधानसभा में किसके सर पर ताज सजेगा.
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